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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
यहां व्यंग्य की पुरानी और महान परंपरा रही है. ये जो आपको यहां सुनाने जा रहा हूं, इसे वरिष्ठ पत्रकार टीएम वीराराघव ने लिखा है, उनसे इजाजत लेकर हमने ये वीडियो बनाया है.
'जय श्री राम'- मुझे उम्मीद है कि ये नारा मेरे भारतीय और देशभक्त होने के सबूत के तौर पर काफी है.
अगर नहीं है तो प्लीज बताएं.आप भगवान से लेकर इंसान तक, जीवित या दिवंगत जिसकी बोलेंगे, उसके जयकारे लगाने के लिए तैयार हूं. ये साबित करने के लिए कि मैं एक देशभक्त हिंदुस्तानी हूं.
नेहरू, महात्मा गांधी या वीर सावरकर, जैसे वो लोग जो इस दुनिया को छोड़ कर जा चुके हैं. उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप उनके नाम का सम्मान करें या अपमान. इसी तरह भगवान के किसी पूजास्थल को हम बनाएं या तोड़ें, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन दुर्भाग्य से जीवित इंसानों को इससे जरूर फर्क पड़ता है कि उन्हें जीने का हक मिलता है या नहीं, और अगर संभव हो तो शांति से जीने का हक मिलता है या नहीं.
मैं जहां रहता हूं, वो रातों रात राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बन जाता है. उससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि जब इंसाफ देने की नीयत नहीं होती, तो राज्य हो या केंद्र शासित प्रदेश, इंसाफ नहीं मिलता. लेकिन अगर मंशा हो तो इंसाफ कहीं भी मांगा और पाया जा सकता है. इससे भी फर्क नहीं पड़ता कि आप किसी राज्य या व्यक्ति से स्पेशल स्टेटस छीन लें. मेरी अपील तो मामूली सी है कि आप सबको बराबर समझिए, स्पेशल नहीं.
मुझे उम्मीद है कि इतनी सफाइयों के बाद मैं सुने जाने के लायक हो गया हूं.
सरकार आपको बड़ा बहुमत मिला है, और जिन्होंने आपको चुना, उनमें से कुछ, जिन्हें प्यार से हम देशभक्त बुलाते हैं, उनके लिए तो आपकी वंदना ही असली देशभक्ति है. आपका सामर्थ्य इतना व्यापक है कि आप अवैध शरणार्थियों को रखें या निकालें, किसी प्रदर्शनकारी को हिरासत में लें या जाने दें, कोई फर्क नहीं पड़ता.
इसलिए आखिर में मैं यही पूछना चाहता हूं कि क्यों? क्यों मुझे शांतिपूर्ण प्रदर्शन या सुने जाने का हक नहीं है? मेरे नाम से क्या फर्क पड़ता है? मेरे कपड़ों से क्या दिक्कत हो सकती है? बल्कि मैं तो आजकल शेव बनाकर रहता हूं, जीन्स और टी-शर्ट पहनता हूं अक्सर कुर्ता पहनता हूं, डिजाइनर नहीं, सिंपल वाला, लेकिन इससे भी क्या फर्क पड़ता है?
हो सकता है कि मैं अपना सिर या चेहरा पर दुपट्टा या स्कार्फ ओढ़ूं- धर्म की वजह से या हमलावरों से बचने के लिए या सिर्फ पॉल्यूशन से बचने के लिए, लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है?
मैं कामना करता हूं कि आपके 'राष्ट्र' की उम्र 1,000 साल हो, और अभी जैसा हाल विपक्ष का है ये मुमकिन भी लग रहा है.
आपको, ‘हैप्पी न्यू ईयर, जय श्री राम’
- सप्रेम एक भारतीय प्रदर्शनकारी
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