advertisement
नागरिकता संशोधन कानून यानी Citizen Amendment Act को लेकर देश के पूर्वोत्तर इलाके में हंगामा खड़ा हो गया है.आखिर क्यों लगी है नॉर्थ-ईस्ट में ये आग? क्या यह देश के संविधान के खिलाफ है? यहां आप क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया और स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव से इस कानून से जुड़े तमाम सवालों और उनके जवाब जानिए.
असम में विरोध सबसे तेज है. यहां प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए. इस बीच, सरकार की ओर से यह लगातार कहा जा रहा है कि इस बिल से पूर्वोत्तर के लोगों के हितों को कोई नुकसान नहीं होगा. राज्यसभा में बिल के पास होते ही असम समेत पूर्वोत्तर के कई राज्यों में इसका विरोध शुरू हो गया था. अब यह और उग्र हो गया है. असम के मुख्यमंत्री ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि स्थानीय लोगों के अधिकारों को आंच नहीं आने दी जाएगी. मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने एक विडियो जारी कर लोगों से अपील की है कि उन्हें नागरिकता संशोधन बिल को लेकर अपनी परंपरा, संस्कृति, भाषा, राजनीतिक और जमीनी अधिकारों को लेकर कतई भी चिंता करने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि असम समझौते की की धारा 6 के तहत उनके अधिकारों की पूरी रक्षा की जाएगी.
सिटिजन अमेंडमेंट बिल देश भर में मचे हंगामे के बीच 11 दिसंबर को राज्यसभा में पास हो गया था. लोकसभा में पहले ही यह पारित हो चुका था.राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह सिटिजन अमेंडमेंट एक्ट यानी नागरिकता कानून संशोधन लागू हो गया है.
सिटिजन अमेंडमेंट कानून 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया गया था. नए कानून से नागरिकता देने से संबंधित नियमों में बदलाव होगा. इस कानून से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा.
देखें वीडियो : CAB खतरनाक, संविधान के खिलाफ-नोबेल विजेता वेंकटरमन रामकृष्णन
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)