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दुनिया भर में मशहूर वाराणसी के अस्सी घाट को एक बार फिर चमकाने का काम हो रहा है. वाराणसी में अस्सी घाट को मिलाकर गंगा किनारे 84 घाट हैं लेकिन इनमें से ज्यादातर घाट सरकार की अनदेखी की वजह से बदहाल होते जा रहे हैं.
अस्सी घाट के एक हिस्से को 2002 में बनाया गया था जो वाराणसी में सबसे नया घाट माना जाता है. लेकिन इसे लकदक बनाने की पूरी तैयार हो चुकी है. यहां पुराने पत्थरों के ऊपर नए पत्थर लगाए जा रहे हैं. जानकारों का कहना है कि इससे बारिश के दौरान लोगों को काफी दिक्कत होगी.
IIT BHU के प्रोफेसर विश्वंभरनाथ मिश्रा के मुताबिक, घाटों में खुरदुरे पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन
इसी साल मार्च में जब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों भारत दौरे पर आए थे तो उन्होंने काशी में नाव की सैर की थी. इस दौरान टूटे घाटों को ढक दिया गया था. इसके बाद जब प्रशासन पर दबाव पड़ा तो एक-दो घाटों पर मरम्मत का काम शुरू हुआ लेकिन फिर ये काम ठंडे बस्ते में चला गया
वाराणसी, पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र है और अस्सी घाट से ही उन्होंने स्वच्छता अभियान का बड़ा संदेश दिया था. यही वजह है कि राज्य सरकार से लेकर प्रशासन तक सब इसी को चमकाने में लगे हैं. लेकिन बाकी घाटों की हालत काफी खराब है.
लोगों को उम्मीद थी कि नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद घाटों की स्थिति सुधरेगी लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. पीएम की वजह से नेताओं ने घाटों को गोद तो लिया लेकिन काम के नाम पर निराशा ही हाथ लगी. जब घाटों पर काम शुरू नहीं हुआ तो लोगों ने खुद मरम्मत की जिम्मेदारी उठाई.
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