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RJ सायमा की जुबानी, ‘सेक्युलर और फेमिनिस्ट’ सआदत हसन मंटो की कहानी

सआदत हसन मंटो की पुण्यतिथि के मौके पर RJ सायमा ने मंटो की शख्सियत के बारे में रखी अपनी बेबाक राय.

निष्ठा गौतम
वीडियो
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रेडियो मिर्ची के स्टूडियो में आरजे सायमा
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रेडियो मिर्ची के स्टूडियो में आरजे सायमा
(फोटो: The Quint)

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रेडियो मिर्ची की मशहूर रेडियो जॉकी RJ सायमा को कौन नहीं जनता? पिछले कई सालों से अपनी मदहोश कर देने वाली आवाज के साथ सायमा हम सब के लिए कई प्रोग्राम लेकर आती हैं जैसे पुरानी जींस, फिर क्या हुआ, मेरी डायरी का एक पेज, एक पुरानी कहानी. सआदत हसन मंटो की पुण्यतिथि के मौके पर उनके बारे में सायमा ने दिल खोलकर क्विंट के साथ की ढेर सारी बातें, और मंटो की शख्सियत के बारे में रखी अपनी बेबाक राय. देखिये इस वीडियो में -

सायमा बताती हैं कि मंटो की कहानियां पढ़कर ही उनमें वो हिम्मत पैदा हुई कि कैसे किसी भी मुद्दे पर साहस के साथ बेबाक तरीके से अपनी बात रखी जाती है. अपनी लेखनी में अश्लीलता के आरोपों से घिरे रहे मंटो ने अपनी रचनाओं में समाज को चुभने वाली, हिंसा और बलात्कार की बात की, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने प्रेम, सुगंध, दया कोमलता की बातें भी कीे. दरअसल मंटो की लेखनी कमजोर दिल वाले लोगों के लिए नहीं हैं. उनकी लघुकथाओं ने समाज को आईना दिखाने का काम किया...उस समाज को, जिसे सांप्रदायिक और लैंगिक हिंसा ने तोड़ दिया.

मंटो, निष्पक्ष सेक्युलरवादी?

मंटो की कहानियों में बड़े ही प्रभावी और मर्मस्पर्शी तरीके से भारत-पाकिस्तान के विभाजन की पीड़ा और भयावहताओं को दर्शाया गया है. सांप्रदायिक हिंसा और उसका उन्माद कैसे हिंदू और मुसलमानों को अपनी आगोश में ले लेता है, ये मंटो की कहानियों में बखूबी झलकता है. मंटो ने जिस तरह वेश्यावृत्ति की दुनिया को समझा, शायद ही किसी और ने समझा हो. उन्होंने शरीयत के मुताबिक अपनी जिंदगी नहीं जी. हालांकि, उनकी सेकुलर छवि पर आज आरोप लगाते हुए कहा जाता है कि वो मुस्लिम-परस्त थे, क्योंकि विभाजन के कुछ समय बाद वो पाकिस्तान जाकर बस गए.

सआदत हसन मंटो हमेशा सांप्रदायिकता और लैंगिक भेदभाव के खिलाफ खड़े रहे(फोटो: ट्विटर)

नारीवादी मंटो

मंटो द्वारा अपनी कहानियों में किरदारों को गढ़ने की बेमिसाल कला पर बात करते हुए सायमा उनके महिला किरदारों पर फोकस करती हैं. मंटो को "सबसे बड़ा नारीवादी" कहते हुए, वो बताती हैं कि जब उन्होंने पहली बार मंटो की कहानियों को पढ़ा, तो उनके मन में लगातार लेखक के साथ एक झगड़ा चल रहा था.

“काली सलवार को पढ़ने के बाद, मैं सोच रही थी कि इस लेखक ने एक वेश्या के कामों को कैसे सही ठहराया? वह मुझे क्यों मजबूर कर रहा है कि मैं उस वेश्या को पसंद करूं? मेरे सभी पूर्वाग्रहों और मूल्यों पर अचानक से हमला किया गया था.” 
आरजे सायमा  

मंटो की कहानियों में से सायमा अपने पसंदीदा महिला किरदारों का जिक्र करती हैं. और साथ ही उन्हें पसंद करने की वजह भी बताती हैं. उनके मुताबिक ये सभी महिला किरदार न तो संत हैं और न ही शैतान हैं. चरित्र के चित्रण में मंटो की लेखनी का संतुलन स्पष्ट है.

कैमरा: शिव कुमार

वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान

लोकेशन: रेडियो मिर्ची

स्केच: रेडियो मिर्ची

(ये आर्टिकल सबसे पहले मई 2018 में प्रकाशित हुआ था. सआदत हसन मंटो के जन्मदिन पर आज इसे दोबारा प्रकाशित किया जा रहा है.)

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Published: 18 Jan 2018,03:58 PM IST

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