Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Narendra Modi के नेतृत्व में विनिर्माण क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन

Narendra Modi के नेतृत्व में विनिर्माण क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन

साल 2025 तक मैनुफैक्चरिंग के सकल घरेलू उत्पाद के 25 प्रतिशत के लक्ष्य को प्राप्त करने का विजन रखा गया.

राजू बिष्ट
आपकी आवाज
Published:
<div class="paragraphs"><p>विनिर्माण क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन.</p></div>
i

विनिर्माण क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन.

(फोटोः क्विंट हिंदी)

advertisement

साल 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमारे राष्ट्र की बागडोर संभाली तब भारत को इंडोनेशिया, ब्राजील, तुर्की और दक्षिण अफ्रीका के साथ तथाकथित ‘‘फ्रेजाइल फाइव’’ राष्ट्रों के रूप में टैग किया गया था. जिन देशों की अर्थव्यवस्था लगभग ढह जाने वाली थी, लेकिन 2022 में मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उभर कर आया.

मोदी के नेतृत्व में जिस प्रकार यह देश विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्था में शमिल हुआ है और देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बदलने में मोदी के नेतृत्व और विजन ने जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है उसकी सराहना पूरा विश्व कर रहा है. 1990 के दशक के बाद से, भारत के आर्थिक विकास में ज्यादातर हिस्सा सेवा क्षेत्र का ही था. हालांकि, 2008 के वित्तीय संकट ने दिखाया कि केवल सेवा क्षेत्रों पर निर्भर रहना हमारी अर्थव्यवस्था के लिए कितना हानिकारक हो सकता है. पर्याप्त अवसरों के बावजूद, तत्कालीन यूपीए सरकार ने इस परिस्थिति को बदलने का प्रयास नहीं किया, जिसके कारण अंतत: भारत को एक नाजुक अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जाने लगा. इसके विपरीत मोदी के नेतृत्व में, हमारी सरकार ने मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में अपार संभावनाओं को उजागर करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं. हमारे घरेलू बाजार में सभी प्रकार के उत्पादों की भारी मांग और निर्यात से राजस्व की संभावना को देखते हुए, मैनुफैक्चरिंग सेक्टर के विकास के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने ‘‘मेक इन इंडिया’’ अभियान की शुरुआत की.

'मेक इन इंडिया' मेक फॉर द वर्ल्ड  

मेक इन इंडिया-मेक फॉर द वर्ल्ड की थीम के साथ हमारी सरकार ने भारत को एक वैश्विक डिजाइन और मैनुफैक्चरिंग हब में बदलने का संकल्प लिया. कंपनियों को डिजाइन और मैनुफैक्चरिंग के लिए प्रोत्साहित करने की दृष्टि से, भारत में उत्पादों का विकास, निर्माण और संयोजन हेतू मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश को प्रोत्साहित किया, और 2025 तक मैनुफैक्चरिंग के सकल घरेलू उत्पाद के 25 प्रतिशत के लक्ष्य को प्राप्त करने का विजन रखा.

'मेक इन इंडिया' की सफलता सुनिश्चित करने के लिए, हमारी सरकार ने कई नीतिगत पहलों के माध्यम से एक पॉलिसी इको सिस्टम प्रदान किया है जैसे कि जीएसटी लागू करना, कॉरपोरेट टैक्स को घटाना,ईज ऑफ डुईंग बिजनेस, एफडीआई नीति में सुधार की घोषणा, कम्प्लायंस बर्डन में कमी के उपाय, सरकारी खरीद में स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता देना, चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम, आत्मनिर्भर भारत पैकेज, रक्षा क्षेत्र का स्वदेशीकरण, प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव की शुरुआत, नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन का विकास, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेंट प्रोग्राम- 11 इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को 4 चरणों में विकसित किया जा रहा है.

इसके अलावा, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, त्वरित विकास जैसी नीतियां न्यू इंडिया इनोवेशन भारत में विनिर्माण को और गति प्रदान कर रहा है.

विजन आधारित विकास

भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब में बदलने की दृष्टि से, पीएम मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने विभिन्न व्यावसायिक मानदंडों में सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाए, जो हमारी अर्थव्यवस्था में मैनुफैक्चरिंग सेक्टर के विकास की दिशा में एक बाधा बने हुए थे. पिछले कुछ सालों में भारत की व्यापार रैंकिंग में हुए भारी सुधार देश में बेहतर कारोबारी माहौल का एक वसीयत नामा है. भारत की ‘‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’’ रैंक 2013-14 में 142 से 2020-21 में अभूतपूर्व रूप से सुधार कर 63 हो गई है (190 अर्थव्यवस्थाओं में से). मेक इन इंडिया के लिए ये सहायक पॉलिसी इको सिस्टम आज भी जारी है, जिसमें सितंबर 2021 में नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम लांच किया गया, पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान अक्टूबर 2021 में लॉन्च किया गया, नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी का लागू होना आदि.

