मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019हरदीप सिंह निज्जर की हत्या: कनाडा के आरोप सच्चे हैं तब भी उसे खुद को दोष देना चाहिए

हरदीप सिंह निज्जर की हत्या: कनाडा के आरोप सच्चे हैं तब भी उसे खुद को दोष देना चाहिए

दिल्ली का पक्ष है कि कनाडा जैसा लोकतांत्रिक देश भी भारत के लिए खतरा बन चुके आतंकवादियों पर एक्शन लेने में फेल है.

मनोज जोशी
नजरिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो</p></div>
i

कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो

(फोटो- अल्टर्ड बाई क्विंट हिंदी)

advertisement

खालिस्तानी चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर (Hardeep Singh Nijjar) की हत्या का पूरा सच शायद हम कभी नहीं जान पाएंगे. कनाडा ने निज्जर की हत्या में भारत के शामिल होने का आरोप लगाया है जबकि नई दिल्ली ने इसे सिरे से खारिज किया है. 

जांच-पड़ताल जारी है लेकिन अभी ऐसे कोई सबूत नहीं हैं जिससे भारत पर उंगली उठाई जा सके. बेशक, यह मुमकिन है कि निज्जर, जो आतंकवाद के कई आरोपों में भारत में वांटेड था, स्थानीय उग्रवादियों की गुटबाजी का शिकार हुआ हो.

कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने कनाडाई संसद में कहा कि निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों के शामिल होने के" विश्वसनीय आरोपों" पर कनाडाई अधिकारी काम कर रहे थे.  

उन्होंने कोई ब्यौरा नहीं दिया लेकिन बताया कि वे भारतीय पक्ष के सामने अपनी "गहरी चिंताएं" जाहिर कर चुके हैं. उन्होंने कहा G20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात में उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर इस बारे में बताया. पीएम मोदी से कहा कि कनाडा की धरती पर एक कनाडा के नागरिक की हत्या " हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है और यह हमें नामंजूर है".  

कनाडा ने साफ तौर पर ये जानकारी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और UK के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से भी साझा किया था. मंगलवार को एक बयान में, भारत ने कनाडा के आरोपों को "बेतुका और किसी खास मकसद से प्रेरित" बताकर खारिज कर दिया था.

इसमें कहा गया है, "हम कानून के शासन के प्रति मजबूती से प्रतिबद्ध रहने वाले लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था वाले देश हैं. भारत ने कहा कि इस तरह के "निरर्थक आरोप" सिर्फ भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा पैदा करने वाले खालिस्तानी आतंकवादियों से ध्यान हटाने की कोशिश है जिन्हें कनाडा में सेफ हेवेन यानि सुरक्षित पनाहगाह दिया गया है." 

भारत ने आगे कहा, "इस मामले में कनाडा सरकार की तरफ से लंबे समय से कार्रवाई नहीं किया जाना भारत के लिए लगातार चिंता का विषय रहा है. भारत की तरफ से आगे कहा गया कि "कनाडा में हत्याओं, मानव तस्करी और संगठित अपराध सहित कई गैरकानूनी गतिविधियों को जगह देना कोई नई बात नहीं है".

भारत-कनाडा कूटनीतिक रिश्ते में तनाव

कनाडा के साथ राजनयिक रिश्ते पहले ही खराब हो चुके हैं और उन्हें ठीक होने में समय लगेगा. आगे बहुत कुछ इस बात पर भी निर्भर करेगा कि कनाडा अपने आरोपों के पक्ष में किस तरह के सबूत लाता है. लेकिन इन सबसे भारत-अमेरिका रिश्ते भी प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि अमेरिका का सबसे करीबी सहयोगी कनाडा है.  

अमेरिका इस वक्त अपने अहम NATO सहयोगी और अपने नए रणनीतिक साझेदार के बीच में फंसा हुआ है. अमेरिका और भारत ने हाल ही में अपने संबंधों को मजबूत किया है. जेट इंजन सहित रक्षा उपकरणों के संयुक्त उत्पादन को बढ़ाना चाह रहे हैं. 

