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वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दु प्रीतम
प्रोफेसर आर्थर लैफर( Arthur Laffer ), अमेरिका के जाने-माने सप्लाई चेन अर्थशास्त्री, येल और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़े हैं, रोनाल्ड रीगन ( Ronald Reagan) और डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) जैसे लोगों को सलाह देते रहे हैं, इन्होंने अर्थशास्त्र के इस टर्म को ईजाद तो नहीं किया लेकिन इकनॉमी का एक थ्योरम है कि टैक्स रेवेन्यू बढ़ जाता है , जब रेट कट होते हैं (Laffer’s Curve). इस थ्योरम (Napkin Theorem) को या टर्म को इन्होंने ईजाद नहीं किया लेकिन खुशकिस्मती से ये इनके नाम से जानी जाती है, इसे हम लैफर कर्व कहते हैं तो इस कर्व में और आमची मुंबई (Mumbai) में क्या तालमेल है?
26 अगस्त 2020 को महाराष्ट्र की सरकार(Thackeray Govt.) ने ऐसी चीज की जो आमतौर पर हमारी सरकारें करती नहीं हैं. उन्होंने टैक्स को बिल्कुल कम कर दिया क्योंकि वो चाहते थे कि मुंबई की प्रॉपर्टी मार्केट जो कोरोना के कारण काफी दब गई थी उसमें फिर से जान आ जाए.
जब दिसंबर आया तो उस वक्त के रेवेन्यू 60% बढ़ गए, दो हजार सात सौ करोड़ से चार हजार तीन सौ करोड़ टोटल नंबर ऑफ रजिस्टर्ड डॉक्यूमेंट 92% बढ़ गए. ये धमाकेदार असर रहा स्टांप ड्यूटी कट करने का इससे लैफर कर्व साबित हो जाता है, मुंबई प्रॉपर्टी मार्केट ने इसे साबित कर दिया.
हमारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए इसमें एक सीख है, क्योंकि वो बार-बार टीवी पर जाकर ये कह रही है कि 'आइए और नए आइडियाज हमें बताइए क्योंकि मैं एक 1 फरवरी को जो बजट बनाने जा रही हूं ये पिछले 100 सालों में सबसे ज्यादा जरूरी और सबसे ज्यादा क्रिटिकल बजट है'
मैं उनसे पूरी तरह सहमत हूं क्योंकि ये बजट वाकई में एक क्रिटिकल बजट है, लेकिन अभी तक उन्हें जो आइडियाज दिए जा रहे हैं, वो कुछ पुराने हैं कुछ पुराने को बदलकर पेश किया जा रहा है इसमें कुछ नई सोच नहीं है
लोगों का कहना है कि ऐसे लोग जिनकी इनकम बहुत ज्यादा है और उन पर आपने जो सरचार्ज लगाया था उस सरचार्ज को थोड़ा और बढ़ा दीजिए और लॉग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स जो आप कुछ साल पहले 10% लेकर आए थे. उसको बढ़ा दीजिए. लेकिन मेरे हिसाब से ये दोनों आइडिया बिल्कुल गलत हैं, इससे बहुत ज्यादा दिक्कत हो सकती है वहीं कुछ लोगों का कहना है कि जो सरकार 'आत्मनिर्भरता' का प्रोग्राम चला रही है, इसकी वजह से आप थोड़ी ड्यूटी बढ़ा दीजिए.
कुछ लोग कहते हैं कि पब्लिक सेक्टर शेयर जो आप बेच रहे थे. जो पहले इतना था अब उसे इतना कर दीजिए, फिर भी ये सब वही पुराने आइडिया, पुराने विचार हैं, इसमें कुछ खास नहीं है, दम नहीं है
अब जब ये बजट पिछले 100 सालों में सबसे खास बजट होने वाला है. मुझे लगता है कि ये वक्त है. कुछ अलग सोचने का ये कुछ नई चीजें करने का समय है और मेरा मानना है कि ये वक्त है, टैक्स को काटने का देखिए अनुमान बता रहे हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था 8% से कम होगी लेकिन क्योंकि इस साल ये बहुत कम होगी बेस कम होगा तो अगले साल ये बाउंस करेगी.
अगर हम 2019 और 2020 के आंकड़े लेकर चलते हैं, तो हमारा अनुमान काफी हद तक सही हो सकता है. उस साल केंद्र सरकार ने करीब 20 लाख करोड़ रुपये का टैक्स जुटाया था.
कॉर्पोरेट + पर्सनल इनकम + GST + एक्साइज टैक्स. इन चारों टैक्स ने सरकार को 20 लाख करोड़ रुपये दिए थे उसमें से 6.5 लाख करोड़ केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को दे दिए, लेकिन 13.5 करोड़ जो था वो सरकार ने अपने पास रखा अपने बजट के लिए.
अब जरा सोचिए, जब महाराष्ट्र सरकार ने इस स्टांप ड्यूटी को 60% काट दिया, यानी 5% से कट करके 2% कर दिया तो इस तरह हमारी केंद्र सरकार अगले साल के लिए कहती है कि 1 साल के लिए, एक नाप तोल के बाद हम लोग अपने टैक्स को 50% काट देंगे, इससे जो डिमांड बूस्ट मिलेगा हमारी अर्थव्यवस्था को वो करीब 6.75 लाख करोड़ होगा, शायद GDP का 3%, इससे डिमांड बढ़ेगा अगर सरकार कहती है कि हम 50% अपना टैक्स कलेक्शन हर जगह काट देते हैं.
तो इससे क्या होगा?
घर, गाड़ी, शराब, बाहर जाना, होटल, कपड़े पहनना, जिम की चीजें खरीदना या कुछ भी खरीदना बहुत ज्यादा सस्ता हो जाएगा. जिसकी वजह से लोग ज्यादा खरीदी करेंगे. जैसे मुंबई की प्रॉपर्टी मार्केट में आपने देखा जब इस वक्त ड्यूटी कटी तो किस तरह से लोगों ने नए घर खरीदें और नए घर रजिस्टर कराए
मैंने 3% की बात की थी फिस्कल स्टीमुलस की वो गिरकर 1-2% ही रह जाएगी. जो लोग पुरानी सोच वाले हैं. उनके लिए 3% उनको लगता है कि बहुत ज्यादा है लेकिन 1-2% में वो लोग भी सहज होते हैं मेरा कहना है कि क्योंकि लैफर कर्व आ जाएगा क्योंकि टैक्स काटने से सरकार की आमदनी बढ़ जाएगी उसकी वजह से ही जो फिस्कल डेफिसिट का अनुमान है जो 3% का अनुमान लेकर चलते हैं वो गिरकर 1-2% पर आ जाएगा अंत में मैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को यही सुझाव दूंगा कि यही एक मौका है, ये वक्त पुराना, दकियानूसी थका हुआ आइडिया सोचने का नहीं है.
शायद मैंने बढ़ा-चढ़ाकर आपको अपना एनालिसिस दिया है मैं मानता हूं कि असर पैदा करने के लिए मैंने उसको बढ़ा-चढ़ाकर बताया है. लेकिन, जो मैंने मूल बताया है वो एकदम बराबर है उसको आप गलत नहीं बता सकते, अगर आपको लगता है कि 50% का टैक्स कट बहुत ज्यादा है आपके लिए एक विधर्म की स्थिति बन जाती है तो ठीक है, आप 50% मत कीजिए, आप 33% कर दीजिए अगर आप और थोड़ा सेफ खेलना चाहते हैं तो आप इसे पूरे साल के लिए लागू मत कीजिए. पहले, सिर्फ 6 महीने के लिए कर दीजिए जैसे पिछले साल आपने लोन मोराटोरियम किया वो भी आपने कुछ महीनों के लिए ही किया था.
आप इसे कई तरह के नए आयाम दे सकते हैं मैंने तो आपको एक बड़े असर के लिए 50% का सुझाव दिया है आप इसे जरूर बदल सकती हैं लेकिन इसकी जो आत्मा है. उसको समझना जरूरी है, जब आप टैक्स काटेंगी तब आप देखेंगी कि किस तरह से हमारी इकनॉमी को बहुत भारी बूस्ट मिलता है. और आपको इससे खुशी होगी और आपको एक खुशी वाली सरप्राइज मिलेगी जिस तरह से हमारी अर्थव्यवस्था बदल जाएगी
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