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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ऐसी गलती कैसे हो गई? नारे गढ़ने में महारथी पीएम मोदी इस विधानसभा चुनावों में पूरे समय नामदार-कामदार जैसी इतनी मुश्किल और जुबान पर नहीं चढ़ने वाली बात बार-बार क्यों बोलते रहे, ये समझ नहीं आया.
मोदी ही नहीं, नारे की चूक बीजेपी के दूसरे स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ से भी हुई. योगी ने मध्य प्रदेश में हनुमान, राम और बजरंग बली के नाम पर वोट मांगे. लेकिन नतीजों में इन तमाम टोटकों और नारों का खास असर नहीं दिखा.
राहुल गांधी और अपने बीच तुलना के लिए मोदी ने पहली बार इन लाइनों का इस्तेमाल कर्नाटक विधानसभा चुनाव में किया. तंज करते हुए उन्होंने कहा, ''हम तो कामदार हैं जी और वो नामदार (राहुल गांधी).'' कामदार मतलब, जो मेहनत से जगह बनाता है और नामदार मतलब परिवार के नाम पर जिसे रुतबा हासिल हो. इसके बाद प्रधानमंत्री को ये लाइन ऐसी जमी कि भाषणों में ये उनका तकिया कलाम बन गया.
मोदी के वन लाइनर में जो तालियां पड़ती थीं, वो नामदार-कामदार वाली लाइन में नहीं पड़ीं, फिर भी उन्होंने रैली दर रैली इसका जमकर इस्तेमाल किया. लेकिन पब्लिक को शायद मजा नहीं आया. जरा देखिए अलग-अलग बातों में मोदी ने कैसे नामदार-कामदार शब्द पिरोए.
5 दिसंबर (सुमेरपुर, राजस्थान)
नामदार को कांग्रेस के नेताओं का ही नाम नहीं मालूम. एक माने हुए नेता कुंभाराम जी कैसे कुंभकरण बन गए, नामदार ही जानें.
4 दिसंबर (राजस्थान, जयपुर)
आज नामदार ने फतवा जारी किया – मोदी और भारत माता के लाखों-करोड़ों बेटे-बेटियों को 'भारत माता की जय' बोलने का हक नहीं है. लाखों लोगों के सामने नामदार के फतवे को चूर-चूर किया और एक नहीं, दस बार 'भारत माता की जय बोला'. नामदार, आप होते कौन हो, जो हमसे ये अधिकार छीनने का पाप कर रहे हो?
28 नवंबर (राजस्थान) नागौर
हमारी भ्रष्टाचार की लड़ाई से नामदार बहुत दुखी हैं. जिनके मलाई खाने के रास्ते बंद हुए हैं, वो मोदी मुर्दाबाद कहेंगे ही, मेरे माता-पिता को गाली देंगे ही, मेरी जाति पर अभद्र टिप्पणी करेंगे ही.
हमलोग सब कामदार हैं. हम सोने के चम्मच लेकर पैदा नहीं हुए हैं.
26 नवंबर (राजस्थान) भीलवाड़ा
डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर ने समाज में भेदभाव खत्म करने की राह दिखाई. लेकिन नामदार और उनके चेले मेरी जाति पूछते रहते हैं.
25 नवंबर जबलपुर
मेरे पिताजी 30 साल पहले दुनिया छोड़कर चले गए. मेरे परिवार में किसी का राजनीति से कोई संबंध नहीं है. फिर भी कांग्रेस के नामदार मेरे परिवार के बारे में अभद्र टिप्पणी करने से नहीं रुकते.
अब आते हैं बीजेपी के दूसरे नंबर के स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ पर
बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक जयभान सिंह पवैया तो ग्वालियर में अपनी सीट ही नहीं बचा पाए, वो कांग्रेस उम्मीदवार से 20,000 वोट से हार गए.
मतलब साफ है रसूखदार भी कई बार गलती कर जाते हैं. शायद आगे चुनाव में पीएम मोदी नामदार और कामदार वाले नारे का इस्तेमाल बंद कर दें क्योंकि ये असरदार साबित नहीं हुआ है.
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Published: 12 Dec 2018,07:32 PM IST