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उत्तर प्रदेश में हो रहा लोकतंत्र का चीर हरण?⁩

Uttar Pradesh ब्लॉक प्रमुख चुनाव के दौरान जमकर हिंसा हुई.

शादाब मोइज़ी
वीडियो
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<div class="paragraphs"><p>Uttrar Pradesh ब्लॉक प्रमुख चुनाव के दौरान जमकर हिंसा हुई.</p></div>
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Uttrar Pradesh ब्लॉक प्रमुख चुनाव के दौरान जमकर हिंसा हुई.

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

हजरात, हजरात, हजरात.. ये उत्तम प्रदेश है.. जहां गुंडे या तो राज्य छोड़कर भाग गए हैं, या जेल भेज देने की गुहार लगा रहे हैं.. बम-वम, गोली-वोली, पत्थर-थप्पड़ की जो आवाज आप सुन रहे हैं, वो 'स्पेशल इफेक्ट' है... जैसे पुरानी फिल्मों में एक्शन सीन में ढिशुम-ढिशुम की आवाज आती थी, ये जो गुंडागर्दी आप देख रहे हैं वो ग्राफिक्स एनिमेशन के जरिए क्रिएट किया गया है!


जी नहीं यूपी को ‘’बदनाम’’ करने के लिए ये सब नहीं रचा गया है. चूंकि बदमाशों ने ‘संन्यास’ ले लिया है सो बदमाशी करने की सुपारी नेताओं ने ले ली है.

उत्तर प्रदेश में ब्लॉक प्रमुख चुनाव (Uttar Pradesh Block Pramukh Election) के दौरान जमकर हिंसा हुई. वो सब कुछ हुआ जो किसी action crime thriller वेब सीरीज में होता है.. एक मामूली ब्लॉक प्रमुख चुनाव में महिला का चीर हरण, पुलिस वाले को थप्पड़, दिन दहाड़े सबके सामने किडनैपिंग की कोशिश, नेताओं के सामने हाथ जोड़ती पुलिस. लेकिन सरकार है कि 'ऐतिहासिक' जीत मना रही है. अब ये सब होगा तो हम पूछेंगे जरूर जनाब ऐसे कैसे?

चुनाव में जीत सर्वोपरि, जनता डरी-डरी

8 जुलाई 2021 को नॉमिनेशन से शुरू हुई हिंसा, 10 जुलाई को वोटिंग के दौरान भी जारी रही. मारपीट, झड़प, छिनैती, गोलीबारी, किडनैपिंग, बमबारी, पुलिस का लाठी चार्ज. लेकिन जीत जिसके लिए सर्वोपरि हो उसे इन डरावनी, शर्मनाक तस्वीरों से कहां मतलब था.

पीएम से लेकर मंत्री, विधायक, ब्लॉक कार्यकर्ता शुभकामनाएं, हार्दिक आभार, ऐतिहासिक जीत का दावा करने लगे. मानो उत्तर प्रदेश में कुछ हुआ ही न हो..इस बात का जिक्र भी नहीं कि एक दो नहीं दसियों जिले टेंशन जोन में बदल गए. उन्नाव, प्रयागराज, अयोध्या, फिरोजाबाद, बाराबंकी, चंदौली, अमेठी, कानपुर, प्रतापगढ़ सब 'धुंआ-धुंआ'

बंगाल में हिंसा पर हो हल्ला, यूपी में चुप्पी

बंगाल चुनाव में और उसके बाद हुई हिंसा पर राष्ट्रपति शासन और ममता बनर्जी की सरकार को तालिबान से मिलाने वालों को सांप सूंघ गया. एक के बाद एक यूपी में हिंसा की दर्जनों वीडियो सोशल मीडिया पर घूम रही है.

लखीमपुर खीरी में तो हद ही हो गई, उम्मीद्वार ऋतु सिंह की प्रस्तावक अनिता यादव की साड़ी खींचीने की कोशिश की गई. ऐसी ही दरिंदगी उम्मीद्वार ऋतु सिंह के साथ भी हुई. इस मामले में 6 पुलिस वाले सस्पेंड किए गए हैं, कुछ गिरफ्तारियां भी हुई हैं. लेकिन सवाल है कि महिलाएं सुरक्षित हैं का ढोल पीटिए, फिर उनकी इज्जत तार-तार कर दीजिए, और जब वीडियो दुनिया के सामने आ जाए तो सस्पेंशन का स्वांग कर दीजिए. मिल गया इंसाफ?

पत्रकार पर हमला, फिर माफी

पत्रकारों पर भी हमला हुआ. उन्नाव के मियागंज ब्लॉक में CDO दिव्यांशु पटेल ने पत्रकार को थप्पड़ मारा. सब कुछ कैमरे पर रिकॉर्ड हुआ. CDO दिव्यांशु पटेल के साथ-साथ वीडियो में सफेद कुर्ता पजामा में कोई नेता का चेला भी दिख रहा है, जिसने पत्रकार पर हमला बोला. पत्रकार के मुताबिक वो बीजेपी से था. अब CDO दिव्यांशु पटेल ने माफी मांग ली है.


उन्नाव में CDO पीट रहे थे तो इटावा में पुलिस पिट रही है.. इटावा में मतदान केंद्र के पास एसपी सिटी प्रशांत कुमार अपने सीनियर को बता रहे हैं,

'ये लोग पूरा ईंट, पत्थर लेकर आए थे. सर इन्होंने मुझे भी थप्पड़ मारा है. ये लोग बम भी लेकर आए थे. बीजेपी वाले. विधायक और जिलाध्यक्ष.'

यही नहीं इसके बाद एक और वीडियो सामने आया है जिसमें एसपी सिटी BJP MLA सरिता भदौरिया और जिलाध्यक्ष अजय धाकरे के सामने हाथ जोड़ते नजर आए.

समाजिक कार्यकर्ता के खिलाफ NSA, दंगाईयों पर चुप्पी

ये वही पुलिस है जो सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए सरकार की आलोचना करने वालों को गिरफ्तार कर महीनों जेल में डाल देती है. वीडियो शेयर करने पर अपने ही पुराने साथी पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्या प्रताप सिंह के खिलाफ FIR पर FIR करती है.

जो पुलिस सरकार की नीतियों के खिलाफ आंदोलन करने वालों पर NSA और गुंडा एक्ट लगाने में हिचकती नहीं है वो इतनी बेबस है कि शहर दर शहर गोलियां बरसती रहीं, महिलाओं की इज्जत तार तार होती रही लेकिन मजाल है कि कोई बड़ा एक्शन होता.

सवाल यही है कि ये हिंसा क्यों होने दिया गया? क्यों पुलिस के रहते राजनीतिक गुंडे चुनाव का मजाक बनाते रहें? क्या सत्ता पक्ष के समर्थकों की गुंडई माफ है? मामूली पंचायत और ब्लॉक लेवल चुनाव में ये हाल है तो कैसे मान लिया जाए कि आने वाले दिनों में होने वाले विधानसभा चुनाव Violence free होंगे? इमानदारी से होंगे?

सीएम आदित्यनाथ दावा करते रहते हैं कि अब गुंडे भाग गए हैं, या सरेंडर कर रहे हैं तो ये बम बारूद, तमंचे, गोलियां कहां से आ गईं? पुलिस सिस्टम को कैसे नहीं पता लगा कि अलग-अलग जिलों में लोगों के पास इतने हथियार हैं? अगर इन सवालों के जवाब नहीं हैं तो हम पूछेंगे जरूर जनाब ऐसे कैसे?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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