Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019विक्टोरिया गौरम्मा: जिसे इंग्लैंड के राजघराने ने सौतेला बनाया

विक्टोरिया गौरम्मा: जिसे इंग्लैंड के राजघराने ने सौतेला बनाया

गौरम्मा की सिसकियों ने ब्रिटिश महलों की दीवारों से टकराकर दम तोड़ा था

क्विंट हिंदी
वीडियो
Published:
गौरम्मा की सिसकियों ने ब्रिटिश महलों की दीवारों से टकराकर दम तोड़ा था
i
गौरम्मा की सिसकियों ने ब्रिटिश महलों की दीवारों से टकराकर दम तोड़ा था
(फोटो: altered by quint hindi)

advertisement

24 अप्रैल 1834 को, ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ एक खूनी युद्ध के बाद, कूर्ग को अनुबंधित कर दिया गया था और राजा चिक्का वीराराजेन्द्र को हराकर गद्दी से हटाने के बाद वाराणसी भेज दिया गया था. भारत की ब्रिटिश सरकार से अपना धन वापस लेने की मांग करने निर्वासित राजा मार्च 1852 में लंदन के लिए रवाना हुए. अपनी बेटी के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए रानी से उसे गोद लेने की पेशकश की.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

रानी विक्टोरिया ने पिता-पुत्री की जोड़ी की शाही देखरेख की. वो आसानी से 11 साल की गौरम्मा की गॉड-मदर बनने के लिए तैयार हो गईं और उन्हें अपना नाम भी दे दिया. 5 जुलाई 1852 को बकिंघम पैलेस में कैंटरबरी के आर्कबिशप ने गौरम्मा को ईसाई धर्म का बपतिस्मा दिया.

राजकुमारी विक्टोरिया को एक भारतीय सेना के दंपति मिसेज और मेजर ड्रमंड के देखभाल में रखा गया था. जिन्होंने उन्हें पढ़ना-लिखना सिखाया और उन्हें पश्चिमी विचारों और आदर्शों में ढालावो कथित तौर पर शर्मीली नहीं थीं. वो नियमित रूप से शाही जलसों में दिख जाती थींशराब पीती थीं और अंग्रेजों के साथ डांस करती थीं. इससे उनकी जिंदगी स्वाभाविक रूप से प्रेस की नजरों में आ गई. इस समय के आसपास, वो बीमार रहने लगीं.

गौरम्मा अकेली नहीं थीं. महारानी विक्टोरिया ने साम्राज्य के चारों तरफ से कई युवा राजघरानों को अपने परिवार की उदार छवि पेश करने के लिए वॉर्ड और गॉडृ-चिल्ड्रेन के रूप में अपनाया था. उनमें से महल में दलीप सिंह और सारा बोनेटा फोर्ब्स अन्य ‘रॉयल्स ऑफ कलर’ थे.

सिख साम्राज्य के अंतिम राजा महाराजा दलीप सिंह को हराया गया. उन्हें ईसाई धर्म में परिवर्तित कराया गया और मई 1854 में 15 वर्ष की उम्र में उन्हें लंदन भेज दिया गया. जल्द ही उन्हें महारानी विक्टोरिया ने गोद ले लिया. उन्हें पर्थशायर के 'ब्लैक' राजकुमार का उपनाम दिया गया. रानी और पूरे शाही परिवार ने उनकी शादी गौरम्मा से करवा दी.

“क्वीन विक्टोरिया का मानना था कि अगर ईसाई धर्म में परिवर्तित दो राजसी लोग विवाह करते हैं और उनके बच्चे ईसाई पैदा हुएतो इससे अधिक लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रोत्साहन मिलेगा”
सीपी बेलिअप्पा, लेखक, विक्टोरिया गौरम्मा: द लॉस्ट प्रिंसेस ऑफ कूर्ग

लेकिन दोनों ने खुद को एक दूसरे के लिए सही नहीं पाया और दोस्त बने रहें. उन्नीस साल की गौरम्मा 50 साल के कर्नल जॉन कैंपबेल के प्यार में पड़ गईं और 1860 में शादी कर ली. अगले साल गौरम्मा ने अपनी बेटी एडिथ को जन्म दिया.

'शाही' होने के बावजूद, क्वीन के गॉड-चिल्ड्रेन को कमतर आंका जाता था और 'दूसरे कट्टरपंथी' के रूप में देखा जाता था . गौरम्मा को कथित तौर पर उनके पिता और परिवार से मिलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.

“गौरम्मा एक मॉडल एंग्लिसाइज राजकुमारी बनने के लिए उनपर बनाए गए दबाव से जूझती रहींविक्टोरिया ने स्वेच्छा से गौरम्मा को शाही देखभाल के लिए छोड़ दिया लेकिन उनको अपने पिता और परिवार के साथ किसी भी प्रकार से संपर्क बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. गौरम्मा को फॉस्टर फैमिली से फैमिली में स्थानांतरित कर दिया गया था क्योंकि उसके देखभाल करने वालों ने शाही वार्ड बढ़ाने की लागत और मांगों के साथ संघर्ष करना शुरू कर दिया था. इसके बाद गौरम्मा ने बार-बार भागने की कोशिश की थी.”
डॉ. प्रिया अटवाल, इतिहासकार

गौरम्मा प्यार पाने के लिए बेताब थीं. एक परिवार और एक घर जिसे वो अपना कह सकती थीं. वो गोपनीय और स्वतंत्र जीवन चाहती थीं लेकिन उनकी जिंदगी एक गुम किशोरी के रूप में खत्म हो गई. उनके पति जुआ खेलते थे और उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं देते थे. उन्हें जल्द ही एहसास हुआ ही वो बिना प्यार वाली शादी में फंस गई हैं.

30 मार्च 1864 को, राजकुमारी विक्टोरिया गौरम्मा अपने 23 वें जन्मदिन से कुछ महीने पहले  ट्यूबरक्लोसिस की वजह से जिंदगी की जंग हार गईं. और उनके पति उनकी मौत के तुरंत बाद उनके सारे गहने और पैसे लेकर गायब हो गए.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT