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‘ये अधिकारों का लॉकडाउन है’-उमर खालिद, योगेंद्र यादव से खास बातचीत

उमर खालिद का कहना है कि विरोध की आवाजें इस सरकार को पसंद नहीं है

संजय पुगलिया
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उमर खालिद का कहना है कि विरोध की आवाजें इस सरकार को पसंद नहीं है
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उमर खालिद का कहना है कि विरोध की आवाजें इस सरकार को पसंद नहीं है
(फोटो: क्विंट)

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(वीडियो एडिटर - आशुतोष भारद्वाज)

कोरोना वायरस महामारी के बीच दिल्ली हिंसा मामले में पुलिस ने कई गिरफ्तारियां की हैं. साथ ही कई लोगों पर UAPA के तहत मामले भी दर्ज किए हैं. इन लोगों में से ज्यादातर छात्र हैं. जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मीरन हैदर और सफूरा जरगर और JNU के छात्र उमर खालिद पर भी UAPA के तहत केस दर्ज हुआ है. दिल्ली में छात्रों पर FIR को लेकर क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव और उमर खालिद से बातचीत की है.

योगेंद्र यादव कहते हैं, "एक संदेह पैदा होता है कि जो हो रहा है, वो एकतरफा है. कोरोना की संकट की आड़ में, जब मीडिया का ध्यान नहीं है, कोई बात नहीं कर रहा, कोर्ट खुले नहीं है, इन सबकी आड़ में कुछ ऐसा तो नहीं हो रहा जिससे हमें सतर्क और चिंतित रहना चाहिए."

गिरफ्तारी, FIR की क्या वजह हो सकती है?

उमर खालिद का कहना है कि विरोध की आवाजें इस सरकार को पसंद नहीं है और ये मौका सत्ताधारी पार्टी इन आवाजों को दबाने के रूप में देख रही है.

ये लॉकडाउन सिविल लिबर्टीज का लॉकडाउन बनता जा रहा है. जांच एकतरफा तो है ही, इसके साथ ही CAA प्रदर्शनों में उठी आवाजों को UAPA कानून के इस्तेमाल से दबाने की कोशिश हो रही है. आज के समय में वकील मुश्किल से मिल रहे हैं, कोर्ट काम नहीं कर रहे, तो सरकार और पुलिस इसे मौके के तौर पर देख रही है. साथ ही क्या ये सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन के साथ खिलवाड़ नहीं है कि दुनियाभर में जेलों को खाली किया जा रहा है और हमारी सरकार छात्रों और एक्टिविस्टों को जेल में डाल रही है.  
उमर खालिद

खालिद ने कहा कि ये एक कोशिश है जिससे फिर कभी सरकार की किसी नीति का विरोध न हो.

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UAPA लगाने का क्या सबूत दिया गया?

उमर खालिद ने कहा कि हमें कोई भी चार्ज पुलिस की नहीं, बीजेपी की आईटी सेल की तरफ से पता चलता है.

होता ये है कि पहले आईटी सेल ट्वीट करता है. फिर राइट विंग मीडिया उस पर प्राइम टाइम चलाती है. वीडियो को एडिट करके दिखाया जाता है. फिर उसके बाद FIR होती है. ये भी एक क्रोनोलॉजी है. यहां पुलिस जांच नहीं करती. यहां एक स्क्रिप्ट है जिसके आधार पर पुलिस किरदारों को ढूंढती है.  
उमर खालिद

खालिद ने कहा, "अगर पुलिस को छात्रों से बातचीत करनी है, जांच करनी है तो वो कर सकती है. ऐसा कभी नहीं हुआ कि पुलिस ने कहा हो और छात्र न गए हों. लेकिन क्या नेताओं की दंगा भड़काने वाले भाषणों की जांच हुई? या फिर दिल्ली पुलिस मानती है कि छात्रों और बीजेपी नेताओं के लिए कानून अलग हैं?"

UAPA लगाए जाने की खबरों पर उमर खालिद ने कहा कि मुझे तक नहीं पता है कि मेरे खिलाफ चार्ज है, आरोप है, FIR हुई है या क्या कार्रवाई की गई है. खालिद ने कहा, “ये बहुत अजीब है कि हमें अपने खिलाफ FIR के बारे में ही मीडिया से पता चलता है. “ 

पुलिस की तरफ से FIR की जानकारी ने दिए जाने के मामले पर योगेंद्र यादव ने कहा कि ये कोई पहला मामला नहीं है.

मैं 100 से ज्यादा CAA प्रदर्शनों में गया हूं और एक भी जगह ऐसी नहीं थी जहां भारत के राष्ट्रवाद के बारे में बुलंदी के नारे न लगे हो, भारत की जय के नारे न लगे हो. हिंदू-मुस्लिम को लड़ाने की बात किसी भी प्रदर्शन में नहीं हुई. सरकार कोई एक भी सबूत ले आए. UAPA आतंकवादियों से निपटने के लिए बना है. ये कानून इसलिए लगाया गया क्योंकि कोर्ट को बताना भी नहीं पड़ेगा कि आरोप क्या है. 
योगेंद्र यादव

योगेंद्र यादव ने कहा कि कम से कम दिल्ली पुलिस को दिल्ली दंगों की निष्पक्ष जांच का दिखावा तो करना ही चाहिए.

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