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जोया अख्तर की फिल्म 'जिंदगी न मिलेगी दोबारा' में फरहान अख्तर का किरदार, रघुपति सहाय 'फ़िराक' का ये शेर पढता है.
28 अप्रैल, 1896 में जन्मे फिराक, उर्दू के एक ऐसे शायर रहे हैं, जिन्होंने अपनी 'सेक्युलर' भारत के आइडिया को अपनी शायरी में आगे से आगे रखा. 3 मार्च 1982 को फिराक का निधन दिल्ली में हुआ था. और आज उनकी 39 वी पुण्यतिथि पर, सुनिए इस महान शायर की कविता 'हिंडोला', उर्दुनामा की इस वीडियो में.
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