advertisement
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार शाम को कालाधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए 500 और 1000 रुपये के नोट को बंद करने का ऐलान किया. मोदी जी के इस फैसले की तुलना किसी ने सर्जिकल स्ट्राइक से की तो किसी ने पोखरण विस्फोट से भी कर दी.
इस फैसले से मुख्य रुप से जो बातें निकल कर आई हैं वो ये हैं-
सारी दुनिया में एक नया ट्रेंड दिख रहा है. हर जगह वैसे लोग जो हाशिए पर हैं, गरीब हैं. जो दिल्ली-मुंबई, न्यूयॅार्क जैसी जगहों पर नहीं रहते वो खुद को पीड़ित महसूस कर रहे हैं. ब्रिटेन का यूरोपियन यूनियन से अलग होने के लिए वोट करना यानी ब्रेग्जिट की घटना इसका एक मजबूत उदाहरण है. लंदन कभी भी यूरोप से खुद को अलग नहीं करना चाहता था. लेकिन दूर-दराज के लोग ऐसा चाह रहे थे. जिसका नतीजा ब्रेग्जिट रहा.
इस नए ट्रेंड और पॉलिटीकल मूड को मोदी जी ने बखूबी भांप लिया है. उन्हें यह पता है कि किस तरह के फैसलों से आम आदमी खुश हो जाएगा. इसके लिए दिल्ली-मुंबई थोड़ा नाराज भी हो जाए तो चलेगा.
फैसले की सटीक टाइमिंग
फैसले की टाइमिंग भी उन्होंने बिल्कुल सटीक चुनी. उन्होंने यह कदम ऐसे वक्त में उठाया जब उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनाव होने वाले हैं. वैसे तो चारों तरफ यूपी चुनाव की चर्चा जोरों पर है. लेकिन मोदी जी ने पंजाब को नजरअंदाज नहीं किया है क्योंकि पंजाब ऐसा राज्य है जहां ड्रग और तस्करी का धंधा चरम पर है. ट्रांसपोर्ट समेत ऐसे कई धंधे हैं जिनमें काला धन लगा हुआ है.
इस बात से सभी वाकिफ हैं कि आतंकवाद का पूरा कारोबार काले धन से ही संचालित होता है. जाली नोटों का इससे तगड़ा कनेक्शन है और इसकी तादाद बढ़ी है.
पीएम मोदी जी ने काले-धन पर किए गए हमले को राष्ट्रवाद का जामा पहना दिया है. बीजेपी चुनाव जीतने के लिए जिन मुद्दों को उछाल रही है उसमें काला धन और राष्ट्रवाद का ये मिक्स नया जोश भर देगा.
1000-500 के नोट बंद करने के मोदी जी के इस फैसले से कुछ दिनों तक रोजमर्रा के कारोबार में दिक्कतें आ सकती हैं.
लेकिन यह बात तो तय है कि इस फैसले से बहुत बड़े पैमाने पर कालाधन रखने वाले नेताओं, अफसरों और व्यापारियों को बहुत बुरे दिन देखने पड़ेंगे. हो सकता है कि मोदी जी के कुछ कोर वोटर्स इस फैसले से खफा हो जाएं. उनकी मुसीबतों के अनेकों किस्से आने वाले दिनों में सामने आएंगे. लेकिन सरकार के पास इंतजाम है कि इस कमी को भरने के साथ-साथ बीजेपी की कोर बेस कैसे बढ़ाई जाए. ब्लैक मनी का मुद्दा उनको अपील करेगा जिसको मोदी अपने साथ जोड़ना चाहते हैं.
मौजूदा समय में 14 लाख करोड़ के बड़े नोट चलन में हैं. उनमें से एक बहुत बड़ा हिस्सा काला धन का हो सकता है. जब यह काला धन घोषित होगा तो उसपर सरकार को लगभग दो से ढाई लाख करोड़ तक की छप्परफाड़ टैक्स की कमाई हो सकती है.
वैसे एक बात काबिल-ए-गौर है वोट हो या नोट, मोदी जी को जो भी मिलता है छप्पर फाड़ कर ही मिलता है.
एक ऐसे समय में जब प्राइवेट सेक्टर में निवेश न के बराबर हो रहा है, आने वाले दिनों में सरकार के पास विकास पर खर्च करने के लिए बहुत सारा पैसा होगा. मोदी जी दुनिया से कह सकेंगे कि इंडियन इकोनॉमी की अच्छी-खासी सफाई हो चुकी है और विदेशी इन्वेस्टर आराम से अब अपना पैसा यहां लगा सकते हैं.
कुछ देर के लिए मोदी जी का यह कदम जोखिम भरा लग सकता है लेकिन लॉन्ग टर्म में उनको फायदे की उम्मीद ज्यादा दिख रही है जैसे आने वाले महीनों में ब्याज दर कम रहे, महंगाई की रफ्तार थमे, करेंसी मजबूत बनी रहे.
हालांकि दूसरी तरफ रियल एस्टेट और कॅमोडिटी कारोबार को इस कदम से नुकसान हो सकता है लेकिन इस पूरे शिगूफा का नेट रिजल्ट पॉजिटिव ही होगा. कम से कम मोदी जी के फैसले के पीछे उनका यही आकलन नजर आ रहा है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 09 Nov 2016,03:53 PM IST