Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 क्या फास्टैग से खतरे में है टोल अटेंडेंट की नौैकरी?  

क्या फास्टैग से खतरे में है टोल अटेंडेंट की नौैकरी?  

फास्टैग 15 जनवरी से लागू किए जाएंगे RFID चिप्स से गाडियां टोल बूथ क्रॉस कर सकती हैं

सायरस जॉन
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(फोटो: क्विंट हिंदी)
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(फोटो: क्विंट हिंदी)

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मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे (MoRTH), फास्टैग को 15 जनवरी से देशभर में अनिवार्य करने जा रही है. इसका मतलब है कि सभी इंटर-स्टेट टोलबूथ क्रॉस करने वाली गाड़ियों को RFID बेस्ड टैग लगाना जरूरी होगा.

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फास्टैग टोल कलेक्शन सिस्टम NHAI ने देशभर में भेजे हैं. फास्टैग RFID यानी रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन तकनीक से काम करता है जिससे सीधे कस्टमर के डिजिटल वॉलेट से पेमेंट हो जाती है. इस तरीके से कैशलेस ट्रांजेक्शन बढ़ेगा.

फास्टैग सिस्टम इस पूरी प्रोसेस को पूरी तरह ऑटोमेटिक बनाता है जिससे एक बड़ा सवाल खड़ा होता है...जब पूरी प्रक्रिया ऑटोमेटिक हो रही है तो टोलबूथ अटेंडेंट वहां क्या कर रहे हैं? 

इसका जवाब जानने के लिए क्विंट हरियाणा के नेशनल हाईवे 44 पर मुरथल टोलबूथ पर पहुंचा.

मुरथल टोलबूथ के कर्मचारियों से बात करने के बाद हमने जाना कि टोलबूथ पर एक अटेंडेंट रहने की जरूरत है. उनका कहना है कि पहले उन्हें ये देखना होगा कि फास्टैग वैलिड हुआ है या नहीं, फिर अटेंडेंट को फास्टैग सिस्टम में डालना होगा जिससे गेट ओपन होगा.

अटेंडेंट के टोलबूथ पर रहने का दूसरा कारण भी है. अफसरों ने क्विंट को बताया कि कई लोगों के पास अवैध फास्टैग हो सकते हैं. ब्लैकलिस्ट फास्टैग हो सकते हैं और कई बार ये भी होता है कि टोल पर RF रीडर सही से काम नहीं कर रहा होता है, तो ऐसी परेशानियों को कम करने के लिए टोलबूथ अटेंडेंट को फास्टैग स्कैन करने के लिए रखना जरूरी हो जाता है

इसके बारे में और जानकारी के लिए क्विंट की टीम पानीपत टोल प्लाजा पहुंची, जो मुरथल टोलप्लाजा से करीब 50 किलोमीटर दूर है. पानीपत टोल और अच्छे तरीके से बनाया गया है. हर टोलबूथ पर बूम बेरियर सही तरीके से लगे हैं

पानीपत टोलप्लाजा के कर्मचारियों ने बताया कि जैसे जैसे फास्टैग सिस्टम बेहतर होता जाएगा वैसे-वैसे टोलबूथ अटेंडेंट कम होते जाएंगे. दुबई, मलेशिया जैसी जगहों पर एक टोलप्लाजा पर सिर्फ 2-3 टोलबूथ अटेंडेंट होते हैं

फास्टैग अभी शुरुआती स्टेज पर है और इसे पूरी तरह एफिशिएंट होने में थोड़ा वक्त लग सकता है, लेकिन ये देश के NHAI में काम करने वाले कई लोगों के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है जो देश भर में टोल पर काम कर रहे हैं. फास्टैग जब पूरी तरह स्वचालित हो जाएगा तो सवाल उठता है कि आगे आने वालों सालों में टोल अटेंडेंट का क्या होगा?

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Published: 14 Jan 2020,09:56 PM IST

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