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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मानकों के हिसाब से, 7 नवंबर 2023 को भी दिल्ली में हवा की क्वालिटी "बेहद खराब" कैटेगरी में थी. एक दिन पहले, दिल्ली का वायु प्रदूषण स्तर लिमिट से सात या आठ गुना ज्यादा था. अधिकारियों ने हालात को संभालने के लिए कई कदम उठाए. ऑड-ईवन की वापसी 13 नवंबर से 20 नवंबर तक हो रही है.
9 नवंबर की सुबह दिल्ली के कई हिस्सों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) चिंताजनक रूप से बढ़े हुए थे, आनंद विहार में जहां यह 432, तो आरके पुरम में 453, पंजाबी बाग में 444 और न्यू मोती बाग में 452 पर था.
जहां तक गुरुग्राम का सवाल है, वहां सुबह 8 बजे सेक्टर 51 में AQI 448 था. हालांकि, अभी भी यह "गंभीर" की कैटेगरी में ही है. इसलिए गुरुग्राम में भी इन हालातों को देखते हुए स्कूलों को ऑनलाइन रखने के लिए कहा गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित न हो.
दिल्ली के वायु प्रदूषण को बढ़ाने वाला एक प्रमुख कारण पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों में पराली को जलाना है.
अदालत ने फायर स्टेशन हाउस के अधिकारियों को इन आग को बुझाने का काम सौंपा, और सभी राज्यों के चीफ सेक्रेटरी को इस काम का सुपरवाइजर बताया जिनकी जवाबदेही आग को रोकना है.
अदालत ने स्थिति की गंभीरता पर जोर दिया.विशेष रूप से युवाओं की सेहत पर प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों के बारे में चिंता जताई. कोर्ट ने लंबे समय से प्रभावित करने वाली इस समस्या से निपटने में त्वरित और कड़ी कार्रवाई करने को कहा.
दिल्ली-NCR में प्रदूषण की चुनौती एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है क्योंकि स्थानीय लोगों की सेहत पर गंभीर संकट आ रहा है. यही नहीं जीने की औसत उम्र भी घटने लगी है.
क्या इन जांचे-परखे तौर तरीकों का इस्तेमाल दिल्ली-एनसीआर की प्रदूषण समस्या से निपटने में किया जा सकता है और स्थानीय स्तर पर क्या उपाय लागू किए जा सकते हैं?
इसका जवाब निर्विवाद तौर से ‘हां’ है. ऐसे प्रभावी ग्लोबल केस स्टडी और मॉडल हैं जो वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में हमारे लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम कर सकते हैं. आइए इनमें से कुछ उदाहरणों को देखते हैं और उन सब पर विचार करते हैं जिनसे हम कुछ सीख सकते हैं.
दिल्ली की तरह बीजिंग, चीन में भी वायु प्रदूषण की समस्या काफी गंभीर थी. हालांकि, कई रणनीतियों के उपयोग से हवा की गुणवत्ता में काफी सुधरी है.
बीजिंग की रणनीति से दिल्ली बहुत कुछ सीख सकती है, जो दिखाती है कि टाउन प्लानिंग और पॉलिसी इनीशिएटिव से नतीजे कैसे अच्छे हो सकते हैं.
अपने ऐतिहासिक स्थलों और लाल डबल डेकर बसों के लिए प्रसिद्ध होने के अलावा, लंदन ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सक्रिय रूप से काम किया है.
प्रदूषण फैलाने वाली कारों के इस्तेमाल को रोकने के लिए यातायात शुल्क वसूलने जैसी समान नीतियां दिल्ली में भी लागू की जा सकती हैं. इस तरह की स्कीम्स भीड़भाड़ वाले महानगरीय परिवेश में यातायात को नियंत्रित करने और एमिशन घटाने में उपयोगी हो सकती हैं.
कोलंबिया की राजधानी बोगोटा एक आकर्षक उदाहरण है कि कैसे एक अच्छी तरह से लागू की गई बस रैपिड ट्रांजिट (बीआरटी) प्रणाली ट्रैफिक को घटा सकती है और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार कर सकती है.
