मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019क्या इलेक्शन कैंपेन बगैर दुश्मनी के और साफ-सुथरा हो सकता है?

क्या इलेक्शन कैंपेन बगैर दुश्मनी के और साफ-सुथरा हो सकता है?

हमें निश्चित रूप से ऐसे व्यक्ति को चुनना चाहिए जो जरूरत पर उपलब्ध भी हो और हमारे प्रति जिम्मेदार भी

गुल पनाग
नजरिया
Published:
गुल पनाग 
i
गुल पनाग 
(फोटो: क्विंट)

advertisement

पांच साल पहले लगभग इसी समय मैंने पहला चुनाव लड़ा. जीवन बदल देने वाला यह अनुभव था. मैं दोबारा अतीत में जाना चाहूंगी और इसे दोहराना चाहूंगी, भले ही नतीजा पहले की ही तरह क्यों न हो. ईमानदारी से कहूं तो यह आवेग में लिया गया फैसला था.

आम आदमी पार्टी की यथास्थिति विरोध वाली सोच मुझे पसंद थी. और, मैंने एचएस फुल्का जैसे इंसान की खातिर, जिनकी मैं लम्बे समय से प्रशंसक रही थी, अभियान चलाने के लिए समय निकाला. जब चंडीगढ़ के आम आदमी पार्टी उम्मीदवार ने नाम वापस ले लिया, मैं अरविन्द केजरीवाल के पास पहुंची और अपनी टोपी उतार दी.

2014 में चुनाव अभियान के दौरान गुल की तस्वीर (फोटो: स्वाति सिंह, गुल पनाग)

राजनीतिक विज्ञान में डिग्री के बावजूद किस्मत से सीखी राजनीति

चंडीगढ़ छोटा शहर है जिसे मैं घर मानती हूं. मैं इसे बहुत अच्छी तरह से जानती हूं या फिर ऐसी मेरी सोच है. जब ‘आप’ के लिए अभियान के वास्ते मैं योजना बनाने लगी, मुझे महसूस हुआ कि शहर को मैं जितना जानती थी, उससे कहीं ज्यादा है यह शहर.

योजनाबद्ध शहर के तौर पर ख्याति के बावजूद चंडीगढ़ एक ऐसा शहर है जो स्पष्ट रूप से दो भागों में बंटा है- समृद्ध उत्तर के सेक्टर और कहीं ज्यादा घनी आबादी वाले कम समृद्ध दक्षिण के सेक्टर. करीब-करीब यह दो शहर हैं. चंडीगढ़ के बारे में जो अवधारणा है कि यह अपर मिडल क्लास का स्वर्ग है. इससे कहीं अलग इस शहर में बहुत ज्यादा सामाजिक-आर्थिक असमानताएं हैं, जहां 56 सेक्टरों के अतिरिक्त 22 गांव और 15 कॉलोनियां हैं.

स्टार्ट-अप पार्टी से चुनाव लड़ने का फायदा ये होता है कि आप पहली ही बार में सारी प्रक्रियाएं जान लेते हैं. स्थापित दलों में कई टीम होती हैं और जो कुछ करने की जरूरत है उस हिसाब से वे बहुत कुशल होती हैं. शुरूआत करने वालों के लिए नामांकन पत्र का काम बहुत थकाऊ होता है अगर आप सबकुछ वहीं भरना चाहते हैं. और, अगर कोई व्यक्तिगत तौर पर साथ बैठा है तो आप जानते हैं कि हलफनामे में क्या लिखा जाना है.

2014 के चुनाव अभियान के दौरान गुल की तस्वीर(फोटो: स्वाति सिंह, गुल पनाग)

बेशक मेरे साथ अन्य लोगों के अलावा दो वकील मित्र और मेरे चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट थे, जिन्होंने कागजी जरूरत पूरे किए. मैं जो कुछ वहां लिख रही थी, उसे लेकर बेहद सावधान थी. उदाहरण के लिए, मैंने राजनीतिक विज्ञान में 2013 में अपना मास्टर पूरा किया था. फिर भी, मेरे हाथ में डिग्री सर्टिफिकेट नहीं थे और इसलिए कई दिनों हलफनामे में इसका जिक्र किए जाने को लेकर चिन्तित रही. आखिरकार, मैंने इसका जिक्र नहीं किया.

