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पश्चिमी यूपी के धार्मिक दंबग के दूसरे एपिसोड में द क्विंट इस क्षेत्र में पनप रहे कट्टर हिंदू संगठनों की तलाश में निकल पड़ा है. (यूपी के धार्मिक दबंग पार्ट-1 देखने के लिए यहां क्लिक करें). दूसरे एपिसोड में क्विंट के कैमरे में पश्चिमी यूपी का एक ऐसा सच कैद है जो आपको हैरान कर देगा. पश्चिमी यूपी के ये कट्टर संगठन सिर्फ घर घर जाकर अपनी सेना तैयार नहीं करते, बल्कि सोशल मीडिया के जरिए अपने संदेश को बड़े पैमाने पर फैला रहे हैं.
स्वामी नरसिम्हानंद सरस्वती गाजियाबाद के एक मंदिर के मुख्य पुजारी हैं और साथ में इलाके के कई कट्टर हिंदू संगठनों के वैचारिक नेता भी. सरस्वती काफी हाई-टेक बाबा हैं, साथ में टैबलेट लेकर घूमते हैं और दावा करते हैं कि उनके पास मास्टर्स इन टेक्नोलॉजी की डिग्री है. सरस्वती न सिर्फ सोशल मीडिया की पैरवी करते हैं बल्कि ये मानते भी हैं कि इंटरनेट के जरिए इस्लाम से पैदा होने वाले खतरों को बेहतर समझा जा सकता है.
पश्चिमी यूपी में हिंदू कट्टरपंथ की जड़ें दरअसल यहां के सांप्रदायिक इतिहास से जुड़ी हैं. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 साल में पश्चिमी यूपी में सबसे ज्यादा सांप्रदायिक हिंसा के मामले दर्ज हैं. 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों में तकरीबन 60 लोगों की मौत हुई थी और 5000 लोग घर बेघर हो गए थे. चेतना कहती हैं ये मरने या मारने का वक्त है. उनका दावा है कि मुजफ्फरनगर दंगों में एेके-47 (हम इसकी पुष्टि नहीं करते) का इस्तेमाल हुआ था. और अपने हिंदू कैडर को मिलिट्री ट्रेनिंग देने के लिए वो यही दलील देती हैं कि अगर हिंदुओं को हथियारों की ट्रेनिंग नहीं दी जाएगी तो उनकी जान को खतरा है.
पश्चिमी यूपी के धार्मिक दबंग के तीसरे एपिसोड में हम आपको राजधानी दिल्ली से सटे एक और ट्रेनिंग सेंटर पर ले चलेंगे जहां ओलंपिक मेडल का सपना देखने वाले नौजवान पहलवानों को ISIS के खिलाफ तैयार करने की कोशिश की जा रही है.
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