Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019UP Election 2022: वाराणसी शहर की गंदगी 'पवित्र गंगा' में क्यों डाली जा रही है?

UP Election 2022: वाराणसी शहर की गंदगी 'पवित्र गंगा' में क्यों डाली जा रही है?

विशषज्ञों का कहना है कि नाले का पानी पूरी तरह से ट्रीट नहीं हो पाता है.

पीयूष राय
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UP Election 2022: वाराणसी शहर की गन्दगी गंगा में क्यों डाली जा रही है?

(फोटो- क्विंट हिन्दी)

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र बनारस में गंगा नदी के अस्सी घाट के एक तरफ क्रूज शिप लाइन में खड़े हैं जिनपर बैठकर पर्यटक गंगा के नजारों का लुत्फ उठाते हैं. वहीं दूसरी तरह गंगा और बनारस का दूसरा पहलू भी नजर आता है, जहां पर 80 नगवा नाले का पानी नदी में बहता दिखता है. नाले का पानी गंदा और बिल्कुल काला है, जिसमें से बद्बू आती है. इस नाले में पूरे जिले की एक तिहाई गंदगी आती है.

विशषज्ञों का कहना है कि नाले का पानी पूरी तरह से ट्रीट नहीं हो पाता है. आधा-अधूरा ट्रीट किया हुआ नाले का पानी गंगा नदी में डिस्चार्ज हो जाता है.

गंगा सफाई पर कितनी सही है सरकार?

सरकार द्वारा गंगा नदी की सफाई को लेकर बड़े-बड़े दावे किए गए थे. सरकार अपने दावों पर कितनी खरी उतरी है, इस पर द क्विंट ने वहां के लोगों से बात की. आइए जानते हैं गंगा के सफाई की हकीकत...

गंगा की सफाई को लेकर सरकार ने करोड़ों रूपए खर्च किए लेकिन वाराणसी में अभी भी नाले का गंदा पानी सीधे गंगा में छोड़ा जा रहा है.

महामना मालवीय गंगा रिसर्च सेंटर, बीएचयू के चेयरमैन बीडी त्रिपाठी ने द क्विंट से बात करते हुए कहा कि इतने ट्रीटमेंट प्लांट्स के बावजूद गंगा में ऑफिसियल, अनऑफिसियल जितनी भी रिपोर्ट्स आ रही हैं उन सबमें आप देखेंगे कि पूरा ट्रीटमेंट न होकर पार्शियल ट्रीटमेंट हो रहा है. छोटे बड़े नाले से आज भी गंगा में गंदा पानी जा रहा है.

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ट्रीटमेंट प्लांट तो बन गए लेकिन प्लांट तक जाने के लिए जिस लेवल के सीवरलाइन की व्यवस्था होनी चाहिए थी वो व्यवस्था शायद नहीं हो पाई.
बीडी त्रिपाठी, चैयरमैन, महामना मालवीय गंगा रिसर्च सेंटर, बीएचयू

अधिकारियों ने भी माना कि बिना ट्रीट किया हुआ 100 एमएलडी सीवेज का पानी सीधे गंगा में छोड़ा जा रहा है.

विशेषज्ञों की मांग: गंगा में न जाए नाले का पानी

आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर विश्वंभर नाथ मिश्र ने कहा कि हमने मांग की है कि गंगा नदी में नाले का एक बूंद पानी भी नहीं जाना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि...

अगर ये सीवेज गंगा में जाकर मिल गया तो इसके बाद दुनिया में कोई ऐसी टेक्नोलॉजी नहीं है कि आप इस गंदगी को नदी से अलग कर सकें...गंगा के पूरे पानी का ट्रीटमेंट नहीं किया जा सकता है. बेहतर है कि उसको नदी में जाने ही न दिया जाए, ये तभी हो सकता है जब इस सही तरह से पाबंदी लगाई जाएगी.

उन्होंने आगे कहा कि लोगों को बूंद-बूंद पानी की कीमत समझनी चाहिए.

बता दें कि स्थानीय लोगों के मुताबिक गंगा की सफाई के मामले में पहले के मुकाबले स्थिति में सुधार आया है लेकिन अभी भी कमी है.

नाविक भूमि निषाद कहते हैं कि घाट के किनारे पहले लोग ट्वायलेट कर देते थे लेकिन अब कोई नहीं करता है.

यहां पर घाट के किनारे पेशाबखाना नहीं है इसकी समस्या है क्योंकि अगर यात्री आएंगे तो कहां पेशाब करेंगे.

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Published: 06 Mar 2022,03:09 PM IST

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