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खुला खत: नेताजी, लोकतंत्र का अपमान करने का आपको कोई हक नहीं है

देश के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव के नाम खुला खत

मयंक मिश्रा
नजरिया
Updated:
पार्टी मीटिंग के बाद बाहर आते मुलायम सिंह यादव. (फोटो: PTI)
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पार्टी मीटिंग के बाद बाहर आते मुलायम सिंह यादव. (फोटो: PTI)
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सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के नाम ये खुला खत है. समाजवादी पार्टी में मचे घमासान पर जिस तरह से मुलायम ने रिएक्ट किया है वो वाकई चौंकाने वाला है. क्विंट हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार मयंक मिश्रा  का मुलायम के नाम खुला खत...

माननीय मुलायम सिंह जी,

सोमवार की मीटिंग को 24 घंटे गुजर गए. अब तक मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि वो फैमिली फंक्शन था या फिर समाजवादी पार्टी के नेताओं की बैठक. कुछ भी हो, आपको सरेआम निर्वाचित मुख्यमंत्री के लिए इस तरह के शब्द बोलने का कोई हक नहीं है. फैमिली फंक्शन में अपने बेटे को फटकारने का आपको पूरा हक है, लेकिन मुख्यमंत्री के लिए इस तरह के अपशब्द बोलना, और वो भी तब जब आप सत्ताधारी पार्टी के मुखिया हैं, बिल्कुल ही अशोभनीय है.

आप क्या संदेश देना चाहते हैं कि आप बहुत फेयर हैं? क्या आप ये कहना चाहते हैं कि सही-गलत की लड़ाई में आप पुराने एहसानों को नहीं भूलते हैं? या फिर दोस्ती बचाने के लिए आप अपने बेटे को भी नहीं बख्शेंगे?

आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि दोस्ती, फैमिली, पार्टी के अलावा भी एक दुनिया है, जहां रुल ऑफ लॉ कायम रखना बहुत जरूरी होता है. उसके बिना तो बस केऑस, बिल्कुल अराजकता.

पब्लिक मीटिंग में अपनी बातों से आपने अराजकता फैलाने की बात की, लोकतंत्र को ठेंगा दिखाया और जाने क्या-क्या कह दिया.

आपने अमर सिंह की तरफदारी की और तर्क दिया कि अमर सिंह का आप साथ इसलिए देंगे क्योंकि उन्होंने आपको जेल जाने से बचाया. मतलब कि आपके हिसाब से अमर सिंह के सौ खून माफ हैं क्योंकि उन्होंने आपको जेल जाने से बचाया. अमर सिंह कुछ भी कर लें और आप उन्हें माफ करते रहेंगे. यह रुल ऑफ लॉ का मजाक नहीं है तो और क्या है?

हम सबकी कमजोरी होती है कि हमें अपने दोस्तों की छोटी सी भी खासियत बहुत बड़ी लगती है. एहसान फरामोश हम नहीं होना चाहते हैं, कम से कम दोस्तों के बीच तो बिल्कुल ही नहीं. लेकिन इसके अलावा भी तो दुनिया है.

आपने निर्वाचित मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को कहा ‘तुम्हारी हैसियत क्या है’. उत्तर प्रदेश के 20 करोड़ लोगों के बारे में आपने सोचा क्या?

अखिलेश उनके लिए सुरक्षा के प्रतीक हैं, रुल ऑफ लॉ के रक्षक हैं, वेलफेयर स्टेट के कस्टोडियन हैं. उनकी हैसियत को चुनौती देकर उस सरकारी मशीनरी को क्या संदेश देना चाहते हैं, जिसे वो चला रहे हैं?

लोकतंत्र में हमें आलोचना का पूरा हक है. प्रधानमंत्री के फैसलों की आलोचना होती है, उनके पॉलिसी का विश्लेषण होता है. लेकिन यह कहना कि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की क्या हैसियत है- यह तो लोकतंत्र की आत्मा पर चोट है.

मुलायम सिंह जी, यह मत भूलिए कि इस लोकतंत्र ने आपको बहुत कुछ दिया है. आप देश के सबसे पावरफुल नेताओं में से एक इसी लोकतंत्र की बदौलत बने हैं उसकी जड़ें खोदने की आप कोशिश करेंगे और वो भी अपनी थोथली दलीलों से.

अब खबर आ रही है कि जिन चार मंत्रियों को अखिलेश ने अपनी कैबिनेट से निकाला था उनकी फिर से वापसी हो सकती है. मतलब यह कि मुलायम सिंह जी आप हर हाल में यह सुनिश्चित करने में लग गए हैं कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की किस तरह से हैसियत कम होती रहे.

आपके इस नाटक पर उत्तर प्रदेश की जनता का क्या रिएक्शन होगा मुझे पता नहीं. लेकिन मुझे इस बात का बहुत दुख है कि जिस लोकतंत्र ने आपको‘नेताजी’ बनाया उसकी नींव हिलाने में आपको मजा कैसे आ रहा है?

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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Published: 25 Oct 2016,01:16 PM IST

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