स्थापित दलों के पास खास तौर से ‘नामांकन टीम’ होती है जो अक्सर तथ्यों के करीब और सही अंदाजा लगाते हुए कागजात तैयार कर देती है. अभियान में व्यस्त उम्मीदवार बस उस पर हस्ताक्षर कर देते हैं. अक्सर यह जांचते भी नहीं कि उसमें क्या लिखा है. उदाहरण के लिए शैक्षिक योग्यता में विसंगति.

अभियान, सेलेब्रिटी और लू ब्रेक

पार्टी के स्वयंसेवकों ने मिलकर एक शानदार अभियान की योजना बनायी और मैं हर सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक उससे जुड़ी रहती. हमेशा सतर्क चुनाव आयोग की टीम के साए में रहना होता है, क्योंकि आचार संहिता के टूटने की आशंका बनी रहती.

योजना कम से कम दो बार हर क्षेत्र में जाकर दरवाजे-दरवाजे दस्तक देने की थी. हम औसतन हर दिन 15 किलोमीटर पैदल चले (मेरे मित्र के आकलन के अनुसार). आम तौर पर चाय के समय ही लंच हो पाता. चाहे वह कार में हो या चुनाव क्षेत्र स्थित घर पर. वास्तव में दिनभर में कई कप चाय हो जाया करती, जो मेरे जैसे चायप्रेमी के लिए आनन्ददायक था.
2014 में ‘आप’ के चुनाव अभियान के दौरान सड़क किनारे चाय स्टॉल पर गुल पनाग(फोटो: स्वाति सिंह, गुल पनाग)

भूख से निबटने के लिए मैं बैग में बिस्कुट लेकर चलती और पेशाब पर भी जबरदस्त नियंत्रण मैंने विकसित कर लिया था. समय के साथ-साथ मैंने झिझक छोड़ दी और जब कभी महसूस होता तो खुद ही आगे बढ़कर दरवाजा खटखटा देती. साधारण और सामान्य के ‘मुखौटे’ में ‘सेलेब्रिटीडम’ दिखाना अच्छा लगता. लू ब्रेक भी लोगों से जुड़ने का अच्छा अवसर हुआ करता था, क्योंकि अमूमन वह समय निर्वाचन क्षेत्र स्थित घरों में ‘टी ब्रेक’ में बदल जाया करता.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

धन कहां था?

हमारी रणनीति घर-घर जाने की थी ताकि दौलत का मुकाबला किया जा सके क्योंकि हम उतना खर्च नहीं कर सकते थे. खर्च की वैधानिक सीमा 54 लाख थी. (चूकि चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश था इसलिए यहां खर्च की सीमा दूसरे संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों से कम थी) मैं खुशनसीब रही कि चंदे से जुटायी सारी रकम खर्च करने में कामयाब हो सकी और यह किसी अभियान की मजबूती का आधार होती है.

2014 मे चुनाव अभियान के दौरान मशहूर संगीतकार रब्बी शेरगिल के साथ गुल पनाग(फोटो: स्वाति सिंह, गुल पनाग)
चुनाव प्रचार के दौरान स्वयंसेवकों के लिए भोजन, बोर्ड, प्लेकार्ड्स, प्रेस और रेडियो विज्ञापन, पैम्फलेट और ईंधन के लिए धन चाहिए. हम केवल चुनाव अभियान खत्म होने के दिन पहले पेज पर क्वार्टर एड और एक दिन रेडियो पर एड कर सके. मतदान के दिन और भी विशाल खर्च होता है.

वित्तीय सीमाओं के बावजूद हमारे अभियान ने ऊंचाई हासिल की. यह 2014 में उन चार चुनाव क्षेत्र में था, जिसकी सबसे अधिक चर्चा हुई (इसके अलावा वाराणसी, अमेठी और अमृतसर). हमने व्यस्त रहने के अनोखे तरीके निकाले. मेरी मोटरसाइकिल रैलियां हिट रहीं (इस वजह से मुझे द इकॉनोमिस्ट और दूसरी विदेशी प्रेस में भरपूर जगह मिली).

