Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019YES बैंक के संकट पर सरकार ने जो कदम उठाया वो राहत कम,आफत ज्यादा है

YES बैंक के संकट पर सरकार ने जो कदम उठाया वो राहत कम,आफत ज्यादा है

यस बैंक संकट चेतावनी है, निवेशक में विश्वास बहाली के लिए RBI को तौर-तरीके बदलने होंगे

संजय पुगलिया
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(फोटो: क्विंट हिंदी)
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वीडियो एडिटर: पूर्णेंदु प्रीतम

वीडियो प्रोड्यूसर: वैभव पलनीटकर/कनिष्क दांगी

क्या यस बैंक को बचाने का सरकार बेहतर तरीका जुटा सकती थी? अब इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है. निकासी पर प्रतिबंध (मोरेटोरियम) का फैसला RBI का है लेकिन बिना सरकार की सहमति के ये फैसला नहीं हो सकता है. मोरेटोरियम की वजह से बैंकिंग में अविश्वास का माहौल बना है. SBI के CFO ने सफाई दी है कि 1 महीने में सिर्फ 50 हजार निकासी का प्रतिबंध जल्दी हट सकता है. इस प्रतिबंध को लगाने की वजह से लोगों में डर का माहौल बना है इसलिए अब वो इसे हटाने के बारे में सोच रहे हैं.

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AT1 बॉन्ड की वैल्यू राइट डाउन करने का ऐलान किया गया है. म्यूचुअल फंड के जरिए कई लोगों ने उसमें अपना पैसा लगाया था, यस बैंक ने इसको मिस-सेल किया था. इंडसइंड बैंक भी इस तरह का AT1-1 बॉन्ड लेकर आने वाला था लेकिन अब उसने ये टाल दिया है.

शेयर बाजार में ग्लोबल कारणों से गिरावट हुई है. लेकिन म्यूचुअल फंड और बॉन्ड मार्केट में अजीब सा डर बना हुआ है. बाकी बैंकिंग शेयरों में भी कमजोरी देखने को मिल रही है. लेकिन मजे की बात है कि यस बैंक के शेयरों में 9 मार्च को तेजी देखने को मिली.

यस बैंक का शेयर 7 रुपये तक चला गया था जिसमें अब 20-22 रुपये तक रिकवरी देखने को मिल रही है. लेकिन SBI की एंट्री के बाद खरीदारों में यस बैंक को लेकर भरोसा बढ़ा है.

3 दिन की चर्चा के लिए वक्त दिया गया था. SBI + LIC + HDFC + प्राइवेट इक्विटी का कंसोर्शियम अब यस बैंक में निवेश कर सकता है. करीब 20 हजार करोड़ रुपये की पूंजी से यस बैंक को संकट से उबारा जा सकता है. सरकार ने पहले एक्शन क्यों नहीं लिया इसकी एक वजह और है.  31 मार्च को जब फाइनेंशियल ईयर खत्म होता तो अकाउंट में और भी जानकारियां जुड़तीं तो संकट और गहराया हुआ लग सकता था. सरकार अब भरोसा बहाल करने का काम शुरू करेगी.

राणा कपूर की जो गिरफ्तारी हुई है ये लोगों को दिखाने के लिए तो ठीक है लेकिन ये खाताधारकों या यस बैंक के इन्वेस्टर्स की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इस सरकार को एजेंसियों को सख्ती से इस्तेमाल करने की आदत है वो कर भी रही है. लेकिन ये कार्रवाई देर से हो रही है. पिछले दिनों में हम लगातार बैंकिंग सेक्टर में क्राइसिस देखने को मिल रही है.

IL&FS, DHFL, PMC बैंक के बाद यस बैंक पर संकट के काले बादल मंडराने लगे. आने वाले दिनों में NBFC में बुरी खबरें आ सकती हैं. 

यस बैंक का  संकट RBI की रेगुलेटर कमी को भी दिखाता है. RBI में नए जमाने के बैंकिंग एक्सपर्ट नहीं हैं जो NBFC में या फिर मार्केट में नए-नए बिजनेस मॉडल को लेकर काम करते रहते हों. यस बैंक की बैलेंसशीट में भारी कमी होने के बावजूद इस पर सवाल क्यों नहीं उठे. बैंकिंग सेक्टर में पिछले 5 सालों में चर्चा थी कि यस बैंक में कोई गड़बड़ी है. लेकिन इसके बार में तेजी से कार्रवाई नहीं की गई.

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Published: 09 Mar 2020,09:25 PM IST

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