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द नीलेश मिसरा शो: माउंट एवरेस्ट से बुलंद प्रिया के इरादे

प्रिया को उसकी मां ने कूड़े के ढेर पर छोड़ दिया था....

नीलेश मिसरा
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प्रिया का सपना बहुत ऊंचा, एवरेस्ट जैसा नहीं बल्कि एवरेस्ट ही!
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प्रिया का सपना बहुत ऊंचा, एवरेस्ट जैसा नहीं बल्कि एवरेस्ट ही!
(फोटो: द नीलेश मिसरा शो)

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हमारे हीरो हमारे आसपास रहते हैं, अपनी छोटी-छोटी लड़ाइयां लड़ते हुए, अपने लिए नए रास्ते बनाते हुए, दूसरों को नए रास्ते दिखाते हुए...पर अक्सर हम अपने आसपास रहने वाले उन हीरोज को नजरअंदाज कर देते हैं. ‘द नीलेश मिसरा शो’ ऐसे ही हीरोज को आपके सामने लेकर आ रहा है. इस शो के हर एपिसोड में उन लोगों की, उन मुद्दों की बात होगी, जो बदलते हुए भारत का आईना हैं, जो आने वाले कल की उम्मीद हैं. ऐसे अनसंग हीरो, वो आम से दिखने वाले लोग जो दुनिया में जज्बा भरते हैं. वो मुद्दे जो आपकी जिंदगी पर सीधा असर डालते हैं, वो कहानियां जो कही ही नहीं गईं, आपको सुनाएगा और दिखाएगा ये खास शो. देश के सबसे बड़े रुरल मीडिया प्लेटफार्म गांव कनेक्शन और क्विंट आपके लिए हर हफ्ते लेकर आएंगे ‘द नीलेश मिसरा शो’.

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'द नीलेश मिसरा शो' के पहले एपिसोड की स्टार हैं प्रिया कुमारी. गांवों और छोटे-छोटे कस्बों से निकली इस तीन लड़की ने समाज के बनाए नियमों को मानने से इनकार करके अपने लिए नए नियम बनाए.

प्रिया कुमारी

ये एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसके लिए कुदरत और दुनिया ने सारे रास्ते बंद कर दिए थे, लेकिन इस लड़की ने अपनी हिम्मत से अपने लिए पगडंडियां बना डालीं. उत्तर प्रदेश के सोनभद्र की रहने वाली प्रिया कुमारी एथलीट बनना चाहती है, एवरेस्ट पर चढ़ना चाहती है. वो माउंटेनयरिंग के शुरुआती कोर्स कामयाबी से पूरा कर चुकी है. और अब 'मिशन एवरेस्ट' में जुटी है. जहां से प्रिया आती है, वहां लड़कियों का स्कूल तक जा पाना भी एवरेस्ट फतह करने से कम नहीं है. लेकिन एक छोटे से गांव में रहकर भी प्रिया ने एक बड़ा सपना देखा और सिर्फ अपने दम पर उस सपने को पूरा करने निकल गई.

प्रिया का सपना बहुत ऊंचा, एवरेस्ट जैसा नहीं बल्कि एवरेस्ट ही!(फोटो: द नीलेश मिसरा शो)
प्रिया की मां उसे जन्म देते ही मरने के लिए कूड़े के ढेर पर छोड़कर चली गईं. उसे एक महिला सामाजिक कार्यकर्ता ने उठाया और मां बनकर पाला. प्रिया जब सिर्फ 16 साल की थी, जब उसे पालने वाली मां की भी मौत हो गई. उसके एक मात्र रिश्तेदार बचे मामा के लड़के उसकी प्रॉपटी के दुश्मन बन गए थे. वो शादी कर प्रिया की जिम्मेदारी से मुक्ति चाहते थे, प्रिया एवरेस्ट की सफेद चादर पर तन के खड़े होना चाहती थी. मार-पीट, धमकी से सिलसिला आगे बढ़ गया और एक दिन प्रिया अपना घर छोड़कर भाग आई.

जेब में करीब 100 रुपए, थोड़ी सी भूख, पकड़े जाने का डर और आंखों में कई सपने, मंजिल तक पहुंचने का जुनून लिए, वो उन्हीं पैसों के सहारे दिल्ली पहुंची, फिर एक एनजीओ की मदद से देहरादून में माउंटेनयरिंग का कोर्स किया. प्रिया हिमालय की कुछ चोटियों पर चढ़ चुकी है, लेकिन आज भी उसके लिए माउंट एवरेस्ट चढ़ना उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा मकसद है.

(अापके आसपास कितने लोग होंगे जो चुपचाप एक नया सपना गढ़ रहे हैं, उसे पूरा करने के लिए मेहनत कर रहे हैं और उसे सच भी कर रहे हैं. हो सकता है, आप उन्हें जानते हों. हो सकता है, आप भी उनमें से एक हों. समाज के बनाए नियमों से परे जाकर, अगर आप भी लड़ रहे हैं अपने हक की लड़ाई और खींच रहे हैं एक नई लकीर तो हमें लिख भेजिए अपनी कहानी, myreport@thequint.com पर. हम दुनिया तक पहुंचाएंगे, आपकी कहानी. )

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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