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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र बनारस में गंगा नदी के अस्सी घाट के एक तरफ क्रूज शिप लाइन में खड़े हैं जिनपर बैठकर पर्यटक गंगा के नजारों का लुत्फ उठाते हैं. वहीं दूसरी तरह गंगा और बनारस का दूसरा पहलू भी नजर आता है, जहां पर 80 नगवा नाले का पानी नदी में बहता दिखता है. नाले का पानी गंदा और बिल्कुल काला है, जिसमें से बद्बू आती है. इस नाले में पूरे जिले की एक तिहाई गंदगी आती है.
सरकार द्वारा गंगा नदी की सफाई को लेकर बड़े-बड़े दावे किए गए थे. सरकार अपने दावों पर कितनी खरी उतरी है, इस पर द क्विंट ने वहां के लोगों से बात की. आइए जानते हैं गंगा के सफाई की हकीकत...
महामना मालवीय गंगा रिसर्च सेंटर, बीएचयू के चेयरमैन बीडी त्रिपाठी ने द क्विंट से बात करते हुए कहा कि इतने ट्रीटमेंट प्लांट्स के बावजूद गंगा में ऑफिसियल, अनऑफिसियल जितनी भी रिपोर्ट्स आ रही हैं उन सबमें आप देखेंगे कि पूरा ट्रीटमेंट न होकर पार्शियल ट्रीटमेंट हो रहा है. छोटे बड़े नाले से आज भी गंगा में गंदा पानी जा रहा है.
अधिकारियों ने भी माना कि बिना ट्रीट किया हुआ 100 एमएलडी सीवेज का पानी सीधे गंगा में छोड़ा जा रहा है.
आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर विश्वंभर नाथ मिश्र ने कहा कि हमने मांग की है कि गंगा नदी में नाले का एक बूंद पानी भी नहीं जाना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि...
उन्होंने आगे कहा कि लोगों को बूंद-बूंद पानी की कीमत समझनी चाहिए.
बता दें कि स्थानीय लोगों के मुताबिक गंगा की सफाई के मामले में पहले के मुकाबले स्थिति में सुधार आया है लेकिन अभी भी कमी है.
नाविक भूमि निषाद कहते हैं कि घाट के किनारे पहले लोग ट्वायलेट कर देते थे लेकिन अब कोई नहीं करता है.
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