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भारत को शायद ही कभी इस तरह बदनामी का सामना करना पड़ा हो जिस तरह बैंगलोर में अफ्रीकियों के एक समूह पर हमला की वजह से अपमानित होना पड़ रहा है. जिसे देश की सिलिकन वैली समझा जाता है.
जिस शहर को महानगरीय माहौल का प्रतिनिधित्व करने के लिए जाना जाता है, वो अपने दुर्व्यवहार से दो बार सभी भारतीयों को शर्मसार कर चुका है.
पहली एक पुरानी विशेषता है- वैवाहिक विज्ञापनों में ऐसा कभी नहीं कि किसी को काले रंग की वधू चाहिए, सबको गोरी वधू की तलाश रहती है. इसलिए ‘फेयर एंड लवली’ नाम की एक क्रीम की बिक्री असाधारण रूप से बढ़ी है क्योंकि यह क्रीम काले या सांवले रंग वाले व्यक्ति को गोरा बना देने का दावा करती है.
दूसरी घिनौनी हरकत-आज के सामाजिक जीवन में अपेक्षाकृत नई घटना है. बलात्कार की बढ़ती घटनाएं हैं जिनमें नाबालिग लड़कियों भी शामिल हैं.
इस क्रूरता से संबंधित बढ़ती हिंसा की प्रवृत्ति शांत वातावरण को बारूद का ढेर बना सकती है, जो किसी भी क्षण में आग की लपटों में फट करने के लिए तैयार है. ‘रोड रेज’ एक उदाहरण है दुश्मनी और असहिष्णुता के माहौल को बढ़ाने का. ऐसी घटनाएं हैं हत्या के लिए नेतृत्व कर सकती हैं.
बैंगलोर की घटना के पीछे भी ‘रोड रेज’ एक अहम वजह है, जहां एक कार की टक्कर से एक महिला मौत के बाद ‘गलत पहचान’ के मामले में भीड़ ने तंजानिया की एक महिला की पिटाई की और उसके साथ बदसलूकी की, जबकि कार एक सूडानी व्यक्ति चला रहा था.
कार को आग के हवाले कर दिया गया, आगजनी करने वाले जाहिर तौर पर घटनास्थल पर अन्य अफ्रीकियों के इक्टठा होने का इंतजार कर रहे थे, शहर में 10,000 से अधिक अफ्रीकी छात्रों हैं, जिनको गुस्सा अब सड़कों पर है.
हिंसक भीड़ ने न सिर्फ 21 वर्षीय तंजानिया छात्रा की पिटाई की और उसके कपड़े भी फाड़े, उसकी दोस्त को भी पीटा ‘मुझे बिना कपड़ों के छोड़ दिया’.
इस भयावह घटना की सबसे शर्मनाक बात यह है कि यह सब एक व्यस्त मार्ग और पुलिस की मौजूदगी में हुआ, महिला के मुताबिक, लेकिन उसे और उसकी दोस्त के बचाव के लिए कोई नहीं आया, यहां तक की पुलिस भी नहीं.
हकीकत तो यह है कि एक राहगीर ने लड़की की मदद करने की कोशिश की तो उसकी भी पिटाई की गई.
बहरहाल, बैंगलोर की घटना से यह प्रतीत होता है कि भीड़ में झगड़ालू व्यक्ति के बीच नस्लवाद संपन्न है जो आम तौर पर दुर्घटना में शामिल लोगों को भड़काने के लिए उत्सुक होते हैं और दुर्घटना के मिनट के भीतर इकट्ठा होते हैं.
यह भावना न केवल अश्वेत लोगो के प्रति है, जिनको नापसंद किया जाता है, किसी के भी प्रति है जो ‘अलग’ तरह का दिखाई देता है. उदाहरण के लिए, पूर्वोत्तर के लोगों पर तंज कसते हुए उनको ‘चिंकीज’ कहे का पुकारा जाता है क्योंकि उनके नैन-नक्श मंगोलॉड जैसा है.
अगस्त 2012 में, सैकड़ों पूर्वोत्तरी लोग कई तरह के हमलों के शिकार हुए जिसके बाद उनमें से कई लोग बैंगलोर से पलायन कर गए, इतना तो था कि भारी संख्या में पलायन के लिए विशेष ट्रेनों की व्यवस्था की गई. अक्टूबर 2014 में भी, उन पर छिटपुट हमलों हुए.
ताजी घटना भी अपने आपमें कोई कम शर्मनाक नहीं, लेकिन कर्नाटक सरकार ने इसके प्रति जवाब देने में अत्यधिक विलंब किया. पूरे चार दिन के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से संकेत मिला कि शहर में क्या हुआ था उनके पास जानकारी थी, और वह भी, केवल तब, जब उनके बॉस, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उनसे रिपोर्ट मांगी.
अन्यथा, मंत्री और पुलिस नस्लीय हिंसा से इंकार कर इस बात में व्यस्त हो गए कि यह महिला छेड़खानी का मामला था.
हालांकि प्रथागत पुलिस अक्षमता, मंत्री की घबराहट और सार्वजनिक क्रूरता दैनिक जीवन का हिस्सा और अभिन्न अंग हैं. नस्लवाद के कारणों पर गौर करना जरूरी है, जैसा कि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी आत्मकथा ‘ड्रीम्स फ्रम मॉय फादर’ में लिखा है.
इस संदर्भ में प्रासंगिक कारक हैं कि कल्याणी में बायोमेडिकल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स, पश्चिम बंगाल द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक भारतीयों के चार प्रमुख पैतृक समूह रहे हैं.
वे इंडो-यूरोपियन (मुख्य रूप से उत्तर में), द्रविड़ (दक्षिण), तिब्बती-बर्मन (पूर्वोत्तर) और ऑस्ट्रो-एशियाई (मध्य और पूर्वी भारत) में हैं.
यह संभव है कि “इंडो-यूरोपियन परिवार” के प्राचीन पूर्वाग्रह, कोमल त्वचा के पक्ष में भारतीयों के बीच सामान्य रूप से शामिल हो गए हों.
जहां तक इस तरह की वरीयता की बात है, अगर यह विवाह और ब्यूटी पार्लर तक ही सीमित है तो इससे दिल्लगी की जा सकती है. लेकिन यह जाहिर है कि वैश्वीकरण के इस दौर में अश्वेत छात्रों और आगंतुकों का बड़े पैमाने पर आगमन है, ऐसे में ‘फेयर एंड लवली’ का कॉन्सेप्ट हिंसा और नकारात्मकता ही बढ़ाएगा.
इस तरह मानसिकता को खत्म करने के लिए जरूरत है एक अथक अभियान की. लाखों-करोड़ों के रोल मॉडल- खिलाड़ियों, फिल्मी सितारों, पॉप संगीतकारों को इसके लिए सामने आना चाहिए और भारतीयों के दिमाग में अपने गहरी जड़ें जमाए बैठे इस पक्षपात को साफ करने में मदद करने चाहिए.
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Published: 07 Feb 2016,06:56 PM IST