advertisement
नोटबंदी की अंधाधुंध फायरिंग करीब-करीब फेल हो चुकी है. इसलिए सरकार ने एक बार फिर पैंतरा बदला है. अब वह कैशलेस कार्यशालाओं की महिमा बता रही है, क्योंकि इंडिया को रातोंरात ‘डिजिटल इंडिया’ में बदलना है. देश का डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह तैयार नहीं हुआ है, इंटरनेट कनेक्टिविटी खस्ताहाल है और बैंकिंग सिस्टम तैयार नहीं हैं, इसके बावजूद सरकार इंडिया को ‘डिजिटल इंडिया’ बनाने पर आमादा है.
नोटबंदी से काले धन के खात्मे पर वह हार मान चुकी है, इसकी गवाही सिर्फ कैशलेस इकोनॉमी की उसकी पैंतरेबाजी ही नहीं दे रही है, बल्कि उसने दो और ऐसे काम किए हैं, जिनसे इसका पता चलता है. इनमें से एक पुराने तरह की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ है, जिसके तहत सूरत से लेकर कोलकाता और चेन्नई से लेकर चंडीगढ़ तक इनकम टैक्स (आईटी) डिपार्टमेंट छापे मार रहा है.
देश भर में मारे जा रहे छापों यानी रेड राज के कई मकसद हैं. चेन्नई में ऐसे छापों से एआईएडीएमके की नई लीडरशिप को शायद मैसेज दिया जा रहा है कि वह केंद्र सरकार की गुडबुक में रहे.
इन छापों में कुछ बीजेपी नेता भी कैश के साथ पकड़े गए हैं. शायद इससे यह संकेत दिया जा रहा है कि काले धन के खिलाफ मुहिम में अपने-पराये का भेद नहीं किया जा रहा है. ऐसे छापों की कई खबरें मीडिया में आई हैं, लेकिन उसके बाद क्या हुआ, इसकी खबर नहीं दी गई.
फिर अभी देश भर में छापों का जो तमाशा चल रहा है, उसे कैसे देखा जाए? ऐसे मामलों के अंजाम तक पहुंचने यानी लीगल प्रोसेस पूरा होने में वक्त लगता है.
हालांकि, जल्द ही हजारों करोड़ों के ब्लैक कैश पकड़े जाने का दावा किया जाएगा. सरकार के पास इसके लिए अधिक समय नहीं बचा है. हालिया रेड (जिन्हें इनकम टैक्स डिपार्टमेंट सर्वे और सर्च कहता है) का मकसद लोगों को बैन हुए चुके नोटों को बैंकों में जमा कराने से रोकना है, क्योंकि पूरी रकम (15.5 लाख करोड़ या 14.65 लाख करोड़, आप दोनों में जिस डेटा को सही मान रहे हों) बैंकों में जमा होने जा रही है. आरबीआई ने हाल ही में बताया था कि बैन हो चुके 12 लाख करोड़ रुपये बैंकों में जमा कराए जा चुके हैं.
अब पूरा कैश (ब्लैक या वाइट) बैंकों में आने की उम्मीद है तो सरकार ऐतिहासिक जीत का दावा किस तरह करेगी? बैंकों में जिन लोगों ने बड़ी रकम जमा कराई है, सरकार उन पर दबाव डालकर नई आईडीएस स्कीम के तहत आने को कह सकती है. उनसे कहा जाएगा कि जमा कराए गए पैसों में 75% वे सरकारी खजाने के नाम करें. इनकम टैक्स छापों, आईडीएस-2 और बैंकों में जमा कराए गए कैश की पड़ताल के बाद सरकार 30-31 दिसंबर तक यह दावा भी कर सकती है कि उसने कम से कम 3 लाख करोड़ के काले धन की पहचान कर ली है.
नोटबंदी की अफरातफरी का जो सच सामने आ रहा है, वह परेशान करने वाला है. सरकार ने 6% (कैश ब्लैक मनी) ब्लैक मनी-ब्लैक वेल्थ पकड़ने के लिए पूरे देश के सामने परेशानी खड़ी कर दी. सबसे बेहतर स्थिति में वह इस 6% में सिर्फ 20% ब्लैक कैश ही पकड़ पाएगी. इस तरह से सरकार का सक्सेस रेट 1% होता है. इसके लिए देश की इकोनॉमी को इतना बड़ा नुकसान पहुंचाया गया. यह नुकसान कितना बड़ा है, इस पर कभी और बात करेंगे. तब तक इस कैशलेस के नए जुमले पर अवलोकन करें.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 11 Dec 2016,05:07 PM IST