मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019पंजाब में AAP के आने से अब फिजिक्‍स और मैथ्‍स से निकलेगा नतीजा?

पंजाब में AAP के आने से अब फिजिक्‍स और मैथ्‍स से निकलेगा नतीजा?

AAP ने सदियों पुरानी समस्या का नया वर्जन तैयार कर दिया. तीन पार्टियों की वजह से गोवा और पंजाब में भी ऐसा ही होगा? 

टीसीए श्रीनिवास राघवन
नजरिया
Updated:


(फोटो: द क्विंट)
i
(फोटो: द क्विंट)
null

advertisement

पिछले कुछ हफ्तों से यूपी, गोवा और पंजाब विधानसभा चुनाव सुर्खियों में बने हुए हैं. यूपी में जहां चार बड़ी पार्टियों के बीच मुकाबला है, वहीं पंजाब और गोवा में दो दलों के बीच ही आमना-सामना हुआ करता था. अब आम आदमी पार्टी (आप) की मौजूदगी के चलते दोनों राज्यों में तीन पार्टियों के बीच टक्कर है.

किसी भी क्षेत्र में तीसरे कॉम्पिटीटर के आने से नतीजे पर बहुत फर्क पड़ता है. दरअसल, नंबर 3 की फितरत ही कुछ ऐसी है. इसमें कुछ ऐसा है, जो इसे चौंकाने वाला और बाधा खड़ी करने वाला बनाता है. कुछ मैथेमेटिकल प्रॉपर्टीज की वजह से यह चौंकाने वाला आंकड़ा है. इसी वजह से इसका दुनिया के हर कल्चर और धर्म में कई तरह से इस्तेमाल होता आया है. यह रुकावट वाला नंबर भी है, क्योंकि यह अव्यवस्था खड़ा करता है. यह संतुलन नहीं बनने देता.

फिजिक्स में पहली बार इस समस्या का जिक्र जर्मन मैथेमेटिशियन लियोनार्ड यूलर ने किया था. इसे यूलर का ‘थ्री बॉडी प्रॉब्लम’ कहा जाता है. यूलर ने पता लगाने की कोशिश की थी- जब स्पेस में स्थित दो बॉडीज के गुरुत्वाकर्षण बल का असर एक पार्टिकल पर पड़ता है तो उसकी चाल किस तरह प्रभावित होती है. उन्होंने पता लगाया कि जितनी ताकत का इस्तेमाल पार्टिकल पर होता है, वह उनके बीच दूरी के स्क्वायर का उलटा होता है.

इसका मतलब यह है कि अगर पार्टिकल बहुत करीब पहुंच जाता है, तो वह अपनी राह से भटक सकता है. इससे बचने के लिए उसे कई असंभव काम करने पड़ेंगे, जिसमें इसके एंगुलर मोमेंटम में बदलाव जैसी चीजें शामिल हैं. इससे एक अस्थिरता पैदा होती है.

अर्थशास्त्र में भी ऐसा ही होता है. इकोनॉमिक्स में नंबर 3 की समस्या को ‘आइसक्रीम वेंडर प्रॉब्लम’ कहा जाता है, यानी किसी बीच पर आइसक्रीम वेंडर अपनी स्टॉल कहां लगाएं, जिससे उन्हें अधिक से अधिक बिक्री करने का मौका मिले?

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

जाने-माने अर्थशास्त्री हेरल्ड होटेलिंग ने सुझाव दिया था कि उन्हें बिल्कुल बीच में स्टॉल लगाना चाहिए, न कि बीच के दो छोर पर, जैसा कि कई लोग कहेंगे. अगर वे ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें बीच से दोनों तरफ बराबर की दूरी पर होना चाहिए.

होटेलिंग का कहना था कि स्टॉल को बीचोंबीच लगाना सबसे अच्छा उपाय है. अगर तीसरा आइसक्रीम वेंडर आ जाए, तब क्या होगा? तब तीनों की पोजीशन क्या होनी चाहिए? क्या तब तीनों को कहीं सेटल होना चाहिए? उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. उसकी वजह यह है कि जगह थोड़ी बदलने पर भी उन्हें अधिक ग्राहक मिल सकते हैं (राजनीतिक दलों के लिए यह कुछ और वोट होगा). बहुत कम कोशिश करके वे बड़ा इनाम हासिल कर सकते हैं.

ईसाइयों के पास होली ट्रिनिटी है, हिंदुओं के पास ब्रह्मा, शिव और विष्णु हैं और बौद्ध धर्म में तीन ज्वेल्स हैं. रोमांस में हर कोई जानता है कि तीसरी पार्टी के आने से अस्थिरता पैदा होती है. आपने नॉवेल, नाटकों और फिल्मों में ऐसा देखा ही होगा.

जहां तक पॉलिटिक्स की बात है, ब्रिटेन को पिछली सदी में इस समस्या का सामना करना पड़ा था. वहां यह समस्या आखिरकार तीसरी पार्टी को खारिज किए जाने से हल हुई. जर्मनी अभी भी तीन पार्टियों के पॉलिटिकल सिस्टम के साथ संघर्ष कर रहा है. भारत में इस बीच जिन राज्यों में दो पार्टी या अलायंस के बीच मुकाबला रहा, उनमें उन राज्यों के मुकाबले अच्छा विकास हुआ है जहां दो से अधिक पार्टियों के बीच टक्कर होती है.

जिन राज्यों में दो पार्टियों के बीच मुकाबला है, उनमें गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, राजस्थान, आंध्र प्रदेश आदि शामिल हैं. वहीं यूपी, बिहार और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में दो से अधिक पार्टियां रही हैं. अब आम आदमी पार्टी ने सदियों पुरानी इस समस्या का नया वर्जन तैयार कर दिया है. जैसा कि हम देख रहे हैं कि तीन पार्टियों की वजह से दिल्ली में गंभीर समस्या खड़ी हो गई है.

क्या गोवा और पंजाब में भी ऐसा ही होगा?

अगर इन चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहता है, तो भी गोवा और पंजाब में उनकी अच्छी मौजूदगी है. इसलिए वहां गुरुत्वाकर्षण बल पैदा होगा. आम आदमी पार्टी को इन दो पार्टियों के बीच वजूद बनाए रखना होगा और उसमें लगातार एडजस्टमेंट करने होंगे, जिसे फिजिक्स में एंगुलर मोमेंटम कहते हैं. राजनीति में इन्हें समझौता कहा जाता है.

आप चाहे जैसे भी देखें, दोनों राज्यों में इससे अस्थिरता बढ़ेगी, ठीक उसी तरह से, जैसा तीसरे आइसक्रीम वेंडर के आने से होता है. हर कोई लगातार अपनी पोजीशन बदलेगा. दिल्ली में हम ऐसा देख रहे हैं और यह गवर्नेंस के लिए अच्छा नहीं है.

(लेखक आर्थिक-राजनीतिक मुद्दों पर लिखने वाले वरिष्ठ स्तंभकार हैं. इस आलेख में प्रकाशित विचार उनके अपने हैं. आलेख के विचारों में क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 08 Feb 2017,11:07 AM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT