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उत्तराखंड की गरिमा जोशी अपने एक सपने की तरफ दौड़ रही थीं. उनका सपना था, देश के लिए मेडल जीतना. मगर इसी बीच एक हादसा हुआ और गरिमा के पैरों ने उनका साथ देना छोड़ दिया.
गरिमा आज व्हीलचेयर पर हैं, लेकिन उनके सपनों ने उड़ान भरना नहीं छोड़ा. गरिमा कहती हैं, ''एक्सीडेंट के बाद मैंने हिम्मत नहीं हारी. मैं व्हीलचेयर गेम्स से पैरा गेम्स में जाऊंगी और इंडिया के लिए मेडल जीतूंगी.''
गरिमा बताती हैं कि वह TCS वर्ल्ड 10K मैराथन में गई थीं, जो 27 मई 2018 को बेंगलुरु में आयोजित की गई थी. उन्होंने बताया, ''उस (मैराथन) के बाद मैं अपने ग्रुप के साथ प्रैक्टिस कर रही थी. उसी समय एक कार ने मुझे टक्कर मार दी थी. मुझे स्पाइनल इंजरी हुई और मेरे पैरों ने काम करना बंद कर दिया.''
गरिमा के पिता पूरन चंद जोशी बताते हैं, ''(गरिमा के) एक्सीडेंट के बाद मैं हिल गया था, लेकिन गरिमा नहीं हिली. उसने मुझे और मेरी फैमिली को कहा कि मुझमें कोई दिक्कत नहीं है. ये व्हीलचेयर पर आकर भी मेडल जीत रही है, मुझे इसमें कोई बदलाव नजर नहीं आया.''
गरिमा के पिता का कहना है:
गरिमा कहती हैं, ''हमें अपने को बेस्ट प्रूफ करना है. नेगेटिव सोचने से कुछ नहीं होता है, वो एक तरह से अपनी ही बॉडी को नुकसान पहुंचाना है.''
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