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क्विंट, कुछ समय से एक अभियान चला रहा है- Talking Stalking. इस मुहिम का मकसद स्टॉकिंग से लड़ने वाली महिलाओं और पुरुषों को चुप्पी तोड़ने के लिए प्रेरित करना है. वो अपनी कहानियां हमसे बांटें और बाकी दुनिया तक पहुंचाएं. आपकी तरफ से हमें कई ऐसी कहानियां मिलीं जो चौंकाती भी थीं और डराती भी थीं. तब हमने फैसला किया कि इस बारे में कुछ अहम कदम उठाए जाएं.
हमने एडवोकेट कामिनी जायसवाल के सहयोग से एक प्रस्ताव तैयार किया. इसमें इस बात पर चर्चा की गई है कि स्टॉकिंग को गैर-जमानती अपराध बनाने के लिए आपराधिक कानून में क्यों और किस तरह के बदलाव की जरूरत है.
स्टॉकिंग गैर-जमानती अपराध बनता है तो न सिर्फ इस मुद्दे को ज्यादा गंभीरता से लिया जाएगा बल्कि स्टॉकिंग के अपराधी को जमानत मिलने से पहले कठोर न्यायिक प्रक्रिया से भी गुजरना होगा. ताकि, स्टॉकर, पीड़ित पर किसी भी तरह का हमला न कर सके
सांसद शशि थरूर, क्विंट की इस मुहिम के साथ जुड़े हैं. थरूर की टीम के साथ मिलकर, क्विंट ने एक प्राइवेट मेंबर बिल का मसौदा तैयार किया है. इस मसौदे को संसद कों सौंप दिया गया है. उम्मीद है कि बजट सत्र में इसे पेश किया जा सकेगा. इससे पहले भी कई मुद्दों पर संसद में वो प्राइवेट बिल के तौर पर अपनी बात रख चुके हैं, जिसमें आईपीसी की धारा 377 में सुधार की बात शामिल है.
क्विंट से खास बातचीत में सांसद थरूर ने कहा:
क्विंट के साथ बातचीत के दौरान थरूर ने कहा कि स्टॉकिंग के अपराध को गलत चश्मे से देखने की आदत बनी हुई है. जिसे लोग बिना किसी नुकसान की घटना भर समझते हैं, सच इससे बेहद अलग है. स्टॉकिंग न सिर्फ अपने आप में अपराध है बल्कि ये कई अपराधों को बढ़ावा देने का काम करता है.
आप भी जुड़ सकते हैं, स्टॉकिंग को गैर-जमानती बनाने की क्विंट की मुहिम से. वर्णिका कुंडू के साथ शुरू की गई इस याचिका पर दस्तखत करके आप इस मुहिम को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे.
कैमरापर्सन- अभय शर्मा, शिवकुमार मौर्य, चंदन कश्यप
वीडियो एडिटर- राहुल सांपुई
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