advertisement
''हर बीजेपी कार्यकर्ता के लिए प्रेरणा हैं फडणवीस''
महाराष्ट्र (Maharashtra) का डिप्टी सीएम बनने पर पीएम मोदी ने देवेंद्र फडणवीस के लिए ये लिखा. ये बात काफी हद तक इशारा करता है कि महाराष्ट्र बीजेपी में क्या चल रहा है? देवेंद्र का सीएम से डिप्टी हो जाना एक और उदाहरण है कि बीजेपी में किस तरह से काम होता है. ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र की महाभारत बीजेपी ने भले जीती हो, घर का झगड़ा बाकी है.
सवाल कई हैं
जो देवेंद्र फडणवीस सत्ता जाने के बाद से लगातार उद्धव सरकार को उखाड़ने की जुगत में जुटे रहे, वो सीएम क्यों नहीं बने?
जिन देवेंद्र फडणवीस के लिए माना जा रहा है कि उन्होंने ही 'ऑपरेशन शिंदे' को लीड किया, वो डिप्टी सीएम की कुर्सी पर क्यों बिठा दिए गए?
जब देवेंद्र फडणवीस ने साफ कहा था कि वो सरकार में शामिल नहीं होंगे तो आखिर दो घंटे में क्या हुआ कि उन्हें डिप्टी सीएम पद की शपथ लेनी पड़ी?
शपथ ग्रहण समारोह में देवेंद्र फडणवीस की बॉडी लैंग्वेज जिसने भी देखी वो बता सकता है कि डिप्टी सीएम बनकर खुश नहीं हैं. चेहरा मुरझाया हुआ, मुस्कान नहीं, ऐसा लग रहा था जैसा ठगा सा महसूस कर रहे हों.
भंवरे ने खिलाया फूल और फूल को ले गया राजकुंवर टाइप्स...
लेकिन सवाल ये है कि आखिर ये हुआ क्यों? कई थ्योरी दी जा रही है
पहला ये कि शिंदे की शर्त रही हो कि सीएम बनाओ तभी बगावत करूंगा.
दूसरा ये कि खुद देवेंद्र नहीं चाहते थे कि वो शिंदे के जूनियर बनकर सरकार में रहें. सरकार में न रहें तो भी ताकत रहेगी और जिम्मेदारी कोई नहीं, ऊपर से मैसेज जाएगा कि सत्ता लोभी नहीं हैं. शिंदे ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद देवेंद्र के त्याग की तारीफ भी की थी. कुल मिलाकर लग रहा था कि देवेंद्र ने महाराष्ट्र में अपना कद बढ़ाने के लिए मास्टर स्ट्रोक खेला है.
अजीबो गरीब तरीके से बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस को सरकार में शामिल होना चाहिए. अजीबोगरीब तरीका इसलिए क्योंकि बीजेपी में ये बातें मीडिया के जरिए कहीं जाएं, ये सामान्य नहीं. आखिर क्यों उन्हें ये बात मीडिया से कहनी पड़ी कि देवेंद्र को सरकार में शामिल होना चाहिए. क्यों नहीं ये बात उन्होंने टेलीफोन उठाकर फडणवीस से कही? तब क्यों नहीं कहा, जब वो अभी दिल्ली आए थे. क्या फडणवीस नहीं मान रहे थे और उनपर दबाव बनाने के लिए केंद्रीय नेतृत्व की इच्छा जगजाहिर की गई? इसके बाद गृहमंत्री अमित शाह का ट्वीट आया कि नड्डा जी के कहने पर फडणवीस ने सरकार में शामिल होने का फैसला किया है.
अमित शाह के ट्वीट से एकदम साफ है कि देवेंद्र फडणवीस को बेमन से डिप्टी सीएम बनना पड़ा है. लिहाजा महाराष्ट्र जीतकर भी संकेत मिल रहे हैं कि शायद बीजेपी के अंदर दिल्ली और मुंबई के मतभेद हैं.
इस पूरे सियासी खेल का एक पहलू ये है क्या बीजेपी ने शिंदे नाम के तीर से उद्धव और देवेंद्र दोनों को एक साथ निपटा दिया है. उद्धव की कुर्सी तो गई ही, उनकी पार्टी भी तबाह हो गई है. लेकिन बीजेपी नेतृत्व देवेंद्र फडणवीस के पर क्यों कतरना चाहेगी?
इसका जवाब दो बातों पर ध्यान से मिल सकता है.
1. देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र में बीजेपी के अंदर सबसे ताकतवर बन चुके हैं. दूसरा कोई नेता लाइन में नजर नहीं आता. दो लोगों से संचालित अति केंद्रीकृत पार्टी को ये बात कभी पसंद नहीं आएगी.
2. याद कीजिए अक्टूबर 2019, जब अजित पवार के समर्थन के भरोसे देवेंद्र फडणवीस ने अहले सुबह सीएम पद की शपथ ले ली और कुछ ही घंटों के अंदर उन्हें पद त्यागना पड़ा. उससे पहले अमित शाह मुंबई आ रहे थे, लेकिन आखिरी समय में उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया. तब बीजेपी की बड़ी भद्द पिटी थी. इस शर्मनाक स्थिति में लाने के दोषी तब देवेंद्र ही माने गए थे. कहा जाता है उन्होंने ये सारा काम आलाकमान को भरोसे में लिए बिना किया था. तो क्या मानें अब पार्टी आलाकमान ने उन्हें इस बात की सजा दी है?
एक बात ये भी है कि जैसा कि शरद पवार ने कहा है कि बागियों ने मांग की होगी कि शिंदे को सीएम बनाओ, तभी साथ देंगे तो ये भी हो सकता है कि सत्ता में आने के लिए दिल्ली ने देवेंद्र पर दबाव डाला कि बैकसीट पर बैठना पड़ेगा. देवेंद्र नहीं माने तो आलाकमान ने सार्वजनिक रूप से उनसे सरकार में शामिल होने के लिए कहा, और आखिर में उन्हें झुकना पड़ा.
जो भी हो बॉलीवुड नगरिया में जो कुछ हुआ है, उससे यही समझ आ रहा है कि महाराष्ट्र की सियासी पिक्चर अभी बाकी है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 30 Jun 2022,09:07 PM IST