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बनारस में वकालत कर रहे है श्यामजी उपाध्याय पिछले 38 साल से संस्कृ भाषा में ही वकालत कर रहे हैं.
आज के जमाने में लुप्त होती संस्कृत भाषा पर वो चिंतित भी हैं और बेफिक्र भी. रोजाना बच्चों को मुफ्त संस्कृत पढ़ाकर वो इस भाषा के प्रचार- प्रसार के लिए काम भी कर रहे हैं.
कोर्टरुम में जज उनकी इस कोशिश से इतने प्रभावित हो जाते हैं कि वो भी फैसला या ता संस्कृत में सुनाते हैं या फिर हिंदी नें.
1978 से संस्कृत का दामन उन्होंने थामा है और अबतक 60 उपन्यास वो संस्कृत में लिख चुके हैं. उन्हें केंद्र सरकार ने 2003 में संस्कृत मित्रम सम्मान से भी नवाजा है.
श्यामजी का ये दावा है कि आज के जमाने में वो देश के इकलौते ऐसे वकील हैं जो कोर्ट में संस्कृत में जिरह करते हैं और उनकी ये मांग है कि इसके लिए उनका नाम गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी शामिल किया जाए.
शायद इस तरीके से ही सही कम से कम लोगों में संस्कृत के प्रति उत्सुकता तो बढ़ेगी.
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