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वीडियो एडिटर: विशाल कुमार
पिछड़ी जातियों को 27 फीसदी आरक्षण देने के खिलाफ 13 साल पहले प्रदर्शन हुए थे. दिल्ली के ऑर्थोपेडिक सर्जन कौशल कांत मिश्रा ने इस एंटी-रिजर्वेशन प्रोटेस्ट में हिस्सा लिया था. कौशल उन हजारों छात्रों में से एक हैं जिन्होंने देशभर में हुए इन प्रदर्शनों में हिस्सा लिया और जाति के आधार पर दिए जाने वाले रिजर्वेशन के खिलाफ मुहिम शुरू की. ऐसे में यूथ फॉर इक्वलिटी नाम के ग्रुप की शुरुआत हुई. ये ग्रुप इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में छात्रों की संख्या के हिसाब से कम सीट होने जैसी दिक्कतों के लिए तर्क देते थे कि नौकरियों और एडमिशन में आरक्षण खत्म कर मेरिट को तवज्जो देनी चाहिए.
लेकिन करीब एक दशक के बाद 'यूथ फॉर इक्वलिटी' की राय थोड़ी बदली है.
यूथ पर इक्वलिटी ने आरक्षण के लिए संविधान संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
यूथ फॉर इक्वलिटी के संयोजक कहते हैं कि 10% आरक्षण सिर्फ पॉलिटिकल स्टंट नहीं है, ये मोदी सरकार की हिम्मत है जो इकनॉमिक क्राइटेरिया को मंजूरी मिली है. इसका आगे फायदा होगा.
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