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गुजरात की आवाज: ‘मैं वोट कैसे दूं’, ‘BJP से बहुत उम्मीदें हैं’

‘गुजरात की आवाज’ में जनता बता रही है अपने मुद्दे.

द क्विंट
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‘गुजरात की आवाज’ में जनता बता रही है अपने मुद्दे.
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‘गुजरात की आवाज’ में जनता बता रही है अपने मुद्दे.
(फोटो: द क्विंट)

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गुजरात विधानसभा चुनाव में पूरे देश की दिलचस्पी है. वजह है कि इसे 2019 के आम चुनाव के सेमीफाइनल जैसा माना जा रहा है. तमाम राजनीतिक पार्टियों के नेता जनता को लुभाने के लिए तरह-तरह के बयान दे रहे हैं.

क्विंट ने गुजरात विधानसभा से जुड़ी हर खबर आप तक पहुंचाने की खास तैयारी की है. हम गुजरात की आम जनता से बात करके उसके मन की बात आप तक पहुंचा रहे हैं. ‘गुजरात की आवाज’ में जनता बता रही है अपने मुद्दे.

देखिए शराब से लेकर जीएसटी जैसे मुद्दों पर क्या है लोगों की राय?

'मैं वोट देना चाहती हूं, लेकिन दे नहीं सकती'

कुमकुम कामिनी पवैया ट्रांसजेडर हैं. कुमकुम भी गुजरात विधानसभा चुनाव में वोट देना चाहती हैं, लेकिन वोट नहीं दे सकती, क्योंकि उनके पास कोई दस्तावेज नहीं है.

हमलोग बैंक अकाउंट तक नहीं खुलवा सकते हैं, क्योंकि हमारे पास कोई सही दस्तावेज नहीं है. हमें थर्ड जेंडर के तौर पर अपनाया लिया गया है, तो पूरे तरीके से अपनाना चाहिए, ताकि हम आम जिंदगी जी सकें.
कुमकुम कामिनी पवैया, अहमदाबाद
ट्रांसजेंडर होने पर मुझे काफी परेशानियां उठानी पड़ी हैं. चुनाव में वोट नहीं कर सकती. मैं सरकार से कहना चाहती हूं कि हमें भी वोटिंग का अधिकार दें. हम कभी बाहर जाकर होटल में रुकना चाहें, तो हमारे पास कोई आईडी कार्ड नहीं है, जो दिखा सकें.
कुमकुम कामिनी पवैया, अहमदाबाद

कुमकुम का कहना है कि हर जगह पैसों से काम नहीं बनता है. सरकार के कुछ नियम हैं, वो आईडी मांगते हैं. और वो उन नियमों को मानती हैं.

'मैंने शराब की वजह से कई लोगों को मरते हुए देखा है'

38 साल की मीना एम पटेल सूरत में पशुपालन का व्यापार करती हैं. मीना का कहना है कि नेता दारू देकर बदले में उनसे वोट ले जाते हैं, लेकिन फिर पीछे मुड़कर नहीं देखते हैं. उस दारू की वजह से कई लोगों की मौत हो गई है.

नेता बोलते हैं कि अगर वो जीते, तो गांव का भला करेंगे. ये सब बोलकर हम लोगों से वोट ले जाते हैं और दारू भी दे जाते हैं. लेकिन एक बार जीतने के बाद फिर दोबारा मुड़कर देखते भी नहीं है.
मीना एम पटेल, सूरत

मीना का कहना है कि पुलिस प्रशासन इस मामले में कुछ नहीं करती है.

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'बीजेपी के खिलाफ जा सकते हैं व्यापारी'

43 साल के गणेश जैन सूरत टेक्सटाइल मार्केट के डायरेक्टर हैं. जैन का कहना है कि जीएसटी से कपड़ा इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.

सूरत ने नोटबंदी को झेल लिया. उसके बाद दूसरा झटका जीएसटी का लग गया. मध्यम क्लास के व्यापारी आज भी जीएसटी के खिलाफ हैं और शायद इस वजह से वो बीजेपी के खिलाफ भी जा सकते हैं.
गणेश जैन, सूरत

गणेश जैन ने कहा कि व्यापारियों ने बीजेपी को पूरा सपोर्ट दिया, लेकिन फिर भी बीजेपी ने व्यापारियों के बारे में नहीं सोचा.

'हमें बीजेपी से बहुत उम्मीदें हैं'

45 साल के हरिदास चुनेला गुजरात के वेरावल में मछुआरा हैं. हरिदास इस बार चुनाव में बीजेपी को वोट देना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें बीजेपी से आगे बहुत उम्मीदें हैं. इसी के साथ ही उन्होंने अपनी कुछ मांगे भी रखी हैं.

हमें सरकार की तरफ से मछली पकड़ने के सामान के लिए सब्सिडी मिलनी चाहिए. नए वोट पर सब्सिडी मिलनी चाहिए. लोन की सुविधा होनी चाहिए.
हरिदास चुनेला, वेरावल

हरिदास ने कहा कि जिस तरह किसानों को सब्सिडी मिलती है, उसी तरह उन्हें भी अपने धंधे में सब्सिडी मिलनी चाहिए.

गुजरात की आवाज सुनने के लिए यहां क्लिक करें.

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