बोगोटा के उदाहरण से दिल्ली काफी कुछ सीख सकती है. अपनी सड़कों से भीड़ कम करने, ट्रैफिक घटाने के तरीकों पर विचार कर सकती है, ताकि यात्रियों के पास आवाजाही के अधिक आकर्षक और प्रभावी विकल्प रहे.
कोपेनहेगन, डेनमार्क, दुनिया भर में सबसे अधिक साइकिल चलाने के लिए अनुकुल शहरों में शुमार है.
बढ़ती आबादी और ट्रैफिक जाम को देखते हुए, दिल्ली गैर-मोटर चालित परिवहन के प्रति कोपेनहेगन मॉडल से सीख सकती है. हमारा शहर साइकिल चलाने और पैदल यात्री बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता देकर स्वस्थ और अधिक पर्यावरण के अनुकूल परिवहन विकल्पों को प्रोत्साहित करते हुए प्रदूषण को कम कर सकता है.
लॉस एंजिलिस, कैलिफोर्निया का आसमान कभी घने धुंध के लिए जाना जाता था. हालांकि, सख्त एमिशन रूल्स, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने और जन जागरूकता कार्यक्रमों की मिलीजुली नीति से इसने वायु प्रदूषण से निपटने में महत्वपूर्ण प्रगति की है.
लॉस एंजिल्स की प्रदूषण-विरोधी विशेषज्ञता से दिल्ली बहुत कुछ सीख सकती है. हम इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने और जागरूकता अभियान फैलाने जैसे उपायों का उपयोग करके अपने क्षेत्र में वायु गुणवत्ता के मुद्दों को काफी हद तक दुरुस्त कर सकते हैं.
जिन केस स्टडीज और विदेशी मॉडलों पर हमने गौर किया है, वे कई महत्वपूर्ण सबक की ओर इशारा करते हैं, जिन्हें दिल्ली-NCR प्रदूषण की चुनौती से निपटने के अपने प्रयासों में लागू कर सकता है.
इसके अलावा, सार्वजनिक परिवहन के बुनियादी ढांचे को बेहतर करने के लिए निवेश बढ़ाना महत्वपूर्ण होगा. एक भरोसेमंद और प्रभावी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का निर्माण करके लोगों को पर्यावरण के अनुकूल विकल्प चुनने और अपने ऑटोमोबाइल छोड़ने के लिए राजी किया जा सकता है, जो ट्रैफिक जाम और एमिशन घटाएगा.
एमिशन में जरूरी कटौती करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करना एक और आवश्यक तरीका है. परिवहन के अधिक पर्यावरण अनुकूल तरीकों में बदलाव को बढ़ावा देकर, दिल्ली-NCR अपने कार्बन फुटप्रिंट को काफी कम कर सकता है. लेकिन बदलाव को गति और प्रोत्साहन देने के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि इस सबके लिए जरूरी बुनियादी ढांचा मौजूद रहे.
अंत में, लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण है, ग्रीन एरिया - यानी, पार्क, और शहरों में वनक्षेत्र को बढ़ाना. इससे लोगों की जिंदगी की गुणवत्ता में समग्र रूप से सुधार किया जा सकता है क्योंकि प्रदूषण को रोकने में वन कुदरती तौर पर कारगर हैं.
दिल्ली में लोगों की बेहतर सेहत और टिकाऊ भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल पहल में ग्रीन एरिया को बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए साथ ही सस्टेनेबल अबर्न प्लानिंग टेकनीक को अपनाना चाहिए.
भले ही आगे लंबी और कठिन राह हो, हमारे पास दूसरों की उपलब्धियों से प्रेरणा लेने और अपने क्षेत्र को स्वच्छ, स्वस्थ और अधिक टिकाऊ भविष्य की ओर ले जाने का मौका है. वायु प्रदूषण को कम करने और दिल्ली-एनसीआर में सभी के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए तेजी से, निर्णायक रूप से और एकजुटता के साथ काम करना महत्वपूर्ण है.
(अंजल प्रकाश भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) में क्लिनिकल एसोसिएट प्रोफेसर (रिसर्च) हैं. यह एक ओपिनियन है और व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं . क्विंट न तो उनका समर्थन करता है और न ही उनके लिए जिम्मेदार है.)
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