प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना ने 14 प्रमुख सेक्टर्स में निवेश आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है – जिसमें ऑटोमोबाइल, ऑटो कंपोनेन्ट, ड्रोन और ड्रोन कंपोनेन्ट, दूरसंचार और नेटवर्किंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी हार्डवेयर, वाईट प्रोडक्टस, फार्मा, कपड़ा, खाद्य उत्पाद, उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल, उन्नत रसायन सेल और विशेष स्टील.

इन अनुकूल नीतिगत हस्तक्षेपों, आर्थिक पारदर्शिता और आज बेहतर कारोबारी माहौल की वजह से दुनिया की कुछ सबसे बड़ी कंपनियां, जिनमें तोशिबा, बोइंग, सैमसंग, ऐप्पल, जनरल इलेक्ट्रिक,सीमेंस, एचटीसी आदि भारत में मैनुफैक्चरिंग युनिट्स स्थापित कर रहे हैं. ‘‘मेक इन इंडिया’’ पीएम मोदी के संकल्पों के साकार होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है. हालांकि मैनुफैक्चरिंग के हर सेक्टर में काफी सुधार देखा है, मैं कुछ प्रमुख सेक्टर्स पर प्रकाश डाल रहा हूं.

रक्षा क्षेत्र :

'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसी पहल की बदौलत पिछले 4 वर्षों में विदेशी स्रोतों से रक्षा खरीद पर खर्च 46 प्रतिशत से घटकर 35 प्रतिशत हो गया है, और पिछले पांच वर्षों में रक्षा निर्यात में 334 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. सहयोगी प्रयासों के कारण भारत अब 75 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है, और सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों की रक्षा कंपनियों के उत्पादन का मूल्य पिछले 2 वर्षों यानी 2019-20 से 2020-21 में 79100 करोड़ से बढ़कर 84700 करोड़ रुपए हो गया है. रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया पहल की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जहां 2013-14 में हमने केवल 900 करोड़ मूल्य के रक्षा उत्पादों का निर्यात किया था वहीं 2021-22 में यह आंकड़ा बढ़कर 14000 करोड़ हो गया.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ऑटोमोबाइल सेक्टर

भारत का ऑटोमोटिव उद्योग यूएस डॉलर 100 बिलियन से अधिक मूल्य का है और देश के कुल निर्यात में 8 प्रतिशत का योगदान देता है. हमारा ऑटोमोबाइल उद्योग 2025 तक दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा बनने के लिए तैयार है. प्रत्येक भारतीय के लिए यह बहुत गर्व की बात है कि भारत आज दुपहिया, तिपहिया और ट्रैक्टर का सबसे बड़ा निर्माता, वाणिज्यिक वाहनों का चौथा सबसे बड़ा निर्माता और दुनिया में भारत आज कारों का 5वां सबसे बड़ा निर्माता है. ऑटोमोबाइल उत्पादन 2020-21 में 4,134,047 से बढ़कर 2021-22 में 5,617,246 हो गया, साल-दर-साल 35.9% की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की है. कारों सहित यात्री वाहनों का निर्यात 2020-21 में 404,397 से बढ़कर 2021-22 में 577,875 हो गया, जिसमें 42.9 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई.

जैव अर्थव्यवस्था

भारत का जैव प्रौद्योगिकी उद्योग जो फार्मास्यूटिकल्स, कृषि, जैव-उद्योग, जैव-आईटी और जैव-सेवाओं आदि जैसे प्रमुख क्षेत्रों को कवर करता है, भारत के ‘‘सनराईज सेक्टर’’ के रूप में उभरा है. इसका श्रेय पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व को जाता है कि पिछले 8 वर्षों में, भारत की जैव-अर्थव्यवस्था 10 अरब अमेरिकी डॉलर से आठ गुना बढ़कर 80 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गई है. हमारी सरकार ने 2025 तक जैव-अर्थव्यवस्था में 150 अरब अमेरिकी डॉलर की सीमा को छूने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

