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बिहार चुनाव के पहले दो चरणों में मोबाइल पर चुनाव की रिपोर्टिंग करते हुए कब सुबह से शाम हो जाती थी पता ही नहीं चलता था. जब बुरी तरह भूख लगी तो चौराहों पर खड़े लिट्टी-चोखे के ठेलों से काम चल गया. लेकिन पेट या सच कहूं तो जबां मांसाहारी खाने के लिए मचल रही थी.
दिन खत्म होने पर मैंने अपने सहयोगी से मांसाहारी खाना खाने की इच्छा जताई.
किस्मत से, मेरे सहयोगी मुझे पटना के सब्जी बाग इलाके में ले गए. गांधी मैदान के पीछे स्थित ‘सब्जी बाग’ में सब्जी जैसा कुछ नहीं मिलता. बल्कि, इस बाजार में आप मनपसंद मांसाहारी डिशेज के मजे ले जा सकते हैं.
बकरों और मुर्गों की उघड़ी हुई खालों से सजी दुकानों से गुजरते हुए मेरे सहयोगी मुझे वहां मौजूद लोगों के बारे में बता रहे थे.
‘देखिए, ये इनको देखिए, ये पूर्व शूटर हैं, इन पर 30 हत्याओं का आरोप है. इनको देखिए, ये पूर्व बाहूबली हैं, पहले लालू के लिए काम करते थे.’
आखिरकार हम लोग बाजार के सबसे अच्छे ढाबे पर पहुंच गए.
“मटन करी की कुछ कटोरियों के साथ मैंने बिहारी कबाब भी ऑर्डर किया. ‘बिहारी कबाब’ सुनते ही वहां खड़े वेटर ने कहा, ‘गोमांस है उसमें, खाते हैं न?
दिल्ली में बड़े जानवरों का मांस खाने में काफी सावधानी बरतनी पड़ती है. वेटर और कसाई भी धीमे से कहते हैं, ‘ये बड़े का गोश्त है सर’.
इस ढाबे में हिंदू और मुस्लिम दोनो धर्मों के लोग मौजूद थे लेकिन किसी को इस बात से मतलब नहीं था कि बगल में बैठे व्यक्ति की प्लेट में क्या रखा है.
‘बिहारी कबाब’ से संतुष्ट होने के बाद मैंने ढाबे के मालिक से बात करनी शुरू की.
मेरी नमस्ते के जवाब में उन्होंने कहा, ‘मोहम्मद इरशाद उर्फ गोल्डन नाम मेरा’.
ढाबे के लजीज खाने की तारीफ करने के बाद मैं जानना चाहता था कि बीफ बेचने वाले मोहम्मद इरशाद और उनके ग्राहकों का दादरी की घटना पर क्या नजरिया है. मैंने सीधे - सीधे पूछा कि क्या गोमांस के मुद्दे पर हो रही राजनीति का पटना या बिहार में कोई असर है?
पढ़िए, मोहम्मद इरशाद ने क्या कहा -
हम हर धर्म के लोगों को मीट खिलाते हैं और यहां कभी ऐसी दिक्कत नहीं हुई. यहां गोमांस पर कोई राजनीति नहीं है. हम मटन, चिकन और शाकाहारी खाना बनाते हैं जो यहां काफी पॉपुलर है. अगर गोमांस एक समस्या बनता है तो हमारे पास कई और विकल्प हैं. और बीफ का अर्थ सिर्फ गोमांस नहीं होता, यहां ये बैलों और भैंसों का मांस होता है. -
- मोहम्मद इरशाद उर्फ गोल्डन
ढाबे में बैठे लोगों का मेरे सवाल सुनकर उत्तेजित होने की जगह मुस्कराना बताता है कि बिहार में अभी तक गोमांस सिर्फ एक खाने की एक चीज ही है.
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Published: 25 Oct 2015,08:15 PM IST