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रेडियो सिटी की RJ गिन्नी के साथ स्टॉकिंग पर ये बात सुनना जरूरी है

रेडियो पर क्विंट के कैंपेन से जुड़ रहे हजारों लोग

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स्टॉकिंग के मुद्दे पर क्विंट के लीगल कॉरसपॉन्डेंट वकाशा ने की RJ गिन्नी से बात
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स्टॉकिंग के मुद्दे पर क्विंट के लीगल कॉरसपॉन्डेंट वकाशा ने की RJ गिन्नी से बात
(फोटो: क्विंट)

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Talking Stalking अभियान में क्विंट के साथ अब रेडियो सिटी भी जुड़ गया है. मशहूर RJ गिन्नी लगातार अपने शो के जरिए इस बारे में बात कर रही हैं. वो ऐसे लोगों को सामने आने और चुप्पी तोड़ने के लिए उत्साहित कर रही है जिन्होंने कभी न कभी स्टॉकिंग का सामना किया है.

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शो को अब तक मिला रिस्पॉन्स बेहतरीन रहा है. शो पर कॉल करने वाले अपनी कहानियां बांट रहे हैं. कहानियां जिनमें दर्द है, गुस्सा है, हताशा भी. ये कहानियां झकझोरने वाली हैं. कुछ का बचपन में लगातार पीछा किया गया और वो अपने मां-बाप को इस बारे में नहीं बता पाए. जो बता पाए उन्हें मां-बाप ने ये कहकर चुप करा दिया कि तुम्हारी गलती रही होगी. कुछ लोगों ने शो पर ये भी बताया कि इस बारे में किसी से बात करना कितना मुश्किल होता है. अक्सर ये भी कह दिया जाता है कि स्टॉकिंग से तो कोई खास नुकसान नहीं होता.

RJ गिन्नी अपने शो के जरिए न सिर्फ स्टॉकिंग का सामना करने वालों को साथ होने का एहसास देती हैं बल्कि खुलकर अपनी बात कहने यानी चुप्पी तोड़ने का मंच भी देती हैं.

RJ गिन्नी के साथ क्विंट का रेडियो कैंपेन

क्विंट के लीगल कॉरसपॉन्डेंट, वकाशा सचदेव, गिन्नी के शो पर पहुंचे और स्टॉकिंग को गैर-जमानती अपराध बनाए जाने के पीछे की वजहों पर चर्चा की. वकाशा ने श्रोताओं के उन सवालों के जवाब भी दिए जिनमें कानून के गलत इस्तेमाल की आशंका जताई गई थी.

स्टॉकिंग को गैर-जमानती बनाने का ये मतलब कतई नहीं कि इस अपराध के आरोपी को कभी जमानत नहीं मिल पाएगी. फर्क ये पड़ेगा कि जमानत के लिए कोर्ट में साबित करना होगा कि पीड़ित को आरोपी से कोई खतरा नहीं है. ये स्टॉकिंग के मामलों में एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि ज्यादातर केस में स्टॉकर, पीड़ित के पीछे पागल होते हैं. इस पागलपन में वो पीड़ित के साथ रेप, एसिड अटैक या मर्डर जैसे अपराध भी कर सकते हैं.

कानून के गलत इस्तेमाल की आशंका के जवाब में वकाशा ने बताया:

आंकड़े बताते हैं कि ये आशंका काफी हद तक सही नहीं है. प्राइवेट बिल के तौर पर संसद में पेश करने के लिए जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है उसमें कई सेफगार्ड भी मौजूद हैं. इसमें स्टॉकिंग की परिभाषा बदलना भी शामिल है. इसके अलावा आईपीसी के तहत, गलत केस दायर करना भी अपराध की श्रेणी में आता है. ऐसे में अगर किसी के खिलाफ झूठा केस किया जाता है तो उसके पास कई विकल्प मौजूद रहेंगे.

क्या है Talking Stalking कैंपेन?

स्टॉकिंग को गैर-जमानती अपराध बनवाने के लिए क्विंट एक मुहिम चला रहा है जिसका नाम है- Talking Stalking. इसके तहत महिलाओं और पुरुषों को इस बात के लिए प्रेरित किया जा रहा है कि वो स्टॉकिंग को खामोशी से झेलने की बजाय उस पर चुप्पी तोड़ें. इस मुहिम में क्विंट को लोगों का पूरा समर्थन मिल रहा है. इसका सुबूत हैं एक लाख से ज्यादा सिग्नेचर जो, change.org वेबसाइट पर हमारी पिटिशन को अब तक मिल चुके हैं. जाहिर है, लाखों लोग उम्मीद भरी निगाहों से क्विंट और वर्णिका कुंडु की इस पहल को अंजाम तक पहुंचते देखना चाहते हैं, जिसकी मंजिल है- स्टॉकिंग को गैर जमानती अपराध बनवाना.
क्विंट को इस मिशन में डॉ. शशि थरूर और कामिनी जायसवाल का पूरा समर्थन मिल रहा है. संसद के बजट सत्र में शशि थरूर क्विंट के ड्राफ्ट को एक प्राइवेट बिल की तरह पेश करने की तैयारी में हैं. वहीं, इस ड्राफ्ट को स्टॉकिंग पीड़ितों के लिए दमदार और अपराधियों के लिए मुसीबत बनवाने में क्विंट की मदद की है वरिष्ठ वकील कामिनी जायसवाल ने.

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Published: 17 Jan 2018,03:44 PM IST

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