आईटी और बीपीएम सेक्टर

पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के कारण आज ‘‘डिजिटल इंडिया’’ जैसी पहल के साथ हमारी सरकार देश के युवाओं की छुपी हुई प्रतिभा को उजागर करने में सक्षम रही है. सूचना प्रौद्योगिकी और व्यवसाय प्रक्रिया प्रबंधन क्षेत्र के संदर्भ में हमारे देश में पिछले 8 वर्षों में जो परिवर्तन आया है, वो अभूतपूर्व है. नवंबर में जारी नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स 2022 के अनुसार, भारत ने ‘‘एआई टैलेंट कन्सन्ट्रेशन’’ में पहली रैंक हासिल की है, देश के भीतर मोबाइल ब्रॉडबैंड इंटरनेट ट्रैफिक में दूसरी रैंक और अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट बैंडविड्थ, दूरसंचार सेवाओं और घरेलू बाजार के आकार में वार्षिक निवेश में तीसरी रैंक, आईसीटी सेवाओं के निर्यात में चौथी रैंक, एफटीटीएच और बिल्डिंग इंटरनेट सब्सक्रिप्शन और एआई वैज्ञानिक प्रकाशनों में पांचवीं रैंक हासिल की है. पिछले वर्ष की तुलना में हमारी समग्र रैंकिंग आज छह स्थानों के सुधार के साथ 61वीं रैंक हो गई है (131 में से).

भारत आज दुनिया में मोबाइल हैंडसेट के दूसरे सबसे बड़े निर्माता के रूप में उभरा है. 2014-15 में हमने केवल 6 करोड़ हैंडसेट बनाए, जो 2020-21 में बढक़र 30 करोड़ हैंडसेट हो गए. देश में दूरसंचार बेस स्टेशनों की संख्या फरवरी, 2022 में 23.35 लाख हो गई है, जो मार्च 2014 में केवल 6.49 लाख थी. 31 दिसंबर, 2021 तक, भारत में मोबाइल नेटवर्क 115 करोड़ से अधिक ग्राहकों को सेवा दे रहे हैं और लगभग 98 प्रतिशत आबादी 4 जी नेटवर्क से आच्छादित है. इंटरनेट उपयोगकर्ता 2014 में 6 करोड़ से बढ़कर आज 80 करोड़ हो गए हैं और ऑप्टिकल फाइबर कवरेज जो 2014 में सिर्फ 100 पंचायतों तक पहुंती थी, आज 2022 में बढ़कर 1.7 लाख पंचायत पहुंच गई है.

IT-BPM उधोग निजी क्षेत्र क सबसे बड़ा नियोक्ता है, जो लगभग 41.4 लख नौकरियां पदन करता है. भारत से कुल सेवओं के निर्यात में इस उधोग की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत से अधिक है.

एमएसएमई सेक्टर

पिछले 8 वर्षों में हमारे देश ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों में अभूतपूर्व प्रगति देखी है.भारत में 79 लाख पंजीकृत एमएसएमई यूनिट हैं जो सकल घरेलू उत्पाद में 33 प्रतिशत योगदान देता है और 12 करोड़ से अधिक रोजगार सृजित करता है. एमएसएमई आमतौर पर अपेक्षित उद्यमियों– महिलाओं, सीमांत उद्यमियों और जमीनी स्तर पर धन सृजन में महत्वपूर्ण योगदान देता है. अकेले वित्तीय वर्ष 22 में, 8.59 लाख महिलाओं के नेतृत्व वाले एमएसएमई उद्यम पोर्टल पर पंजीकृत हुए, जो कुल एमएसएमई पंजीकरण का 17 प्रतिशत है. कम से कम 6.34 करोड़ यूनिट्स विनिर्माण सकल घरेलू उत्पाद का 6.11 प्रतिशत और सेवाओं के सकल घरेलू उत्पाद का 24.63 प्रतिशत योगदान करती हैं.

विकास की राह

हमारी सरकार द्वारा किए जा रहे महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों और व्यवसाय अनुकूल वातावरण का का ही नतीजा है कि पिछले 8 वर्षों में जो विकास हमने देखा है वह सिर्फ एक शुरुआत है और मुझे विश्वास है कि आने वाले दिनों में मैनुफैक्चरींग सेक्टर हमारे देश की अर्थवयवस्था की सबसे महत्वपूर्ण स्तम्भ बनकर उभरेगी. आने वाले दिनों में नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम पहल गेम चेंजर साबित होगी जो मैनेफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश को सरल, सहज और सुव्यवस्थित बनाएगी. एनएसडब्लूएस के लांच के बाद से आंध्र प्रदेश, बिहार, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर सहित केंद्र सरकार के 27 विभागों और 19 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को एक सिंगल विंडो सिस्टममें एकीकृत किया गया है और अंतत: सभी राज्य इसमें शामिल होंगे. जिससे मैनुफैक्चरिंग सेक्टर को वो रफतार मिलेगी, जो भारत को 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने में सहायक सिद्ध होगी.

(राजू बिष्ट, लोकसभा सांसद और भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता, यह एक ओपिनियन पीस है और ऊपर व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT