मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019चीन उकसा रहा है, तो हमें भी LAC पर अपनी तैयारी करनी होगी

चीन उकसा रहा है, तो हमें भी LAC पर अपनी तैयारी करनी होगी

अगर भारत और चीन के बीच तनाव को ठीक से संभाला नहीं गया, तो हालात और बिगड़ सकते हैं

सी उदय भास्कर
नजरिया
Published:
भारतीय और चीनी फौजों के बीच तनातनी जारी है
i
भारतीय और चीनी फौजों के बीच तनातनी जारी है
(फोटो: Rhythum Seth/ The Quint)

advertisement

भूटान के डोकलाम पठार में चीनी और भारतीय फौजों के बीच बीते 16 जून को शुरू हुई तनातनी अब तक जारी है, जिसे तीखे जुबानी तीर और बढ़ा रहे हैं.

बीजिंग से निकलने वाले एक अखबार ग्लोबल टाइम्स ने हालांकि अपनी टिप्पणी (3 जुलाई) में सावधानी से ‘युद्ध’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए कहा है, “अगर भारत और चीन के बीच तनाव को ठीक से संभाला नहीं गया, तो युद्ध की भी संभावना है.”

दिल्ली के बयान भी उतने ही कड़े दिखाई देते हैं, जब रक्षामंत्री अरुण जेटली कहते हैं कि यह 1962 वाला भारत नहीं है. यहां अक्टूबर 1962 के सीमा युद्ध का संदर्भ दिया गया है, जब चेयरमैन माओ की तरफ से भारतीयों को अपमानजक सबक ‘सिखाया’ गया था.

इस पर बीजिंग का जवाब चिढ़ाने वाला था, जिसमें दोनों एशियाई महादेशों के बीच सैन्य शक्ति और आर्थिक संपन्नता का अंतर चीन के पक्ष में होने का हवाला दिया गया था.

रिश्तों में ठंडक

1962 के सीमा युद्ध के बाद भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध ठंडे बस्ते में चले गए थे, जिसे 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने फिर से बहाल किया. यहां यह भी याद दिलाना जरूरी है कि इस दोबारा मिलन से पहले 1987 में अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में सोमदुरांग चू में भारतीय सेना और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी  के बीच तनातनी हो चुकी थी.

उस समय चीनी फौज के भारतीय भूमि में ‘अतिक्रमण’ पर पूर्वी कमान के सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वीएन शर्मा (जो बाद में सेना प्रमुख बने) ने बहुत कड़ा रुख अपनाया और राजनीतिक-कूटनीतिक उपायों से सुलह की राह निकली.

यहां दो सवाल उठते हैं. यह देखते हुए कि इस बार चीनी फौजों द्वारा तीसरे देश भूटान में घुसपैठ की गई है, भारत थिंफू का साथ देने के लिए इतना आतुर क्यों है? दूसरा, दिल्ली की नजर में डोकलाम पठार की अहमियत क्या है?

वक्त की नजाकत

  • • 1949 में हस्ताक्षर की गई संधि और फिर 2007 दोहराई गई संधि के अनुसार, भूटान के भू-भाग के मामलों को देखना भारत की जिम्मेदारी है.
  • • 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत को सिक्किम में रणनीतिक बढ़त हासिल है.
  • • भारत की लेटलतीफी से LAC के साथ-साथ सड़क निर्माण में देरी हुई. भारत ने सड़कों का निर्माण 90 के दशक के अंत में शुरू किया.
  • • कई परियोजनाएं हालांकि UPA शासन में मंजूर हो गई थीं, लेकिन ऐसा लगता है कि ये NDA की प्राथमिकता में नहीं थीं.
  • • भारत के उलट, LAC के साथ-साथ चीन का बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश दीर्घकालिक और व्यापक था.

भारत-भूटान सहयोग

भूटान के भारत के साथ बहुत खास रिश्ते हैं और 1949 की संधि के मुताबिक, यह विदेशी मामलों में भारत सरकार की ‘सलाह से निर्देशित’ होगा.

भूटान में संसदीय लोकतंत्र लागू होने के बाद यह संधि वर्ष 2007 में संशोधित गई, जिसमें दोनों सरकारों ने ‘अपने राष्ट्रीय हित से जुड़े मुद्दों पर एक-दूसरे का पूरा सहयोग करने’ का वचन दोहराया.

इसलिए भूटान के भू-भाग की अखंडता को चुनौती मिलने पर दिल्ली जरूरी सलाह व समर्थन देने को बाध्य है और मोदी सरकार ऐसा ही कर रही है. यह तय है कि यहां संधि में साझीदार के तौर पर भारत की विश्वसनीयता का मुद्दा है, जबकि बीजिंग का रुख दूसरों के भू-भाग पर घुसपैठ का है. वह इतिहास और संदिग्ध मालिकाना हक का सहारा लेकर अपने दावे को सही साबित करना चाहता है.

भारत चिंतित क्यों है

भूटान का डोकलाम पठार भारत (सिक्किम), चीन, भूटान के तिराहे पर है. यह खंजर के आकार की चंबी घाटी, जो कि परंपरागत रूप से चीनी भू-भाग माना जाता है, उससे सटा हुआ है. डोकलाम पठार में चीन की दखलअंदाजी और सड़क व अर्ध-स्थायी ढांचे बनाकर अपनी स्थिति मजबूत करना भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है.

3500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भूगोल, स्थानीय जमीन की रचना और जलवायु/मौसम की दशा फौज की बढ़त तय करने में महत्वपूर्ण कारक होते हैं. भारत को मध्य क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त हासिल है, जिसमें सिक्किम भी शामिल है.

भारतीय फौज के लिए इसे बनाए रखना बहुत जरूरी है और डोकलाम में चीन का शक्ति बढ़ाना भारत की बढ़त को कुंद कर सकता है. इससे भी आगे बीजिंग का यह कदम PLA के लाव-लश्कर को सिलीगुड़ी कॉरिडोर के और करीब पहुंचा देगा, जो उत्तर-पूर्व को मुख्य भूमि से जोड़ता है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

देर से जागे

1962 की पराजय के बाद भारत ने संसाधनों और इच्छाशक्ति की कमी के चलते LAC के साथ बुनियादी ढांचा विकसित करने में हिचकिचाहट दिखाई.

भारतीय पक्ष के मन में एक अजीब बात घर कर गई थी कि अगर 1962 जैसा संकट दोबारा सामने आया तो, हिमालय से सटे सीमा क्षेत्र में परिवहन की सुविधा बेहतर होने से दुश्मन को ही फायदा होगा.

नतीजतन LAC से सटे इलाकों में बुनियादी ढांचा अपर्याप्त ही रहा. इस नीति की समीक्षा भी की गई, लेकिन सीमित स्तर पर सड़क निर्माण 1990 के दशक के अंत में ही शुरू हो सका. यह फिर भी रफ्तार नहीं पकड़ सका. हालांकि  UPA सरकार में ही इसकी मंजूरी मिल गई थी, लेकिन ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि मौजूदा NDA सरकार ने इसे प्राथमिकताओं में रखा.

डोकलाम अब मोदी सरकार के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम कर सकता है, अगर इसकी जरूरत पड़ी तो.

चीनी बुनियादी ढांचा

भारत के उलट चीन ने पिछले तीन दशकों में LAC के साथ-साथ बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश ज्यादा दीर्घकालिक और व्यापक ढंग से किया. इस तरह समग्र सैन्य शक्ति इनडेक्स में, जिसमें एयर पावर और मिसाइल क्षमता भी शामिल है, चीन का स्थान भारत से ऊपर है.

वैसे LAC के पास दोनों देशों की सेनाओं के स्वरूप को देखते हुए चीन द्वारा कोई भी आक्रामक कार्रवाई करना समझदारी नहीं होगा.

अगर सैन्य तनातनी जारी रहती है, तो भी 7 जुलाई को जर्मनी में G20 सम्मेलन में मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात की उम्मीद है. उम्मीद करें कि दोनों तय करेंगे कि ‘मतभेद विवाद में नहीं बदलेगा.’

एशियाई शताब्दी का भविष्य और दो अरब से अधिक नागरिकों की दीर्घकालीन सुरक्षा का फैसला समझदारी से या इनके बिना होगा, यह फैसला दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व को करना है.

(लेखक रणनीतिक मामलों के जाने-माने विशेषज्ञ हैं. वह इस समय सोसायटी फॉर पॉलिसी स्टडीज के निदेशक हैं. इनसे @theUdayB पर संपर्क किया जा सकता है. यह एक ओपिनियन लेख है और इसमें व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं. द क्विंट न तो इनका समर्थन करता है, न ही इनके लिए जिम्मेदार है.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT