advertisement
अनामिका (बदला हुआ नाम) की दर्दनाक कहानी की शुरूआत उसके बचपन से हो जाती है. वो बताती है, “पहली बार मेरा पीछा तब किया गया जब पांचवी क्लास में थी. मुझे बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था कि मेरे आसपास ये क्या हो रहा है. लेकिन, इतना तय था कि वो कुछ गलत कर रहा था.”
बचपन में दो बार ऐसे मौके आए जब अनामिका को स्टॉक किया गया. दोनों ही बार, स्टॉकर ने लंबे वक्त तक उसे परेशान किया. उसके जेहन में ये बुरी यादें हमेशा के लिए कैद हो चुकी थीं.
अनामिका बताती हैं:
ये घटनाएं भले कई साल पहले हुई हों, हर घटना ने अनामिका को इस कदर झकझोर दिया है कि उसे आज भी बेखौफ होकर घर से बाहर निकलने में मुश्किल होती है. क्विंट ने टॉकिंग स्टॉकिंग सीरीज के दूसरे एपिसोड में, अनामिका को शामिल किया ताकि वो सालों पुरानी चुप्पी को तोड़ सके और इन घटनाओं से उबर सके.
ऋचा अनिरुद्ध और मनोवैज्ञानिक निवेदिता सिंह ने अनामिका की कहानी सुनी और उसे उन चीजों और तरीकों के बारे में बताया जिनके जरिए बिना डर के जिंदगी जीने में मदद मिल सके.
साइकोलॉजिस्ट निवेदिता सिंह ने स्टॉकर की दिमागी हालत पर भी खुलकर बात की. इसके अलावा उन इशारों और लक्षणों के बारे में भी जो पैरेंट्स को बच्चे की परेशानी की हालत में दिखने चाहिए.
क्या आप जानते हैं कि स्टॉकिंग एक जमानती अपराध है. जिसकी वजह से स्टॉकर, बिना किसी गहरी जांच-पड़ताल के जमानत पर छूट जाते हैं. इसका एक असर ये भी होता है कि स्टॉकिंग का सामना करने वाले लोगों के लिए बड़ा खतरा पैदा हो जाता है जैसे एसिड अटैक, रेप या हत्या तक.
यही वजह है कि क्विंट ने वर्णिका कुंडू के साथ मिलकर change.org पर एक पिटीशन जारी की है. क्विंट इस पिटीशन के जरिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह से अपील करता है कि स्टॉकिंग को एक गैर-जमानती अपराध बनाने संबंधित कानून जल्द से जल्द लाया जाए.
कैमरामैन- अतहर राथर, अभिषेक रंजन, शिव कुमार मौर्या
वीडियो एडिटर- राहुल सांपुई
प्रोड्यूसर- गर्विता खैबरी
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)