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उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी गठबंधन के तहत आगामी लोकसभा चुनाव में कौन सी पार्टी कहां से चुनाव लड़ेगी, इसका ऐलान हो चुका है. एसपी के लिए 37 और बीएसपी के लिए 38 सीटों की लिस्ट जारी कर दी गई है. इस सीटों के बंटवारे में एक बात साफ दिख रही है कि गठबंधन को बनाए रखने के लिए अखिलेश यादव ने खूब दरियादिली दिखाई है. वो हर कीमत पर गठबंधन को बचाए रखना चाहते हैं. सीटों का बंटवारा 2014 के चुनावी नतीजों के आधार पर ना होकर 2009 के फॉर्मूले पर हुआ है.
माना जा रहा था कि गठबंधन में सीटों का बंटवारा 2014 के चुनाव परिणाम के आधार पर होगा. पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी रनर रहेगी, उसे सीट बंटवारे में प्राथमिकता दी जाएगी. लेकिन इस बार जो सीटों का बंटवारा हुआ है. वो 2014 नहीं बल्कि 2009 के आधार पर हुआ है. फिलहाल जो लिस्ट आई है उसमें मायावती का दबदबा और उनकी स्टाइल साफ नजर आ रही है और अखिलेश हर कदम पर पीछे हटते नजर आ रहे हैं. सियासी गलियारे में कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव इस गठबंधन को किसी भी कीमत पर तोड़ना नहीं चाहते हैं. यह बातें इसलिए उठी क्योंकि साल2009 के लोकसभा को अगर सीट बंटवारे के फार्मूले का आधार माना जाए तो 2009 लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने कुल 20 सीटें जीती थी. इन 20 सीटों में इस बार बीएसपी 16 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतार रही है.
अखिलेश यादव के पिता और समाजवादी पार्टी के संरक्षक इस सीट बंटवारे से कुछ खास खुश नजर नहीं आ रहे हैं.
मुलायम के मुताबिक एसपी बहुत ज्यादा मजबूत थी और प्रदेश में सभी 80 सीटों पर अकेले लड़ने का माद्दा रखती है लेकिन पार्टी के अंदर के लोगों ने ही उसे कमजोर कर दिया. लखनऊ में पार्टी ऑफिस में कार्यकर्ताओं से बातचीत करते हुए मुलायम सिंह यादव ने एक के बाद एक बड़े बयान दे दिए. मुलायम ने कहा कि अखिलेश यादव ने किस आधार पर राज्य की आधी सीटें बीएसपी को दे दीं. इससे पहले मुलायम सिंह यादव संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने की बात कह चुके हैं.
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