बाइडेन ने हाल के दिनों में सक्रिय रूप से भारत का पक्ष लिया है. जून में मोदी की वाशिंगटन की राजकीय यात्रा एक बड़ी सफलता थी. हाल में G20 शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति और मोदी की मित्रता दुनिया देखी थी. 

व्हाइट हाउस ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि वह "प्रधानमंत्री ट्रूडो के लगाए आरोपों पर बहुत गंभीर हैं. वो चाहते हैं कि कनाडा जांच आगे बढ़ाकर अपराधियों को सजा दिलाए. अमेरिका ने "भारत सरकार से कनाडा की जांच में सहयोग करने का आग्रह भी किया है."

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

हालांकि इस मामले में अमेरिका के इतिहास को देखते हुए इसे दूसरी तरह से भी देखे जाने की संभावना है, भले ही इसमें भारतीय हाथ का सबूत मिल जाए. यह किसी से छिपी हुई बात नहीं है कि अमेरिका, इजरायल और रूस जैसे देश किसी दूसरे देश में घुसकर अपने दुश्मनों मार गिराते रहे हैं.

लेकिन यहां मुद्दा एक लोकतांत्रिक देश में घुसकर किसी आतंकवादी को मारने का होगा. हालांकि दिल्ली की दलील है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए खतरा बन चुके आतंकवादियों पर कार्रवाई में कनाडा आनाकानी करता रहा है.

जहां तक इस हत्या में भारत के हाथ होने के आरोपों का सवाल है कनाडा को सार्वजनिक रूप से तोहमत लगाने से पहले कुछ ठोस सबूत देने चाहिए थे. अभी तो जो कुछ कहा गया है वो सिर्फ और सिर्फ आरोप हैं.  लेकिन यह सच में काफी अजीब है कि कनाडा के प्रधानमंत्री ने बिना कोई सबूत पेश किए अपने मित्र देश के खिलाफ इतना गंभीर आरोप लगा दिया.  

अभी शायद कनाडा जांच-पड़ताल कर रहा है इसलिए वाजिब होता कि जांच पूरी करके ही वो कोई आरोप लगाता. 

यह भी संभव है कि ट्रूडो सरकार ने ऐसा रुख इसलिए अख्तियार किया कि उनकी सरकार को खालिस्तान समर्थक नेता जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन है.

भारत को पहले भी कनाडा ने किया निराश 

हम कनाडा से ठोस सबूत मांग रहे हैं और इसके लिए हम पर उंगली नहीं उठनी चाहिए , क्योंकि खालिस्तानी आतंकवादियों के गुनाहों की फेहरिस्त लंबी है और इनके खिलाफ जांच-पड़ताल में कनाडा का रिकॉर्ड विशेष रूप से अच्छा नहीं है.  

1985 का कनिष्का विमान कांड की तकलीफ भरी यादें हैं. साल 1985 में एयर इंडिया की फ्लाइट नंबर 182 को आसमान में ही बम से उड़ा दिया गया और सभी 329 सवारियों की बॉडी समंदर में समा गई. इसमें ज्यादातर भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक थे.

सच में आतंकवादी वारदात के पुख्ता सबूत होने के बावजूद भी इस मामले में कुछ नहीं किया गया. घटना के बाद इससे भी बदतर हरकतें हुई. जांच के नाम पर रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की.

हालांकि कई साल बाद मामले में कुछ कार्रवाई हुई लेकिन यह भी लीपापोती जैसी ही थी. ट्रायल होने के बाद लोगों की हत्या में इंद्रजीत सिंह रेयात नाम के एक व्यक्ति को दोषी ठहराया गया और उसे कुछ साल जेल की सजा हुई.

दो अन्य, रिपुदमन सिंह मलिक और अजायब सिंह बागरी के खिलाफ एक हास्यास्पद ट्रायल चलाया गया लेकिन उन्हें बरी कर दिया गया. हालांकि जुलाई 2022 में रिपुदमन सिंह मलिक की सरे में हत्या कर दी गई थी. इसमें दो शख्स, जिनमें से कोई भी भारतीय मूल का नहीं था, को इस अपराध के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, जो शायद सिख अलगाववादियों के बीच गुटबाजी की लड़ाई का हिस्सा हो सकता है.  

