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चुनाव से पहले क्यों बेचैन है शेयर बाजार? यहां मिलेगा हर जवाब

शेयर बाजार के लगातार गिरने का क्या कोई चुनावी कनेक्शन है?

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चुनाव से पहले क्यों बेचैन है शेयर बाजार? यहां मिलेगा हर जवाब
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चुनाव से पहले क्यों बेचैन है शेयर बाजार? यहां मिलेगा हर जवाब
(फोटो: कनिष्क दांगी/क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता

कैमरापर्सन: सुमित बडोला

शेयर बाजार के लगातार गिरने का क्या कोई चुनावी कनेक्शन है? पहले अमेरिका और चीन की ट्रेड वॉर की वजह से बाजार में गिरावट आ रही थी. लेकिन ट्रेड वॉर के नरम पड़ने के संकेत और दुनिया के बाजारों में रिकवरी के बावजूद भारतीय बाजार में गिरावट का दौर जारी है. क्या बाजार को यह लग रहा है कि बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए इस बार सरकार नहीं बना पाएगा. आइए समझते हैं इस गिरावट की असली वजह क्या है?

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गिरावट का पॉलिटिकल कनेक्शन

अपना शेयर बाजार पिछले छह दिनों से लगातार गिर रहा है. पिछले छह दिनों में दो तारीख से FIIs मोटी बिकवाली करके, अपना पैसा लेकर के वापस जा रहे हैं. इसके पहले इन फ्लो था, अब आउट फ्लो हो रहा है.एक नया ट्रेंड आया है. अब बड़े शेयर जैसे रिलायंस, स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई जैसे शेयरों के दाम तीन से पांच परसेंट तक टूट गए हैं.

पहले हम लोगों ने यह सोचा कि ट्रंप ने जो ट्रेड वॉर का जो माहौल बनाया, उसके कारण बाजार गिर रहा है. लेकिन उसके बाद बाकी बाजार सुधर गए. उसके बाद चीन की तरफ से संकेत आए कि शायद ट्रेड वॉर टल जाए आपस में बातचीत हो जाए. उसके क्या आसार हैं, ये तो नहीं मालूम, लेकिन वो एक मुद्दा हो सकता है.

लेकिन शेयर बाजार के बहुत से लोगों से बातचीत करने के बाद हमारा आकलन यह बन रहा है कि बीजेपी को अकेले बहुमत मिल जाने का उनका जो आकलन था उस पर वो पुनर्विचार कर रहे हैं. इन लोगों को लग रहा था कि एनडीए के साथ मिलकर बीजेपी आसानी से सरकार बना लेगी, इसमें कोई दिक्कत नहीं है. अपने इस आकलन पर फिर से विचार कर रहे हैं.

अब तस्वीर का दूसरा पहलू देख रहा है शेयर बाजार

पांचवें चरण की वोटिंग के बाद अब वो ये कह रहे हैं कि शायद एनडीए अकेले बहुमत तक ना पहुंचे. तो बीजेपी को अपने सहयोगी दलों पर निर्भर रहना होगा, लेकिन वो तो हो गई गठबंधन सरकार. उनको चाहिए बीजेपी के बहुमत वाले 'आजाद' प्रधानमंत्री मोदी. लेकिन अब निवेशकों को ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा है. इसलिए बाजार में बेचैनी बनी हुई है. शेयर बाजार अब दूसरे पहलू पर भी चर्चा करने लग गया है.

शेयर बाजार के मूड को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि मूल रूप से इन्हें निरंतरता और स्थिरता चाहिए. इन्हें अनिश्चितता से डर लगता है कि पता नहीं क्या हो जाएगा . इसलिए इस निरंतरता का मतलब साफ है कि ये लोग मोदी जी को चाहते हैं.

गठबंधन सरकार के आसार से बाजार बेजार

बाजार में जो गिरावट है वो ये बताती है कि FII बेचकर निकल रहे हैं, कुछ प्लेयर शॉर्ट कर रहे हैं. कुछ प्लेयर कुछ दिनों से बेच रहे हैं और कैश लेकर के घर में बैठ गए हैं. कुछ लोग अभी गंभीरता से सोच रहे हैं कि पांचवें चरण के बाद के नंबर अगर ये बता रहे हैं कि बीजेपी अकेले बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच रही है और गठबंधन सरकार आने वाली है. यह बात उन्हें बेचैन कर रही है . उन्हें लगता है कि चुनाव नतीजों के बाद बाजार गिरेगा और पता नहीं कितना गिरेगा. क्योंकि इसके पहले बाजार हमेशा चुनाव नतीजों के बाद ऊपर चढ़ा है. सिर्फ दो बार ऐसा हुआ है कि नतीजों के बाद बाजार नीचे गया है.

इस बीजेपी की बहुमत वाली सरकार न बनने की स्थिति में ये गिरावट 5 परसेंट होगी या 10 परसेंट होगी, इसका कोई अनुमान लगा नहीं सकता है. तो बाजार अब इस बात को लेकर नर्वस हो रहा है कि अगर अकेले बीजेपी के बहुमत वाली सरकार नहीं आती है और गठबंधन सरकार बनती है तब पता नहीं इकोनॉमी का क्या होगा और बाजार का क्या होगा.

इस हालात में क्या हो आपकी स्ट्रेटजी

इकोनॉमी के फंडामेंटल का क्या हाल है? इस वक्त कंपनियों के रिजल्ट आ रहे हैं. सब जगह स्लोडाउन नजर आ रहा है.  ऑटो स्टॉक्स, बैंकिंग सेक्टर और एफएमसीजी में बुरा हाल है और उनका आउटलुक भी अच्छा नहीं आ रहा है.

ऐसे में शेयर बाजार इस वक्त शायद ये स्ट्रेटजी बनाने में लगा हुआ है कि कहीं बड़ा करेक्शन कहीं नतीजों के पहले ही तो नहीं आ जाएगा. 22 मई तक बाजार में क्या स्ट्रेटजी बनाएं, बेचें, होल्ड करें या खरीदें, ऐसा लग रहा है कि बाजार के जो सयाने लोग हैं वो पहले से ही बेचना शुरू कर चुके हैं. जो अब फैसला करने वाले हैं वो थोड़ा-थोड़ा बेचने की शुरूआत कर सकते हैं. कमाने के लिए शॉर्ट कर सकते हैं और गिरावट पर खरीद सकते हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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