Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019रोहित वेमुला की मौत के 4 साल, अब क्या है उनके 3 दोस्तों का हाल?

रोहित वेमुला की मौत के 4 साल, अब क्या है उनके 3 दोस्तों का हाल?

रोहित वेमुला के कुछ दोस्तों को 2015 में हैदराबाद यूनिवर्सिटी से निलंबित कर दिया गया था.

अस्मिता नंदी
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रोहित वेमुला का दोस्त जिसे गांव लौटने पर मजबूर कर दिया गया
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रोहित वेमुला का दोस्त जिसे गांव लौटने पर मजबूर कर दिया गया
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहीम

रोहित वेमुला की मौत को 4 साल बीत चुके हैं. एबीवीपी नेता के साथ झड़प के बाद उनके दोस्तों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई. उनके कुछ दोस्तों को 2015 में हैदराबाद यूनिवर्सिटी से निलंबित कर दिया गया था.

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रोहित ने एक दिल दहलाने वाला सुसाइड नोट पीछे छोड़ा था. सुसाइड नोट में उन्होंने अपने साथ भेदभाव को लेकर बातें लिखीं थीं. जिसका उन्होंने पूरे जीवन और विशेष रूप से यूनिवर्सिटी में सामना किया था. रोहित ने 17 जनवरी 2016 को अपने कमरे में छत के पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली थी. जिसके बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे.

क्विंट ने रोहित के कुछ दोस्तों से बात की, जिन्होंने बताया कि उनके जीवन और सपने बदल गए हैं लेकिन न्याय के लिए संघर्ष जारी है. डॉ. सुन्कन्ना वेलुपुदा, विजय पेदुपुदी और सेशियाह चेमुदुगुनता ने रोहित की मौत के बाद की अपनी जिंदगी पर के बारे में हमें बताया.

सुन्कन्ना वेलुपुदा उन 5 छात्रों में से एक हैं जिन्हें रोहित वेमुला के साथ हैदराबाद यूनिवर्सिटी से निकाला गया था. वो अपने घर में पढ़ाई करने वाले पहले शख्स हैं. उनके माता-पिता कृषि मजदूर हैं.

मुझे उम्मीद थी कि मैं यूनिवर्सिटी में कुछ बन सकता हूं और मैं कहीं पढ़ाने की जगह ढूंढ लूंगा. लेकिन मेरे PhD खत्म करने के बाद, पिछले 3 सालों में मैंने पढ़ाने के लिए करीब 20 यूनिवर्सिटी में अप्लाई किया, अगर वो मुझे इंटरव्यू के लिए बुलाते और कहते कि मुझे और तैयारी करनी चाहिए तो भी ठीक था, लेकिन एक भी यूनिवर्सिटी ने मुझे इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया. मेरी एप्लिकेशन फेंक दी गईं. आखिरकार मैं अपने गांव आ गया और किसान बन गया. 
सुन्कन्ना वेलुपुदा, रोहित वेमुला की दोस्त

रोहित के एक और दोस्त विजय पेदुपुदी बताते हैं, ‘रोहित की मौत के बाद जो कुछ भी हुआ, उससे हमारी जिंदगी दिशाहीन हो गई है. मैंने परचूर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन मैं चुनाव हार गया. हम राजनीति में आकर भी कुछ कर सकते हैं.

रोहित के बाकी दो दोस्त अब भी यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं. सेशियाह का कहना है कि रोहित की यादों से वो अब भी परेशान हो जाते हैं.

मैं अपना PhD वर्क आंध्र प्रदेश में एक सामाजिक मूवमेंट के तौर पर दलित मूवमेंट में बदलाव और निरंतरता पर कर रहा हूं. मैं अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन में कार्यकर्ता था. अब मैं उससे नहीं जुड़ा हूं. मेरे पास घर पर बहुत काम है. बहुत जिम्मेदारियां हैं क्योंकि अब मुझे 10 साल हो गए हैं. मैं इस कैंपस से ऊब चुका हूं. मैं इस माहौल से छुटकारा चाहता हूं.  
सेशियाह चेमुदुगुनता, रोहित के दोस्त

रोहित अपने दोस्तों की यादों में जिंदा हैं. उनके दोस्त एक-दूसरे से हर महीने कोर्ट में मिलते हैं. केस में दलीलों का रखा जाना अभी भी शुरू नहीं हुआ है. रोहित के दोस्त कहते हैं कि कोर्ट को उसकी मौत के बारे में नहीं पता और हर महीने हाजिरी के लिए उसका नाम पुकारा जाता है.

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