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नई लोकसभा में जो हो रहा है वो शायद भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में अब तक नहीं हुआ. 17वीं लोकसभा की कार्यवाही के पहले दो दिनों में जो हो रहा है, उसे देख डर लग रहा है. इन दो दिनों में नए सांसदों ने संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा और श्रद्धा रखने की शपथ ली. लेकिन इसी शपथ के दौरान बार-बार संविधान की बेकद्री हुई.
भोपाल से सांसद चुनी गईं प्रज्ञा ठाकुर 17 जून को जब शपथ लेने आगे बढ़ीं तो माइक ने कुछ बीजेपी सांसदों की हल्की सी आवाज़ पकड़ी-जय श्री राम. डायस के पास पहुंचीं तो संस्कृत में शपथ लेने लगीं...यहां तक तो सब ठीक था...फिर उन्होंने अपने नाम के साथ अपने गुरु स्वामी पूर्ण चेतनानंद अवधेशानंद गिरि का भी नाम लिया. हंगामा मच गया. प्रोटेम स्पीकर विरेंद्र कुमार ने उन्हें टोका.
प्रोटेम स्पीकर - साध्वी जी, अपने नाम के साथ पिताजी का नाम जोड़िए.
साध्वी - यही मेरा नाम है.
प्रोटेम स्पीकर - अपना नाम पूरा बोलिए
प्रज्ञा ने वही नाम दोहराया.
हंगामा बढ़ा
स्पीकर ने कहा - रिकॉर्ड चेक कर रहे हैं...
पता चला कि वहां गुरु जी का नाम नहीं लिखा था.
स्पीकर ने प्रमाणपत्र चेक करने के लिए कहा...
हंगामे के बीच प्रज्ञा की आवाज आई - ईश्वर की शपथ तो लेने दो.
प्रज्ञा ने दोबारा शपथ ली.
संस्कृत में ली गई इस शपथ में संस्कृति और संस्कार कहां थे?
प्रज्ञा की शपथ में माइक ने जो हल्की सी आवाज बैकड्रॉप से पकड़ी थी, आगे वो मुखर हो गई..बंगाल से चुन कर आए बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो और देबोश्री चौधुरी जब शपथ लेने आईं तो बीजेपी के सदस्यों ने पुरजोर आवाज में नारे लगाए- जय श्री राम.
अगले दिन यानी 18 जून को जो जयश्री राम के जो नारे पृष्ठ भूमि से लग रहे थे वो प्रत्यक्ष प्रकट हो गए. अलीगढ़ से जीतकर आए बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने शपथ लेने के बाद नारा लगाया - भारत माता की जय, जय श्री राम, वंदे मातरम..
स्पीकर ने कहा - इसे रिकॉर्ड में नहीं रखा जाएगा.
गौतम ने विरोध किया - क्यों नहीं रखा जाएगा?
स्पीकर ने फिर कहा- सिर्फ शपथ रिकॉर्ड में जाएगी...
गौतम अड़े रहे..
हैदराबाद से AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी के शपथ ग्रहण में बीजेपी सांसदों ने जय श्रीराम के नारे लगाए. ओवैसी ने इसके जवाब में शपथ के बाद नारा लगाया - जय भीम, अल्लाह-हू-अकबर, जय हिंद.
अब जरा देखिए सांसद किन शब्दों में शपथ लेते हैं..
लेकिन संविधान की प्रस्तावना में ये लिखा है
जिस संविधान में राष्ट्र को एक धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र घोषित किया गया है, उसी संविधान की शपथ लेते हुए धार्मिक नारे लगाना सही था? संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को एक मौलिक अधिकार बताया गया है। तो फिर किसी और की शपथ के समय जय ‘श्री राम के नारे’ लगाकार संविधान का पालन कर रहे थे या तोड़ रहे थे? ‘जय श्री राम’ और ‘अल्लाह हू अकबर’ के नारे संसद में? लोकतंत्र के सबसे पवित्र मंदिर में? हो क्या रहा है?
आधे देश में सूखा पड़ा है. गर्मी जिंदगियां लील रही है. बिहार में बच्चे बुखार से मर रहे हैं. डॉक्टरों की हड़ताल के कारण अस्पतालों में मचा हाहाकार अभी थमा भी नहीं है...लेकिन जनतंत्र में जन की पीड़ा-उनका चीत्कार, धार्मिक नारों के हुंकार में दबा सा दिख रहा है.
क्या ऐसे ही मौकों के लिए किसी ने धर्म को जनता की अफीम कह दिया था? थोड़ी सी चाट लीजिए, दवा हो जाएगी, दर्द हवा हो जाएगा.
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Published: 18 Jun 2019,10:35 PM IST