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कैमराः शिव कुमार मौर्य
वीडियो एडिटरः संदीप सुमन
जकार्ता में 2018 के एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली स्वपना बर्मन ने भारतीयों का परिचय एक अलग खेल से कराया- हेप्टाथलॉन. एथलेटिक्स में कमजोर भारत के लिए ट्रैक-एंड-फील्ड में गोल्ड अपने आप में बड़ी उपलब्धि रहती है. फिर उसमें भी एक ऐसा इवेंट जिसके बारे में बहुत कम भारतीयों को पता है.
स्वपना बर्मन इस खेल को सबसे मुश्किल खेलों में से एक बताती है. अगर इस खेल पर दौर किया जाए, तो उनकी बात सही भी लगती है.
एक एथलीट को इन सभी इवेंट्स में हिस्सा लेना होता है और इनमें किए प्रदर्शन से हासिल किए प्वाइंट्स के आधार पर ही विजेता तय होता है.
स्वपना के दोनों पैरों में 6-6 उंगलियां है. इतना ही नहीं, उनका कद भी ऐसा नहीं है कि कोई कहे कि एथलीट है. इस कारण ही उन्हें लोगों ने कई बार कहा कि वो आगे चलकर सफल नहीं हो पाएगी. इसके बावजूद स्वपना ने हर तरह की तकलीफ और लोगों की धारणाओं से लड़ते हुए अपने लिए जगह बनाई. स्वपना कहती हैं कि वो खुद के लिए एकदम ‘परफेक्ट’ हैं.
पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी से आने वाली 22 साल की स्वपना बर्मन ने अपनी शुरुआत ऊंची कूद से की थी. स्वपना बताती हैं कि कि स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) में जब वो पहुंची तो उनके कोच ने भी सवाल उठाया, लेकिन उनकी ही सलाह ने स्वपना का करियर बदल दिया.
स्वपना पिछले कुछ वक्त से चोट से जूझ रही हैं और इस साल सिर्फ 2 ही इवेंट में हिस्सा ले सकीं. अप्रैल में हुई एशियन चैंपियनशिप में उन्होंने 5993 प्वाइंट्स के साथ सिल्वर जीता. हालांकि ये ओलंपिक क्वालिफिकेशन के लिए जरूरी 6420 प्वाइंट्स से कम है.
स्वपना मानती हैं कि अभी वो इस लक्ष्य से कुछ दूर हैं, लेकिन वो इसके लिए तैयारी कर रही हैं. वो कहती हैं, “अगर मेरा लक्ष्य ओलंपिक है, तो अभी मैं उसके लिए चोट से उबर रही हूं. मैं अभी उससे कुछ दूर हूं, लेकिन जो भी जरूरी होगा उसके लिए मैं कोशिश करूंगी.”
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