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स्मार्ट हो रही है दुनिया. हर दिन अपडेट. हमारे किस्से-कहानियां लोगों तक आसानी से पहुंचे इसलिए इनके प्रेजेंटेशन में भी नयापन आना चाहिए. स्टोरीटेलिंग को नीलेश मिसरा ने नया फ्लेवर दिया है. रेडियो पर यादों का इडियट बाॅक्स लेकर आए, जिसे युवाओं ने खूब पसंद किया. पहले पत्रकार फिर लेखक, गीतकार, स्क्रीनप्ले राइटर, स्टोरी टेलर के तौर पर नीलेश लगातार काम कर रहे हैं. रोग, गैंगस्टर, जिस्म, एजेंट विनोद, बर्फी, बजरंगी भाईजान जैसी फिल्मों में गीत लिख चुके हैं.
उन्होंने किस्से-कहानियों को सिर्फ दादी-नानी की याद के तौर पर ही नहीं बल्कि नएपन के साथ लोगों के बीच लाकर उसे सुनने-सुनाने में दिलचस्पी जगाई और आज तो सोशल मीडिया और एेप भी स्टोरी टेलिंग का जरिया बन गई है. खुद नीलेश की स्टोरी सीरीज किस्सों का कोना और टाइम मशीन सावन ऐप पर मौजूद है. कभी भी, कोई भी. कहीं भी, किसी भी वक्त कहानियां सुनकर अपना मन बहला सकता है.
फेसबुक, सोशल मीडिया पर शॉर्ट स्टोरी फॉर्मेट अपनाए जाने के चलन पर नीलेश कहते हैं कि
कहानियों का शॉर्ट फॉर्मेट कहीं न कहीं साहित्य में योगदान दे रहा है. चाहे वो फेसबुक हो या ब्लाॅग. कम से कम कहानियां लिखी तो जा रही हैं. लोग नए अनसुने किस्सों को सामने ला रहे हैं. लेकिन भाषा के साथ इमानदारी बरतें. कहानियां एसएमएस या वाॅट्सऐप मेसेज न बन जाएं.
सादगी और ईमानदारी से आम लोगों की खास कहानियां सुनाने की कोशिश करता हूं तो लगता है कि जैसे ये सभी से कनेक्ट हो रही है. हर उम्र, हर तरह के लोग उसे अपना मानकर सुन सकते हैं.
युवाओं को हमेशा पाॅजिटिव सोच रखने की नसीहत देते हुए वो कहते हैं कि हमेशा ख्याल रखिए
जो होगा जैसा होगा, कल आज से अच्छा होगा.
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