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10 साल में सबसे बड़ी बढ़ोतरी... हेडलाइन के लिए तो काफी मारक है. लेकिन MSP में बढोतरी से क्या वाकई किसानों की जिंदगी बदलने वाली है?
सरकार अगर अपनी ही रिपोर्ट पढ़े, तो जवाब मिलेगा कि इससे किसानों को बहुत फायदा नहीं होने वाला है. सरकार की जिस एजेंसी को MSP सिफारिश करने की जिम्मेदारी दी है, उसका नाम है Commission for Agricultural Costs and Prices यानी CACP.
CACP की 2017 की रिपोर्ट के पेज नंबर 29-30 और 32 पर गौर कीजिए. इसके हिसाब से गेहूं की MSP पर खरीद होती है, इसके बारे में देश के महज 39 परसेंट लोगों को जानकारी है. चावल के MSP के बारे में महज 31 परसेंट लोगों को पता है. बुधवार को जिस रागी के MSP में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की गई है, उसकी सरकारी खरीद भी होती है, इसके बारे में देश के सिर्फ 2.5 परसेंट लोगों को जानकारी है.
अब जरा सोचिए, जिसके अस्तित्व के बारे में ही किसानों को जानकारी नहीं है, उसमें कुछ भी बदलाव होने से किसानों का कितना फायदा होगा? आप खुद इसका अंदाज लगा लीजिए.
अब उसी रिपोर्ट की दूसरी बातों पर गौर कीजिए. इसमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु और कर्नाटक में अनाज की खरीद नाममात्र की ही होती है. असम में लगभग नगण्य और बाकी राज्यों में कुछ किसानों के फसल का कुछ हिस्सा.
अब जिन राज्यों में सरकारी खरीद होती ही नहीं है, वहां सरकारी खरीद मूल्य में कुछ भी बदलाव कीजिए, वहां के किसानों को क्या फर्क पड़ता है?
दरअसल, सरकारी खरीद कुछ राज्यों में खूब होती है. उनमें पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल हैं. वहां के कुछ किसानों को इस बदलाव से जरूर फायदा होगा. लेकिन कुछ राज्यों के मुट्ठीभर किसानों को थोड़ा-सा फायदा, इसको चमत्कारी तो नहीं ही कहा जा सकता है.
अब बड़ी हेडलाइन 10 साल में सबसे बड़ी बढ़ोतरी पर लौटते हैं. परसेंट के हिसाब से यह बढ़ोतरी 12.9 परसेंट है. वो तब हुआ है, जब पिछले चार साल से MSP में बढ़ोतरी औसतन 4-5 परसेंट की रही है. लेकिन ठीक 10 साल पहले एक झटके में धान की MSP में 21 परसेंट की बढ़ोतरी की गई थी.
15,000 करोड़ रुपए खर्च करने के इस फैसले से अगर किसानों का भला नहीं होगा, तो इसका फायदा किसे होगा? शायद बिचौलियों का, जो किसानों से सस्ते में अनाज खरीद कर सरकारी एजेंसी को बेच देते हैं. इस भारी भरकम बिल से हमें क्या मिलेगा?
क्या इस फैसले के बाद फिर भी हम कहेंगे कि किसानों के हित के लिए ये बड़ा फैसला लिया गया? हेडलाइन से इतर बातों पर गौर करके आप खुद फैसला कीजिए.
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