एयर इंडिया 182 त्रासदी का मुख्य अपराधी, कनाडाई सिख तलविंदर सिंह परमार, जो आरसीएमपी की नजरों में था, बच निकला. आखिर में 1992 में भारत में उसके पाकिस्तानी हैंडलर इंतेखाब अहमद जिया और एक कश्मीरी सहयोगी ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई. 

परमार बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) का संस्थापक था. पंजाब पुलिस के दो अधिकारियों की हत्या में वॉंटेड था. संयोगवश, 1982 में, जब भारत ने परमार के प्रत्यर्पण की मांग की थी, तो वर्तमान प्रधानमंत्री के पिता, प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो ने इनकार कर दिया था.  

 कनाडा को सिर्फ खुद को कसूरवार मानना चाहिए.

निज्जर किसी भी तरह से बेगुनाह नहीं था.

निज्जर शुरू से ही BKI से जुड़ा था. बाद में उसने अपनी खुद की खालिस्तान टाइगर फोर्स बना ली. वह भारत में आतंकवादी गतिविधियों सहित कई अपराधों में वांटेड था. 

उसने 1997 में फर्जी पासपोर्ट पर देश से भागकर  कनाडा में शरण ली. कनाडा में वैंकूवर के बाहरी इलाके सरे में गुरु नानक सिंह गुरुद्वारा का प्रमुख बन गया. वह भारत विरोधी गतिविधि में सक्रिय रूप से शामिल था. BKI नेताओं से मिलने के लिए 2013-2014 में पाकिस्तान का दौरा किया था.

साल 2018 में, निज्जर का नाम "मोस्ट वांटेड लिस्ट" में शामिल किया गया था, जिस लिस्ट को पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को दी थी. साल 2020 में निज्जर को भारतीय कानूनों के तहत आतंकवादी घोषित किया गया था. हाल के वर्षों में एक और भी घातक घालमेल सामने आया है. पंजाब में एक्टिव गैंगस्टर भी कनाडा को अपना बेस के तौर पर यूज करते हैं. कनाडा पहुंचकर खालिस्तानी गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं.

18 सितंबर को मोगा जिले में एक स्थानीय कांग्रेस नेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई और कनाडा में एक गैंगस्टर अर्शदीप सिंह गिल ने फेसबुक पर हत्या की जिम्मेदारी ली.  

ए-केटेगरी के पांच-सात कुख्यात गैंगस्टरों को कनाडा में पनाह मिली हुई है. इन अपराधियों पर जबरन वसूली, हत्या और नशीली दवाओं की तस्करी के कई मामले लगे हुए हैं.

इनमें गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या में वॉंटेड गोल्डी बराड़, कॉमरेड बलविंदर सिंह की हत्या में वॉंटेड संदीप सिंह सिद्धू और लखबीर सिंह शामिल हैं, जिन्होंने मोहाली में एक पुलिस स्टेशन पर हमला करने के लिए ग्रेनेड लॉन्चर का इस्तेमाल किया था.

इनमें से कई व्यक्तियों को कनाडा के अधिकारी जानते हैं, लेकिन फिर भी अपराधी बेफिक्र  होकर भारत के खिलाफ अपराध को अंजाम दे रहे हैं.

इन परिस्थितियों में, यदि निराश भारत वास्तव में अगर निज्जर की हत्या में शामिल भी है, तो इसके लिए कनाडा के अलावा कोई और कसूरवार नहीं है.

मंगलवार को भारत ने जो बयान दिया वो दरअसल भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरा पहुंचाने वाली जो गतिविधियां कनाडा में "लंबे समय से चली आ रही" है , उस पर कनाडा की तरफ से निष्क्रियता पर भारत की गहरी नाराजगी को उजागर करता है. भारत आखिरकार, एक ऐसा देश है जो अतीत में आतंकवाद की गंभीर मार झेल चुका है.

भारत सरकार का यह कर्तव्य है कि वह देश और उसके नागरिकों को आतंकवादियों की गतिविधियों से बचाने के लिए, यदि आवश्यक हो तो  पहले से ही कार्रवाई करे.

(लेखक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली के प्रतिष्ठित फेलो हैं. यह एक ओपिनियन पीस है.इसमें व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट हिंदी का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

Members Only
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT