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अमेरिका के टेक्सस शहर में अच्छी नौकरी छोड़ लौटी एक युवती ने ग्राम प्रधान बनकर अपने गांव की तस्वीर बदल दी है. युवती पंचायत की तस्वीर कैसे बदल सकती है ये देखने के लिए आपको मध्य प्रदेश के भोपाल की इस ग्राम पंचायत में आना होगा. सरपंच भक्ति शर्मा का नाम देश की 100 लोकप्रिय महिलाओं में शामिल है.
अमेरिका से लौटी मध्य प्रदेश के भोपाल की एक ग्राम पंचायत में बनी तेज तर्रार सरपंच भक्ति शर्मा (28 उम्र) का कहना है:
भक्ति फर्राटेदार अंग्रेजी तो बोलती ही हैं. साथ ही निडर होकर अधिकारियों से मिलती जुलती भी हैं. इनकी कोशिश रहती हैं कि हर सरकारी योजना का लाभ इनके पंचायत के लोगों को मिल सके.
भक्ति शर्मा ने एमए राजनीति शास्त्र से किया है, अभी वकालत की पढ़ाई कर रही हैं. भोपाल जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर बरखेड़ी अब्दुल्ला ग्राम पंचायत है. इस पंचायत की सरपंच भक्ति शर्मा के शौक पुरुषों जैसे हैं. इन्हें ट्रैक्टर चलाना, पिस्टल रखना, अपनी गाड़ी से सड़कों पर फर्राटे भरना, किसी भी अधिकारी से बेधड़क बात करना जैसे तमाम शौक है.
ये अपनी बोलचाल की भाषा में भी जाता है, खाता है, आता हूं का इस्तेमाल सामान्य तौर पर करती हैं. इस पंचायत में कुल 2700 जनसंख्या है जिसमें 1009 वोटर हैं. ओडीएफ हो चुकी इस पंचायत में आदर्श आंगनबाड़ी से लेकर हर गली में सोलर स्ट्रीट लाइटें हैं.
भक्ति ने कहा, “हमारी पहली ऐसी ग्राम पंचायत बनी जहां हर किसान को उसका मुआवजा मिला. हर ग्रामीण का राशनकार्ड, बैंक अकाउंट, मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवाया. इस समय पंचायत का कोई भी बच्चा कुपोषित नहीं है. महीने में दो से तीन बार फ्री में हेल्थ कैम्प लगता है.”
ग्राम पंचायत का कोई भी काम भक्ति अपनी मर्जी से नहीं करती हैं. साल 2016-17 में 10 ग्राम सभाएं हो चुकी हैं, पंचो की बैठक समय-समय पर अलग से होती रहती है. जब वो सरपंच बनी थी तो इस पंचायत में महज नौ शौचालय थे अभी ये पंचायत ओडीएफ हो चुकी है.
भक्ति का कहना है, “हमने पंचायत में कोई भी काम अलग से नहीं किया, सिर्फ सरकारी योजनाओं को सही से लागू करवाया है. पंच बैठक में जो भी निर्धारित करते हैं वही काम होता है. ढ़ाई साल में बहुत ज्यादा विकास तो नहीं करवा पाए हैं क्योंकि जब हम प्रधान बने थे उस समय गांव की सड़कें ही पक्की नहीं थी, इसलिए पहले जरूरी काम किए.”
भक्ति ने अपने प्रयासों से अपनी पंचायत को सरकार की मदद से एक बड़ा सामुदायिक भवन पास करा लिया है. भक्ति का कहना है, “आने वाले छह महीनों में इस भवन में डिजिटल क्लासेज शुरू हो जायेंगी, जो पूरी तरह से सोलर से चलेगा. इसमें महिलाओं के लिए सिलाई सेंटर, और चरखा केंद्र खुलेगा. किसानों के लिए समय-समय पर बैठकें होंगी, जिससे वो खेती के आधुनिक तरीके सीख सकें. बच्चों के लिए तमाम तरह की गतिविधि होंगी जिससे उन्हें गांव में शहर जैसी सुविधाएं मिल सकें.”
पंचायत की हर महिला निडर होकर रात के 12 बजे भी अपनी पंचायत में निकल सके भक्ति शर्मा की ऐसी कोशिश है. भक्ति ने कहा, “पंचायत की हर बैठक में महिलाएं ज्यादा शामिल हों ये मैंने पहली बैठक से ही शुरू किया. मिड डे मील समिति में आठ महिलाएं है. महिलाओं की भागीदारी पंचायत के कामों में ज्यादा से ज्यादा रहे जिससे उनकी जानकारी बढ़े और वो अपने आप को सशक्त महसूस करें.”
पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से ग्राम पंचायत में पानी की बहुत समस्या है. पीने के पानी के लिए तो समर्सिबल लगा है लेकिन खेती को समय से पानी मिलना थोड़ा मुश्किल होता है.
भक्ति का कहना है, “जीने पास 1012 एकड़ जमीन है, हमारी कोशिश है वो हर एक किसान कम से कम एक एकड़ में जैविक खेती जरुर करें. बहुत ज्यादा संख्या में तो नहीं लेकिन किसानों ने जैविक खेती करने की शुरुआत कर दी है.”
(ये स्टोरी गांव कनेक्शन वेबसाइट से ली गई है)
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