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कैमरापर्सन: शफत हुसैन
वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
प्रोड्यूसर: त्रिदिप के मंडल
ये कहानी है कश्मीर के पहलगाम में रहने वाली रुबीना की, आप उसे बर्फ पर एक खरगोश के साथ खड़ा देख सकते हैं. अपने 8 सदस्यों के परिवार में रुबीना अकेली कमाने वाली हैं. रुबीना के परिवार में उनकी मां, बीमार पिता और 5 भाई-बहन हैं. रुबीना खुद 10 साल की है और उनके दोस्त हैं खरगोश, रुबीना और खरगोश इस परिवार के हर छोटी बड़ी जरूरतें पूरी करते हैं.
रुबीना, पहलगाम में टूरिस्ट को अपने खरगोश देकर उन्हें फोटो लेने के लिए देती हैं, जिसके बदले उसे पैसे मिलते हैं, और यही एक जरिया है जिससे उसका घर चलता है
6 साल पहले रुबीना को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी, क्योंकि उनके पिता अब्दुल मजीद अवान को अस्थमा की शिकायत थी. अब्दुल बकरवाल समाज से हैं जिनका पुश्तैनी काम है भेड़ों का है, जिसके लिए उन्हें दूर दूर तक सफर करना पड़ता है. लेकिन अस्थमा के बाद अब्दुल ज्यादा चल नहीं सकते और न ही ज्यादा ऊंचाई पर जा सकते हैं, इसकी वजह से उन्हें अपने काम छोड़ना पड़ा.
अवान परिवार पहलगाम के जंगलों में मिटटी से बने घर में रहता है, टूरिस्ट प्लेस होने के कारण यहां कई लोग आते हैं और रुबीना बर्ग में अपने खरगोश के साथ जाती हैं और टूरिस्ट को खरगोश को खिलाने के लिए और फोटो के लिए देती है, जिसके बदले उसे पैसे मिलते हैं. टूरिस्ट उसे पोज करने के 10-30 रुपये दे देते हैं. रुबीना करीब 200 से 300 रुपये कमा लेती है. लेकिन COVID-19 के कारण उसकी कमाई पर असर पड़ा है. रुबीना के परिवार को बेहतर दिनों का इंतजार है लेकिन तब तक उन्हें रुबीना और खरगोश पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है.
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