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बहुत से लोग हिंदी से प्यार की बात कर रहे हैं. लेकिन प्यार करने वालों की हिन्दी में हो रही दुश्वारियों का कोई संज्ञान नहीं ले रहा. समझिएगा, मैं जिस प्यार की बात कर रहा हूं, वो प्यार... प्रेम या वात्सल्य वाला नहीं है, बल्कि प्रणय वाला है, जिसे आप प्यार से इश्क, मुहब्बत, लव फलाना-ढिमाका कहते हैं.
अब मैं न लिखता, तो हिंदी में प्रेम निवेदन पर चर्चा कौन करता, क्योंकि ये तो छुप-छुप करने वाली चीज है. सच तो ये है कि हिंदी में प्रेम निवेदन में बड़ी कठिनाइयां हैं. वजह ये है कि ‘आई लव यू’ प्रेम निवेदन का इंटरनेशनल ब्रांड बन गया है. आज के युवा प्रेमियों से पूछकर देख लीजिये कि क्या वो अपनी गर्लफ्रेंड को ‘मैं तुमसे प्यार करता हूं.’ बोलेंगे? जवाब होगा- ना.
और फिर 2017 में तो जबरदस्त हाइटेक दौर चल रहा है. 1982 की बात कर लें. फिल्म 'खुद्दार' आपको याद दिला देता हूं. फिल्म में आदरणीय अमिताभ बच्चन ने कई भाषाओं में प्रेम निवेदन के वाक्य बताये. मसलन अंग्रेजी में कहते हैं कि ‘आई लव यू’, गुजराती मा बोले ‘तने प्रेम करूं छूं’, बंगाली में कहते हैं कि ‘आमी तुमाके भालो बाशी' और पंजाबी में कहते हैं ‘तेरी तो.. कि ‘तेरे बिन मर जावां, मैं तैनू प्यार करणा कि तेरे बिन नैयो लबड़ी, ओ साथी हो..’
इनके प्रेम प्रस्ताव की आगे की लाइन पर तवज्जो दीजिये, ‘हम तुमपे इतना डाइंग जितना सी में पानी लाइंग, आकाश में पंछी फ्लाइंग, भंवरा बगियन में गाइंग...’
लो कल्लो बात, जब हिंदी फिल्म में प्रेमिका को खुश करने के लिए एक सुपरस्टार ऐसी हिंदी बोलेगा, तो असली आशिक भी हिंदी में प्रेम निवेदन क्यों नहीं डरेगा? वैसे भी प्रेम ऐसा इम्तिहान होता है कि अक्सर इसे एक बार में पास करना होता है, नहीं तो साक्षात्कार के लिए दूसरे प्रत्याशी भी बाहर खड़े होते हैं.
चलिए एक गाना और सुना देते हैं, कालिया का गाना है. हीरो-हिरोइन ये खुद्दार वाले ही हैं, यानी अमिताभ बच्चन परवीन बॉबी. गाना सुनिए, ‘जबसे तुमको देखा, जीते हैं, मरते हैं, तुम ही कुछ बतलाओ इसको क्या कहते हैं...’ फिर आगे सुनिए- ‘एल ओ वी ई.”
चलिए, फिल्म-विल्म को छोड़कर आपकी ही बात कर लेता हूं. अपनी पत्नी को बोलिए ‘आज तुम कातिल लग रही हो’ और फिर उसकी खुशी देखिए. ‘किलर’ बोलने पर आपके और नंबर बढ़ जायेंगे, लेकिन एक बार बोल के देखिये कि ‘तुम हत्यारिन लग रही हो.’... फिर समझ में आयेगा कि हिंदी में प्रेम कितना कठिन हैं.
गालिब चचा थे तो उर्दू शायर, लेकिन लगता है कि हिंदी में प्रेम में होने वाली कठिनाइयों के लिए ही लिख गए थे कि ‘ये इश्क नहीं आसां इतना ही समझ लीजे, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है.’
(द क्विंट को यह व्यंग्य लखनऊ के नवल कान्त सिन्हा ने स्वतंत्रता दिवस कैंपेन के BOL – Love your Bhasha के लिए भेजा है.)
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