Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 मारुति की बिक्री में गिरावट गिरती अर्थव्यवस्था का कच्चा चिट्ठा है

मारुति की बिक्री में गिरावट गिरती अर्थव्यवस्था का कच्चा चिट्ठा है

मारुति देश की कंजम्प्शन की कहानी है, और इसकी बिक्री में गिरावट एक अलार्म है.

दीपशिखा
वीडियो
Updated:
नंबर वन कार कंपनी मारुति सुजुकी का शेयर नीचे आते हुए दिखाई दे रहे हैं
i
नंबर वन कार कंपनी मारुति सुजुकी का शेयर नीचे आते हुए दिखाई दे रहे हैं
(फोटो: क्विंट)

advertisement

वीडियो एडिटर: आशुतोष

मारुति देश की कंजम्प्शन की कहानी है, और इसकी बिक्री में गिरावट एक अलार्म है. देश की नंबर वन कार कंपनी मारुति सुजुकी का शेयर 20 दिसंबर 2017 के दिन बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर 10,000 रुपये पर था. अब कंपनी का शेयर 33 परसेंट नीचे है.

बाजार से गायब हैं खरीदार

कंपनी की बिक्री अप्रैल महीने में 19.6 फीसदी गिरी, जो 7 साल में सबसे बड़ी गिरावट है. दोपहिया कंपनियों का हाल तो और भी बुरा है. देश की टॉप 6 दोपहिया कंपनियों की बिक्री अप्रैल में गिरी. 50 फीसदी आमदनी रूरल मार्केट से हासिल करने वाली सबसे बड़ी टू-व्हीलर कंपनी हीरो मोटोकॉर्प की सेल्स में इस महीने 15 फीसदी गिरावट आई. होंडा मोटरसाइकिल और स्कूटर इंडिया में 32 फीसदी की गिरावट हुई है. ट्रैक्टरों का भी यही हाल है.

साफ संकेत है कि बाजार से खरीदार गायब हैं. कमोबेश FMCG कंपनियों का वही हाल है.

कार कंपनियों का कहना है कि कमजोर मार्केट सेंटिमेंट, पेट्रोल-डीजल के दाम में उतार-चढ़ाव और BS-VI एमिशन नॉर्म्स लागू होने से गाड़ियों के दाम में बढ़ोतरी के चलते वित्त वर्ष 2020 भी चुनौतीपूर्ण रह सकता है. इस साल मारुति 5-8 फीसदी सेल्स ग्रोथ की उम्मीद कर रही है, जबकि पैसेंजर व्हीकल इंडस्ट्री की औसत ग्रोथ 3-5 फीसदी रहेगी. दोपहिया कंपनियों की ग्रोथ वित्त वर्ष 2020 में 5-7 फीसदी रहने का अनुमान है. यानी हालात पिछले साल से भी बुरे होने वाले हैं. FMCG कंपनी HUL का कहना है कि मार्केट में जल्द ही रिकवरी हो सकती है, लेकिन मार्केट रिसर्च फर्म नीलसन का कहना है कि साल 2019 में इंडस्ट्री की ग्रोथ पिछले साल से 2 फीसदी कम ही रहेगी.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नोटबंदी और GST से हुआ काफी नुकसान

इस सबका विलेन है बेरोजगारी. कंजम्प्शन डिमांड बढ़ाने में रोजगार की बड़ी भूमिका रहती है, लेकिन इस मामले में तो मायूसी ही है. नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (NSSO) की लीक्ड रिपोर्ट के मुताबिक फाइनेंसियल ईयर 2017-18 में देश की बेरोजगारी दर 45 साल में सबसे ज्यादा थी.

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के आंकड़ों से पता चलता है कि फरवरी 2019 में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.2 फीसदी हो गई, जो एक साल पहले 5.9 फीसदी थी. इसके मुताबिक, इस साल फरवरी में देश में 3.12 करोड़ लोग रोजगार ढूंढ रहे थे, जबकि पिछले साल जुलाई में इनकी संख्या 1.4 करोड़ थी. हमारे देश में 75 फीसदी लोग असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं. इनमें से ज्यादातर लोगों को कृषि, कंस्ट्रक्शन और छोटी कंपनियों में रोजगार मिला हुआ है. नवंबर 2016 की नोटबंदी और जुलाई 2017 में लागू हुए GST ने इन क्षेत्रों को काफी नुकसान पहुंचाया. बेंगलुरू की अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सस्टेनेबल एंप्लॉयमेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी लागू होने के बाद के दो साल में देश में 50 लाख नौकरियां खत्म हो गईं. रियल एस्टेट मार्केट में सुस्ती और टेलीकॉम सेक्टर में कंसोलिडेशन से लाखों की संख्या में लोग बेरोजगार हुए.

तो अब मारुति का इकॉनमी कनेक्शन समझ में आ रहा है आपको? मारुति का नंबर चीख-चीख कर कह रहा है कि देश में कंजम्प्शन की हवा निकल गई है और इसको सहारा देने वाले सारे पिलर खुद ही ऑक्सीजन खोजने में लगे हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 10 May 2019,02:36 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT