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गुजरात की आवाज: ‘विकास को वोट नहीं दूंगी’, ‘जीएसटी समझ नहीं आया’

गुजरात विधानसभा चुनाव से जुड़ी हर खबर आप तक पहुंचाने के लिए क्विंट हिंदी ने खास तैयारी की है.

द क्विंट
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‘गुजरात की आवाज’ में जनता बता रही है अपने मुद्दे
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‘गुजरात की आवाज’ में जनता बता रही है अपने मुद्दे
(फोटो: द क्विंट)

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गुजरात विधानसभा चुनाव दो चरणों में 9 और 14 दिसंबर को होने हैं. सभी राजनीतिक दल चुनावी वादे करने में जुटे हैं और जनता इस चुनाव में अपने मुद्दों पर वोट करने को तैयार है. ऐसे में गुजरात विधानसभा चुनाव से जुड़ी हर खबर आप तक पहुंचाने के लिए क्विंट हिंदी ने खास तैयारी की है. ‘गुजरात की आवाज’ में जनता बताती है अपने मुद्दे.

क्विंट हिंदी, गुजरात के कोने-कोने में लोगों से मिलकर उनकी आवाज आप तक पहुंचा रहा है. तो देखिए- विकास से लेकर जीएसटी जैसे मुद्दों पर क्या है लोगों की राय?

इस बार मैं विकास को वोट नहीं दूंगी: चन्द्रिका पटेल

40 साल की चन्द्रिका पटेल गुजरात के अहमदाबाद में रहती हैं. नोटबंदी से परेशान चन्द्रिका का कहना है कि उनका विकास से भरोसा उठ गया है. इसलिए इस बार 'विकास' को वोट नहीं देंगी.

नोटबंदी के दौरान हम अपना घरबार, बच्चों को छोड़कर बैंकों की लाइन में जाकर खड़े होते थे. देर-देर तक खड़े रहते थे फिर भी पैसों की तंगी रहती थी. कोई काम भी नहीं हो पाता था. रोज टेंशन रहती थी. विकास ने सिर्फ कीमतें बढ़ाई हैं. मैं विकास को वोट नहीं दूंगी.
चन्द्रिका पटेल, अहमदाबाद

इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में चन्द्रिका सोच समझकर वोट देंगी. लेकिन उनका ये साफ-साफ कहना है कि विकास को वोट नहीं देंगी.

मेडिसिन में जीएसटी नहीं होना चाहिए: सतीशभाई

50 साल के सतीशभाई पिछले 35 सालों से दवा के व्यापार से जुड़े हुए हैं. गुजरात के मोरबी में वोट डालते हैं. सतीश का कहना है कि दवाइयों पर अधिक से अधिक 5 फीसदी टैक्स होना चाहिए.

सरकार देश के विकास के लिए जीएसटी लाई. लेकिन दवाई एक ऐसी चीज है कि इसे लोग शौक के लिए नहीं खाते. बीमार पड़ने पर ही खाते हैं. पिछले 35 सालों में दवाई का भाव भी काफी बढ़ गया है.
सतीशभाई, मोरबी

सतीश ने सरकार से गुजारिश की कि पेट्रोल पर टैक्स लेना ठीक है लेकिन दवाइयों में टैक्स या तो नहीं हो या पांच फीसदी से ज्यादा न हो.

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मुझे GST से कोई फायदा नहीं दिखता: बिजनेसवुमन

19 साल की निशि राजपूत गुजरात के सूरत में बिजनेस करती हैं. उन्होंने अपने बिजनेस पर जीएसटी के असर के बारे में बात की.

टेलीकॉम कंपनी में बहुत सारी लड़कियां काम करती हैं. उनकी फिक्स सैलरी होती है. लेकिन उनकी जरूरत सैलरी से ज्यादा होती है. जीएसटी लगने से हमें कोई फायदा नहीं हुआ. गवर्नमेंट सेक्टर वालो की तरक्की हो रही है.
निशि राजपूत, सूरत

निशि से जब पूछा कि वो किस पार्टी को वोट देंगी, तो उन्होंने किसी पार्टी का नाम तो नहीं लिया. लेकिन ये कहा कि जो पार्टी महिलाओं का सम्मान करेगी, उसी को वोट देंगी.

हमारी इकनॉमी अभी डिजिटल नहीं हुई: छात्र

19 साल के रानिल गुजरात के राजकोट में पढ़ाई करते हैं. रानिल ने डिजिटल इकनॉमी का मुद्दा उठाया है.

नोटबंदी से पहले सरकार ने कुछ सोचा नहीं. क्योंकि हमारी इकनॉमी अभी तक डिजिटाइज्ड नहीं हुई है. अशिक्षित लोगों को बैंकिंग सिस्टम नहीं आता है. साथ ही ऐसे लोगों के पास डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, डिजिटल मनी भी नहीं होता.
रानिल, छात्र

रानिल का कहना है कि डिजिटल इकनॉमी की बात की जाती है लेकिन उसके विपरीत सच क्या है, उसके बारे में कोई बात नहीं करता.

मुझे जीएसटी समझ नहीं आया: 68 साल के व्यापारी

68 साल के गोपाल करिया गुजरात में व्यापारी हैं. जीएसटी से उनके बिजनेस पर बहुत असर पड़ा है. इसलिए जीएसटी से उन्हें काफी शिकायत है.

जीएसटी मुझे समझ नहीं आया है. मेरा बिजनेस डाउन हो गया है.
गोपाल करिया, राजकोट
हम उसी को वोट देंगे, जो हमारी परेशानी कम कर पाएगा. जो भ्रष्टाचार या जीएसटी में हमारी मदद कर सकने में सक्षम होगा. उसी को वोट देंगे.
गोपाल करिया, राजकोट

गुजरात की आवाज सुनने के लिए यहां क्लिक करें.

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Published: 02 Nov 2017,08:39 PM IST

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