advertisement
वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
कैमरा: शिव कुमार मौर्या
एंकर: रोहित मौर्य
भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह. एक ऐसा खिलाड़ी जो हॉकी के आसमान पर चमका, फिर गिरा, उठा और फिर चमकने लगा. एक लड़का जो कभी हॉकी खेलना ही नहीं चाहता था.
दिलजीत दोसांझ और तापसी पन्नू. बड़े पर्दे के ये दो सूरमा लेकर आ रहे हैं असली सूरमा संदीप सिंह की कहानी. ये कहानी दुनिया के सबसे तेज ड्रैग फ्लिकर की है. ये कहानी एक मिसाल की है.
बात सूरमा की है लेकिन संजू के अंदाज में....शुरू से शुरू करते हैं. हरियाणा के नक्शे पर एक शहर है कुरुक्षेत्र. और इसी शहर में एक कस्बा है- शाहबाद मारकंडा. यहीं से आते हैं संदीप.
जिस खिलाड़ी को आने वाले कल में टीम इंडिया की कमान संभालनी थी, उसे बचपन में हॉकी में कोई दिलचस्पी ही नहीं थी. संदीप के बड़े भाई हॉकी खेलते थे. कपड़ों, जूतों की चाह में जिद की तो घरवालों ने कह दिया इसके लिए हॉकी खेलनी पड़ेगी. और बस...सफर शुरू हो गया.
2003 में पहली बार इंडियन टीम में जगह मिली और 2004 में ही पहुंच गए एथेंस ओलंपिक. उम्र थी महज 17 बरस. संदीप हॉकी में नई ऊंचाइयां छू रहे थे. ड्रैग फ्लिक के उस्ताद बन चुके थे. सब कुछ सपने जैसा चल रहा था. और फिर संदीप की जिंदगी में आया वो मनहूस दिन.
संदीप, कालका एक्सप्रेस में सवार होते हैं. जर्मनी में होने वाले वर्ल्ड कप की ट्रेनिंग टीम का हिस्सा बनने संदीप को दिल्ली पहुंचना है. और तभी...तभी जैसे संदीप के कानों में बम फटने जैसी आवाज आती है...शरीर में जैसे किसी ने लोहे की रॉड घुसा दी हो. संदीप की रीढ़ की हड्डी में गोली लग चुकी होती है. ये गोली एक RPF जवान की सर्विस रिवॉल्वर से गलती से चली थी, जो संदीप के करियर और जिंदगी का रुख मोड़ने वाली थी.
गोली लगते ही संदीप पैरालाइज हो गए. डॉक्टर कहते हैं कि वो हॉकी के मैदान में वापसी नहीं कर पाएंगे. लेकिन, सूरमा शायद बने ही अलग मिट्टी के होते हैं. उन्होंने, डॉक्टर्स को अपने कमरे से बाहर जाने को कहा, भाई को फोन कर हॉकी स्टिक मंगाई और अस्पताल के बिस्तर पर उसे साथ रखकर ही सोने लगे. जिस हॉकी से मैदान मार लेते थे, उसी के सहारे बिस्तर से उठने की कोशिश करते रहे. बिस्तर से व्हीलचेयर तक पहुंचे.
फिर रीहैब के लिए विदेश गए. करीब 6 महीने बाद जब वापस लौटे तो वो व्हीलचेयर पर नहीं अपने पैरों पर खड़े थे. 2008 का सुल्तान अजलान शाह कप. संदीप धमाके के साथ दुनिया को बताते हैं कि वो असली सूरमा हैं. एक खिलाड़ी, जिसे हर कोई खत्म मान चुका था वो 2008 के इस टूर्नामेंट में 8 गोल के साथ टॉप स्कोरर बनकर निकलता है. 2009 में संदीप को भारतीय टीम का कप्तान बना दिया गया. उनकी कप्तानी में टीम ने अजलान शाह कप जीता...वो भी पूरे 13 साल बाद.
इसी कप के सेमीफाइनल में संदीप को पाकिस्तानी कोच ने कहा- कैसी फ्लिक करने लगे हो संदीप, हमारे गोलकीपर को लूज मोशन लग गए हैं. संदीप की कप्तानी में टीम आगे बढ़ती गई. वो इतिहास रचते गए. उन्होंने अपने आइडियल धनराज पिल्लै के 121 गोल के रिकॉर्ड को तोड़ा. और साथ ही 145km/h की रफ्तार से ड्रैग फ्लिक करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया. और अब ‘सूरमा’ के साथ संदीप अपने जज्बे की कहानी लेकर लौट रहे हैं. ये फिल्म 13 जुलाई 2018 को रिलीज होगी.
यह भी पढ़ें: दिलजीत दोसांझ की फिल्म ‘सूरमा’ का नया पोस्टर जारी
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)