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मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे (MoRTH), फास्टैग को 15 जनवरी से देशभर में अनिवार्य करने जा रही है. इसका मतलब है कि सभी इंटर-स्टेट टोलबूथ क्रॉस करने वाली गाड़ियों को RFID बेस्ड टैग लगाना जरूरी होगा.
फास्टैग टोल कलेक्शन सिस्टम NHAI ने देशभर में भेजे हैं. फास्टैग RFID यानी रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन तकनीक से काम करता है जिससे सीधे कस्टमर के डिजिटल वॉलेट से पेमेंट हो जाती है. इस तरीके से कैशलेस ट्रांजेक्शन बढ़ेगा.
इसका जवाब जानने के लिए क्विंट हरियाणा के नेशनल हाईवे 44 पर मुरथल टोलबूथ पर पहुंचा.
अटेंडेंट के टोलबूथ पर रहने का दूसरा कारण भी है. अफसरों ने क्विंट को बताया कि कई लोगों के पास अवैध फास्टैग हो सकते हैं. ब्लैकलिस्ट फास्टैग हो सकते हैं और कई बार ये भी होता है कि टोल पर RF रीडर सही से काम नहीं कर रहा होता है, तो ऐसी परेशानियों को कम करने के लिए टोलबूथ अटेंडेंट को फास्टैग स्कैन करने के लिए रखना जरूरी हो जाता है
इसके बारे में और जानकारी के लिए क्विंट की टीम पानीपत टोल प्लाजा पहुंची, जो मुरथल टोलप्लाजा से करीब 50 किलोमीटर दूर है. पानीपत टोल और अच्छे तरीके से बनाया गया है. हर टोलबूथ पर बूम बेरियर सही तरीके से लगे हैं
फास्टैग अभी शुरुआती स्टेज पर है और इसे पूरी तरह एफिशिएंट होने में थोड़ा वक्त लग सकता है, लेकिन ये देश के NHAI में काम करने वाले कई लोगों के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है जो देश भर में टोल पर काम कर रहे हैं. फास्टैग जब पूरी तरह स्वचालित हो जाएगा तो सवाल उठता है कि आगे आने वालों सालों में टोल अटेंडेंट का क्या होगा?
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