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30 पायदान ऊंची छलांग में बहुत कुछ अभी छूटा हुआ है

भारत में कारोबार शुरू करने के तय पैमाने पर भारत 30 पायदान उछलकर 100वें स्थान पर पहुंच गया है

हर्षवर्धन त्रिपाठी
नजरिया
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भारत में कारोबार शुरू करने के तय पैमाने पर भारत 30 पायदान उछलकर 100वें स्थान पर पहुंच गया है
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भारत में कारोबार शुरू करने के तय पैमाने पर भारत 30 पायदान उछलकर 100वें स्थान पर पहुंच गया है
( फोटो:AP )

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नरेंद्र मोदी सरकार के पक्ष में एक बड़ा आंकड़ा सामने आ गया है. ताजा आंकड़ा है विश्व बैंक की रिपोर्ट, जिसमें कहा गया है कि भारत में कारोबार शुरू करने के तय पैमाने पर भारत 30 पायदान उछलकर 100वें स्थान पर पहुंच गया है. विश्व रैंकिंग में 30 पायदान ऊपर पहुंचना छलांग लगाने जैसा ही हुआ.

ये बात ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए भी हो जाती है, क्योंकि, 2014 में जब मनमोहन से मोदी सरकार के हाथ में सत्ता आई थी, तब विश्व बैंक के पैमाने पर भारत 142वें स्थान पर था. इस रैंकिंग को इस लिहाज से भी देखा जा सकता है कि जब अक्टूबर महीने में साल 2014 में यही रैंकिंग सामने आई थी, तो मोदी को प्रधानमंत्री बने 5 महीने बीत चुके थे और उस रैंकिंग में भारत 189 देशों में से 142वें स्थान पर था.

भारत की रैंकिंग पाकिस्तान से भी खराब थी. अब मोदी सरकार के 3 साल पूरे होने पर आई ये रैंकिंग सरकार के दावों को मजबूती देने के काम आएगी. लेकिन, सिर्फ 30 पायदान की छलांग से ये मान लेना का भारत में कारोबार करने के लिहाज से हर पायदान पर भारत बेहतर हुआ है, सिर्फ पीठ थपथपाना रह जाएगा. क्योंकि, कई महत्व के पैमाने ऐसे हैं, जिनमें भारत की स्थिति कमतर हुई है. यहां यह बताना जरूरी है कि रैंकिंग का कुछ पैमाना होता है और इसे तय करने इनपुट मुंबई और दिल्ली के कुछ उद्योगपतियों से बातचीत से भी लिया जाता है.

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस यानी कारोबार करने को लेकर बनाई गई इस रैकिंग का सबसे पहला पैमाना है कारोबार की शुरुआत करना. इस पैमाने पर भारत पहले की रैंकिंग से 1 पायदान नीचे जाकर 156 पर पहुंच गया है. कंस्ट्रक्शन परमिट के पैमाने पर भारत की स्थिति सुधरी है. हालांकि, बड़ी उछाल नहीं है. लेकिन, 4 पायदान ऊपर चढ़कर 189 देशों में 181वें स्थान पर है.

कारोबार शुरू होगा, तो सबसे बड़ी जरूरत बिजली मिलने की होती है. इस पैमाने पर अप्रत्याशित तौर पर भारत की रैकिंग गिरी है. पहले भारत 26वें स्थान पर था, ताजा रिपोर्ट में अब 29वें स्थान पर है.संपत्ति का पंजीकरण करवाने में किसी कारोबारी को कितनी आसानी होती है, ये भी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का एक महत्वपूर्ण पैमाना है. इस मामले में वर्तमान स्थिति ज्यादा खराब हुई है. 138वें स्थान से भारत 154वें स्थान पर चला गया है.

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कर्ज के पैमाने पर भारत में माहौल बेहतर

कारोबार करने के लिए कर्ज आसानी से मिले, ये बेहद जरूरी शर्त है. और, इस पैमाने पर भारत की स्थिति जबर्दस्त तरीके से सुधरी है. कारोबारियों को कर्ज मिलने के मामले में भारत 44वें स्थान पर था, अब 29वें स्थान पर पहुंच गया है.

एक और पैमाने पर भारत में माहौल बेहतर हुई है. वो है, छोटे निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखना. इस पैमाने पर भारत की स्थिति पहले भी अच्छी थी. अब बहुत अच्छी हो गई है. ये अकेला पैमाना है, जिसमें भारत दुनिया के शीर्ष 5 देशों में खड़ा है. भारत 13वें स्थान से चौथे स्थान पर खड़ा हो गया है.

कर देने के मामले में भारत की स्थिति बहुत खराब रही है. अभी तक भारत 189 देशों में से इस मामले में 172वें स्थान पर था. अब कर देने के मामले में भारत 119वें स्थान पर है. जीएसटी और नोटबंदी का सकारात्मक असर यहां देखा जा सकता है. सीमा पार करके कारोबार करने की स्थिति के मामले में भारत थोड़ा पीछे गया है. पहले 143वें स्थान पर था. अब 146वें स्थान पर है.

बेहतर कारोबार करने के लिए जरूरी होता है कि जो शर्तें तय हों, उसे लागू किया जाए. तय की गई शर्तें लागू कराने के मामले में भारत में अच्छा सुधार हुआ है. भारत 8 पायदान ऊपर चढ़कर 164वें स्थान पर आ गया है.

कानून कितना जरूरी...

दसवां महत्वपूर्ण पैमाना है कि कंपनी दिवालिया हो, तो कंपनी को और निवेशकों का हित बचाने के लिए सरकार के कानून कितने मजबूत हैं. कंपनी के दिवालिया होने की स्थिति में भारत में कानून बेहतर तरीके से लागू हो रहे हैं, इस रिपोर्ट में यह बात कही गई है. इस मामले में भारत अच्छी छलांग लगाकर 136वें स्थान से 103 नंबर पर पहुंच गया है.

कुल मिलाकर कारोबारी माहौल भारत में तेजी से बेहतर हुआ है. लेकिन, कारोबार शुरू करने, कंस्ट्रक्शन परमिट लेने, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन, ट्रेडिंग अक्रॉस बॉर्डर्स और पहले से तय शर्तें लागू कराने के मामले में सरकार को बहुत कुछ करना बाकी है. फिलहाल सरकार 30 अंकों की छलांग का जश्न मना सकती है.

(हर्षवर्धन त्रिपाठी वरिष्‍ठ पत्रकार और जाने-माने हिंदी ब्लॉगर हैं. उनका Twitter हैंडल है @harshvardhantri. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है. )

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