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JNU के साथ हाफिज का नाम जोड़कर सरकार ने छात्रों को खतरे में डाला

क्या JNU में देशद्रोही नारेबाजी के साथ आतंकी हाफिज सईद का नाम जुड़ने से छात्रों पर देशद्रोह का तमगा नहीं लगा?

अनंत प्रकाश
नजरिया
Published:
सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर JNU के कुछ छात्रों और पत्रकारों के साथ मारपीट की गई. (फोटोः PTI)
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सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर JNU के कुछ छात्रों और पत्रकारों के साथ मारपीट की गई. (फोटोः PTI)
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JNU में देशद्रोही नारेबाजी को हाफिज सईद का तथाकथित सपोर्ट मिलने के बाद पूरे देश में जेएनयू छात्रों के खिलाफ माहौल बन गया है.

जेएनयू छात्रों और समर्थकों को सोशल मीडिया पर ‘देश-विरोधी’ होने का तमगा लगाया जा रहा है.

लेकिन, क्या सरकार द्वारा जारी किए गए अलर्ट में हाफिज सईद के ‘फर्जी ट्वीट’ के इस्तेमाल ने जेएनयू के छात्रों की इमेज और ज्यादा खराब नहीं की?

क्या हुआ था?

दिल्ली पुलिस ने अपने ट्विटर अकाउंट से जेएनयू समेत पूरे देश के छात्र समुदायों को सचेत करने के लिए एक अलर्ट जारी किया.

दिल्ली पुलिस ने इस अलर्ट में पाक आतंकी हाफिज सईद के एक ट्वीट को शामिल करते हुए कहा कि सभी छात्र समुदायों को सूचित किया जाता है कि वे ऐसे किसी देशद्रोही संदेश से प्रभावित न हो, क्योंकि ऐसे संदेशों को बढ़ावा दिया जाना देशद्रोह की सीमा में आता है, जो कि एक दंडात्मक अपराध है.

अलर्ट के अंत में ट्वीट को देशहित में रीट्वीट भी करने के लिए कहा गया है.

चूक कहां हुई?

अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें गलती कहां है, तो दरअसल बात ये है कि अलर्ट में जिस ट्वीट को शामिल किया गया है, वह हाफिज सईद के फर्जी अकाउंट से जारी हुआ था.

भारत के खिलाफ खुलकर आग उगलने वाले हाफिज सईद ने खुद भी कहा है कि विवादास्पद ट्वीट जिस अकाउंट से किया गया, वो उसके नाम से बनाया गया कोई फर्जी अकाउंट है.

ये ट्वीट जेएनयू विवाद के ठीक एक दिन बाद 10 फरवरी को जारी हुआ. ट्वीट के आते ही एक न्यूज चैनल के पोर्टल और एक अखबार ने इसे खबर का रूप दे दिया. लेकिन शाम तक स्थिति साफ होने पर खबर हटा भी ली गई.

लेकिन दिल्ली पुलिस ने ये ट्वीट 12 फरवरी को अपने अलर्ट में इस्तेमाल किया. सईद के फेक अकाउंट से उसके करीब 2000 फॉलोअर्स तक पहुंचा ये ट्वीट दिल्ली पुलिस के अलर्ट के जरिए करीब 17,000 ट्विटर यूजर्स तक पहुंच गया.

इसके साथ ही दिल्ली पुलिस के अलर्ट में शामिल होते ही ट्वीट को आवश्यक वैधता मिल गई.

ऐसे में इस विवाद से हाफिज सईद का नाम जुड़ते ही जेएनयू छात्रों पर लगा देशद्रोही लेबल और गहरा और तर्कसंगत भी हो गया.

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सोशल मीडिया पर कैसी दिखनी चाहिए सरकार?

भारतीय अधिकारियों के लिए सोशल मीडिया एक नया माध्यम है, जिसकी क्षमताएं और जोखिम अभी समझे जाने बाकी हैं. ऐसे में भारत सरकार अपने ट्विटर अकाउंट्स के लिए अमेरिकी संस्था एनएसए से सीख सकती है.

इसलिए कि पूरे जेएनयू पर देशद्रोही होने का लेबल विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए अत्यंत ही खतरनाक साबित हो सकता है.

जेएनयू के छात्रों को सामाजिक रूप से बेदखली का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही उनके खिलाफ दुर्व्यवहार को राष्ट्रभक्ति ठहराया जा सकता है, जो एक बेहद ही खतरनाक स्थिति को पैदा कर सकता है.

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