advertisement
कोविड के दौरान ऑक्सीजन से कितनी मौत हुई? पता नहीं -केंद्र सरकार
निर्दय पलायन के कारण कितने मजदूरों की मौत हुई? पता नहीं -केंद्र सरकार
किसान प्रदर्शन के दौरान की मौत का डेटा नहीं -केंद्र सरकार
और अब.. "उत्तर प्रदेश में कोरोना (Corona) की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई.."
आंकड़े छिपाने की ऐसी आदत लगी कि पहले श्मशान घाट में किला बंदी किया ताकि लाशों की कतार न दिखे. फिर बात नहीं बनी तो रेत में दबी लाशें पर से कपड़े नोच लिए और अब तो ये कह दिया कि ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत की कोई जानकारी ही नहीं है. इस बेरहमी पर हम, आप हर संवेदनशील इंसान पूछेगा जरूर, जनाब ऐसे कैसे?
इसी साल अप्रैल महीने में देश ने तड़प, बेचैनी की तस्वीर देखी. लेकिन नहीं दिखी तो उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार को.
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अस्पताल में भर्ती मरीज की मौत होने पर उसका मृत्यु प्रमाण पत्र यानी डेथ सर्टिफिकेट डॉक्टर से लिखकर आता है. उत्तर प्रदेश में अभी तक कोविड-19 के कारण जिन 22915 मरीजों की मौत हुई है उनमें से किसी के भी डेथ सर्टिफिकेट पर कहीं भी ऑक्सीजन की कमी से मौत का जिक्र नहीं है.
अब मंत्री साहब की मासूमियत कहें या फिर ‘जनता कर क्या लेगी? वोट तो एक 'नाम' पर मिल ही जाना है.. वाली सोच है…?
राज्य तो राज्य केंद्र के पास भी ऑक्सीजन की कमी से मरने वालों का डेटा नहीं है.. अभी हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा (Loksabha) में बताया कि सिर्फ पंजाब में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण चार लोगों की मौत हुई है. इससे पहले जुलाई में मोदी सरकार ने भी कहा था कि हमारे पास कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से मरने वालों का आंकड़ा नहीं है..
हमने इससे पहले भी अपने शो जनाब ऐसे कैसे के एक एपिसोड ‘डेटालेस सरकार’ में आपको बताया था कि कैसे सरकार आंकड़ों का हेरफेर कर खुद को बेदाग बताने में लगी है. साल 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा हो या लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की रास्ते में मौत या फिर कोरोना से मरने वाले हेल्थ केयर स्टाफ. सरकार ने किसी का भी डेटा सामने नहीं रखा. दुखद ये है कि सरकार खुद को बेदाग बताने के चक्कर में ऑक्सीजन की कमी से अपनों को खोने वाले परिवारों को झूठा बता रही है, उनके जख्मों को फिर से ताजा कर रही है. इसीलिए शायद अदम गोंडवी ने कहा था-
तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है..
और हम हर झूठे दावों पर पूछते रहेंगे जनाब ऐसे कैसे?
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)