हम राजनीतिक रैलियों का खर्च वहन नहीं कर सकते थे (कुर्सियां, टेन्ट आदि बहुत खर्चीले थे). इसके बजाय हमने हर क्षेत्र में जाने पर ध्यान केन्द्रित किया ताकि छोटी और अत्यधिक अंतरंग भीड़ से घुलमिल सकूं. इन सबके बावजूद हमारे पास रकम बच गयी और हमने दानदाताओं को लौटा दी.
‘आप’ के लिए 2014 में मोटरसाइकिल रैली में गुलपनाग(फोटो: स्वाति सिंह)

चुनाव लड़ी, लड़ाई नहीं

एक और बात जो मैं जान सकी वह यह कि अपने विरोधी पर व्यक्तिगत आक्षेपों के बिना भी साफ-सुथरा तरीके से और सकारात्मक रहते हुए प्रभावी चुनाव अभियान सम्भव है. चंडीगढ़ में राजनीतिक अभियानों का जो स्तर था वह राष्ट्रीय स्तर पर जो कुछ हो रहा था, उसके ठीक उलट था. पवन बंसल, किरण खेर और मैं अक्सर एक-दूसरे से मिलते और कई बार एक ही प्लेटफॉर्म पर ऐसा होता. उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धताएं अलग थीं. व्यक्तिगत तौर पर दोनों के लिए मेरे मन में बहुत सम्मान है.

मेरे अभियान का दिल बिना थके काम में जुटे स्वयंसेवकों का समूह था. मित्र और परिवार, दुकानदार, ऑटो रिक्शा ड्राइवर, उद्यमी, सीईओ, पीआर प्रोफेशनल और वकील- स्वयंसेवकों का यह आधार उन अद्भुतलोगों से बना था जो अपने-अपने क्षेत्रों में काम करते हुए जुड़े थे. इनमें से ज्यादातर लोगों ने अपने जीवन के बहुमूल्य हिस्सों से समय निकाला और अभियान का समर्थन किया. उनमें सभी का मानना था कि जिस तरह से राजनीति चल रही है उसे बदलने की जरूरत है. हमें उस सपने में दोबारा विश्वास पैदा करना है जिसका भरोसा टूट चुका है. क्योंकि यथास्थिति से केवल दागी पार्टियों का फायदा होता है.

2019 में मैं क्या कर रही हूं

अब जब मैं वर्तमान को देखती हूं मुझे महसूस होता है कि शायद उस चुनाव में जीत असंभव बात होती. हालांकि, उस समय मैंने ऐसा नहीं सोचा था. रिक्शा चालकों से लेकर बड़े-बड़े घरों में रहने वाले लोगों तक से जिससे नॉर्दर्न सेक्टर बने हैं- सभी तबकों से मिले समर्थन से मैं बहुत खुश थी. मैं इस बात से भी खुश थी कि हमने कितना धन इकट्ठा कर लिया था और वह भी सभी तबकों से- लेबर चॉक में इंतजार करते श्रमिक वर्ग से लेकर उन लोगों से, जिन्होंने खुले दिल से चेक पर हस्ताक्षर किए.

2014 में चुनाव अभियान के दौरान गुल की तस्वीर(फोटो: स्वाति सिंह, गुल पनाग)
चंडीगढ़ में हमेशा से उस उम्मीदवार को वोट दिया जाता है जो सरकार बनाने वाली पार्टी से जुड़ा होता है. और, मेरा अंदाजा है कि इस बार भी ऐसा ही होगा. इस दौड़ से बाहर रहना आसान फैसला है, क्योंकि मेरा बेटा बमुश्किल एक साल का है. हालांकि, मैं अपनी पसंद के उम्मीदवार के लिए अभियान चलाने के बारे में सोचूंगी.

चूंकि हमारी ताकत जनप्रतिनिधियों में होती है और इसलिए हमें निश्चित रूप से ऐसे व्यक्ति को चुनना चाहिए जो जरूरत पर उपलब्ध भी हो और हमारे प्रति जिम्मेदार भी. संसदीय लोकतंत्र इसी तरीके से चलता है. ऐसे लोग जो ताकत को अपने तरीके से परिभाषित कर सकते हैं और अपने तरीके से इसे आकार दे सकते हैं, चाहें तो आगामी चुनाव को राष्ट्रपति चुनाव का प्रोजेक्ट बना सकते हैं. लेकिन, वास्तव में यह ऐसा नहीं है. हम राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए प्रॉक्सी वोट नहीं देते. कौन सी पार्टी सरकार बनाती है इससे ऊपर उठकर मुझे उम्मीद है कि हम ऐसे उम्मीदवार चुनते हैं जिनमें वास्तव में दम हो, जो अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए जिम्मेदार रहेंगे.

(गुल पनाग एक कलाकार, पायलट, राजनीतिज्ञ और उद्यमी हैं. उनका ट्विटर हैंडल है @GulPanag . यह उनका व्यक्तिगत ब्लॉग है और इसमें व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट का इससे कोई सरोकार नहीं है.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT